Monday, September 25, 2023

poem

गुलज़ार ने कविता के जरिये पूछा- ख़ुदा जाने, ये बटवारा बड़ा है, या वो बटवारा बड़ा था!

कोरोना से निपटने के नाम पर देश में 24 मार्च की रात को अचानक की गई लॉकडाउन की घोषणा ने असंख्य मज़दूरों को एक झटके में सड़क पर ला खड़ा किया था। फैक्ट्रियों और अपने किराये के दड़बों से...

धूमिल के साहित्य के केंद्र में है लोकतंत्र की आलोचनाः प्रो. आशीष त्रिपाठी

वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग और धूमिल शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा संकाय के सभागार में जनकवि धूमिल की पुण्यतिथि पर ‘भारतीय लोकतंत्र और विपक्ष का कवि धूमिल’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  इस...

अल्लामा इकबाल का नाम सुना है साहब !

लखनऊ। कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे में ढल गए, कुछ वैसे हुए जिन्होंने सांचे बदल दिए। यह लाइन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एनसी बाजपेयी ने एक बार सुनाई थी। मौका था तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह...

‘क माने कश्मीर लहूलुहान है’

कश्मीर लहूलुहान है। भारत समर्थक नेताओं सहित कश्मीर की आम अवाम संगीनों के साये में है। नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए हैं। ऐसे दौर में शब्दों के जादूगर उदय प्रकाश की एक कविता चर्चा में है। कविता बचपन में सीखे...

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पूरा आसमान अपना, मगर दो गज जमीन नहीं

मुजफ्फरपुर। गोपालपुर तरौरा गांव के 45 वर्षीय शिवनंदन पंडित के परिवार में चार से छह लोग रहते हैं। एस्बेस्टस...