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बीच बहस

लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि ‘परिवारवाद’ राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

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बीच बहस

दलित स्त्री-2: आंबेडकर के आंदोलन में शामिल हुईं कई दलित स्त्रियां

इस समस्त कवायद का उद्देश्य यही है यह बात अच्छी तरह साफ़ हो कि जिसे हम भारतीय सन्दर्भ में पितृसत्ता कहते है वो केवल पितृसत्ता [more…]

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बीच बहस

हिंदी पट्टी: वर्ण-जातिवादी और पितृसत्तात्मक संस्कृति का ह्रदयस्थल

हिंदी पट्टी को आर्यावर्त और गाय पट्टी के रूप में भी जाना जाता है। इसका भौगोलिक विस्तार उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, [more…]