Friday, April 19, 2024

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नव-उदारवाद ने भारत को बनाया या बिगाड़ा?

नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के जो परिणाम आज हम देख रहे हैं, उसके लिए सिर्फ मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना इंसाफ नहीं होगा। बल्कि इसकी जिम्मेदारी उन तमाम सरकारों पर आएगी, जिन्होंने पिछले तीन दशक में इन नीतियों पर...

किसान आंदोलन तैयार कर रहा है बदलाव की नई जमीन

कल के टेलिग्राफ में प्रभात पटनायक का एक लेख है — A Promethian moment ( The farmer’s agitation challenges theoretical wisdom)। बंधन से मुक्ति का क्षण; किसानों के आंदोलन ने सैद्धांतिक बुद्धिमत्ता को ललकारा है। जाहिर है, यह किसान आंदोलन...

झारखंड में ‘प्रभात खबर’ और ‘हिंदुस्तान’ ने पत्रकारिता को बेच खाया है!

क्या झारखंड में 'प्रभात खबर' और 'हिन्दुस्तान' अखबार सीआरपीएफ से डरते हैं? सवाल थोड़ा अटपटा जरूर है, लेकिन जब आप इस खबर को पढ़ेंगे, तब आपको इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा। दरअसल झारखंड ही नहीं पूरे देश में...

पत्रकार प्रभात शुंगलू का प्रसून जोशी को खुला ख़त

(मॉब लिंचिंग के मसले पर 49 बुद्धिजीवियों, फिल्मकारों और समाज शास्त्रियों के लिखे खत के जवाब में 60 दूसरे लोगों ने पत्र लिखा है। इसमें प्रसून जोशी, मधुर भंडारकर और कंगना राणावत जैसे फिल्म उद्योग से जुड़े तमाम लोग...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।