जब मानवाधिकार आयोग भी पढ़ने लगा मनुस्मृति के कसीदे!
पिछले एक दशक से जातिगत पदानुक्रम को वैध बनाने और जातिगत उत्पीड़न को पवित्र मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, लेकिन शायद इसके बारे में [more…]
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