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बीच बहस

फॉक्सकॉन और विवाहित महिलाएं : प्रिय पुरुषों, आप कार्यस्थल पर चमक सकें, इसके लिए आपकी पत्नियों ने क्या-क्या त्यागा? 

वर्षों तक, ‘प्रगतिशील पुरुष’ ‘महिलाओं को कार्य करने देने’ के लिए प्रशंसा पाते रहे हैं जबकि हमेशा से यह महिलाएं ही हैं जिन्होंने बाकी हर [more…]

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बीच बहस

अपनी-अपनी गुलामी चुनने की आज़ादी

‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे/बोल ज़बाँ अब तक तेरी है/तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा/…जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले/बोल कि सच ज़िंदा है अब तक/बोल [more…]

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ज़रूरी ख़बर

कुशीनगर के जोगिया जनूबी पट्टी में लग गया लोक संस्कृतियों का मेला, उद्घाटन के साथ ही जम गया रंग

फाजिलनगर (देवरिया)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के जोगिया जनूबी पट्टी में 14 अप्रैल की शाम दो दिवसीय लोक रंग महोत्सव की शुरूआत हुई। महोत्सव [more…]

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संस्कृति-समाज

किताब समीक्षा: प्रगतिशील आंदोलन पर गंभीर चर्चा करने वाली किताब है ‘तरक़्क़ीपसंद तहरीक की रहगुज़र’

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जाने-माने लेखक, समीक्षक और समकालीन समस्याओं पर समान रूप से कलम चलाने वाले पत्रकार जाहिद खान की हाल ही में आई किताब ‘तरक़्क़ीपसंद तहरीक की [more…]

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संस्कृति-समाज

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की परम्परा एक सामूहिक प्रगतिशील परम्परा थी

जिस प्रेमचन्द के निधन पर उनके मुहल्ले के लोगों ने कहा कि कोई मास्टर था जो मर गया, जिस प्रेमचन्द की  अत्येंष्टि  में दस बारह [more…]

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संस्कृति-समाज

डॉ.कमला प्रसाद: प्रगतिशील आंदोलन का अनथक योद्धा

सज्जाद जहीर और भीष्म साहनी के बाद प्रगतिशील लेखक संघ को एक नई दिशा व ऊर्जा देने वाले डॉ. कमला प्रसाद पांडेय समूची साहित्यिक बिरादरी [more…]

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संस्कृति-समाज

हमारे जिया भाई: इतिहास का एक अहम दौर जिनकी आंखों से होकर गुजरा!

इलाहाबाद के प्रगतिशील राजनीति और साहित्य से जुड़ा हर व्यक्ति जिया भाई को जानता ही जानता है, वे इन दोनों ही क्षेत्रों में शहर के [more…]

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ज़रूरी ख़बर

पुण्यतिथि पर विशेष: बेहद उदात्त शख्सियत के मालिक थे मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचन्द के जीवन और व्यक्तित्व के बारे में जो भी तथ्य मिलते हैं उनसे अन्ततोगत्वा इसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि वे एस [more…]

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संस्कृति-समाज

सज्जाद ज़हीर : तरक्की पसंद तहरीक की जिंदा रूह

हिंदुस्तानी अदब में सज्जाद जहीर की शिनाख्त, तरक्की पसंद तहरीक के रूहे रवां के तौर पर है। वे राइटर, जर्नलिस्ट, एडिटर और फ्रीडम फाइटर भी [more…]

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बीच बहस

पुनरुत्थान की बेला में परसाई को भूल गए प्रगतिशील!

हिन्दी की दुनिया में प्रचलित परिचय के लिहाज से हरिशंकर परसाई सबसे बड़े व्यंग्यकार हैं। इसमें कोई झूठ नहीं है पर सिर्फ़ इतना परिचय उनकी [more…]