उत्तर भारत के हिंदी क्षेत्र को लेकर यह धारणा बनी हुई है कि जहां हिंदी पट्टी ने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई, वहीं सांस्कृतिक पुनर्जागरण में इसका अपेक्षित योगदान लगभग नगण्य रहा। कबीर और रविदास ने भक्ति-आंदोलन...
‘पेरियार ई. वी. रामासामी, भारत के वॉल्टेयर’ किताब रूप में लेखक ओमप्रकाश कश्यप ने हिंदी पट्टी को एक बड़ी बौद्धिक पूंजी सौंपी है, जिसकी हिंदी पट्टी को बहुत जरूरत थी।
सामाजिक तौर पर हिंदी पट्टी भारत के सबसे पतनशील सांस्कृतिक-वैचारिक...
(आज रामासामी पेरियार का जन्मदिन है, भारत को आधुनिक राज्य बनाने में जितनी भूमिका डॉ. आंबेडकर की है, उतनी ही पेरियार की भी है। अपनी-अपनी भूमिका में दोनों महान हैं। डॉ. आंबेडकर साधारण परिवार से आए थे, अपने श्रम,...
इतिहास सिखाता है और अपने आपको दोहराता भी है। बहुत साफ-साफ यह सच दलित, शोषित और वंचितों के आन्दोलन में दिखाई दे रहा है। समतामूलक समाज की अवधारणा के पहले के सूत्रधार महान सन्त रैदास के बाद भारत की...
मार्क्स ने कहा था "अब तक विद्यमान सभी समाजों का लिखित इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है।" यह वर्ग-संघर्ष विचारों के संघर्ष के रूप में भी मुखर रूप से सामने आता है। भारत में वर्ग-संघर्ष ने खुद को वर्ण-संघर्ष...
भारत में दलित राजनीति का एक विशेष अर्थ है और इसके विस्तार का इतिहास अतीत तक जाता है। इसमें संत और राजनीतिज्ञ दोनों सम्मिलित हैं। दलित आंदोलन और राजनीति भारत के महत्वपूर्ण विषयों में से एक अतिमहत्वपूर्ण विषय है।...
(ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ (17 सितंबर, 1879—24 दिसंबर, 1973) बीसवीं शताब्दी के महानतम चिंतकों और विचारकों में से एक हैं। उन्हें वाल्तेयर की श्रेणी का दार्शनिक, चिंतक, लेखक और वक्ता माना जाता।‘ भारतीय समाज और भारतीय व्यक्ति का मुकम्मल...
साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए यह एक शोध का विषय है कि ईवी रामासामी पेरियार (17 सितंबर, 1879-24 दिसंबर, 1973) के मूल लेखन का कोई संग्रह आज तक उस तरह से हिंदी साहित्य में क्यों उपलब्ध नहीं था,...
(भारतीय विधायिका और न्यायपालिका ने मिलकर पिछले दिनों ऐसा परिदृश्य बनाने की कोशिश की मानो राम भारत के संपूर्ण बहुसंख्यक हिंदू जन मानस का प्रतिनिधित्व करते हों। कमोवेश इसी मूल तर्क पर अयोध्या में राम मंदिर बनने जा रहा...
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार महज आस्थावानों के लिए ही लागू होता है? कभी कभी साधारण से प्रश्न का उत्तर पाने के लिए भी अदालती हस्तक्षेप की जरूरत पड़ती है।
मद्रास उच्च न्यायालय की - न्यायमूर्ति एस मनिकुमार और...