लॉकडाउन के बाद मुझे सबसे ज्यादा किस चीज़ की उम्मीद होनी चाहिए? सबसे पहले मुझे बहुत बारीकी से तैयार किया गया जवाबदेही का एक बहीखाता चाहिए।
24 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर 138 करोड़ इंसानों...
कोरोनावायरस की महामारी ने पूंजीवाद के इंजन को रोक दिया है। परन्तु यह एक अस्थाई स्थिति है। आज जब पूरी मनुष्य जाति कुछ समय के लिए अपने घरों में कैद है तब धरती ने खुद ही अपने ज़ख्म भरने...
भारतीय अभिजात मीडिया और सत्ता-प्रतिष्ठान की बेनाम प्रवासी मजदूरों की आकस्मिक और हृदय को छू जाने वाली त्रासदी की खोज के बारे में मैं रोज़ पढ़-सुन रही हूँ। ऐसा लगता हैं ये सब टीकाकार समकालीन इतिहास के साथ-साथ अनेक...
नई दिल्ली। लेखिका और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय ने कोरोना महामारी को भी सांप्रदायिक रंग देने के सरकार के मंसूबों पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि हालात जेनोसाइड की तरफ़ बढ़ रहे हैं। उनका कहना था कि...
नई दिल्ली। पूंजीवाद ने किताबों को उत्पाद बनाने के साथ ही दो तरह का खेल शुरू किया, पहला किताबों के प्रकाशन-उत्पादन को पाठक की पसंद के दायरे तक सीमित किया। दूसरा किताबों का मूल्य अधिक रखकर इसे वर्ग विशेष...
10 मार्च को हिंदी प्रकाशन की दुनिया में सामाजिक विज्ञान के अनन्य प्रकाशन ग्रंथ शिल्पी के संचालक श्याम बिहारी राय की सक्रियता पर विराम लग गया । हिंदी प्रकाशन में साहित्य के अतिरिक्त कुछ भी स्तरीय देखना जब असम्भव...
आजादी के आंदोलन के
महत्वपूर्ण नेताओं को देखें तो हम पाएंगे कि अधिकांश लोग देश में अंग्रेजी शिक्षा
प्राप्त करके ब्रिटेन में पढ़ने गए, वहां जाकर उन्होंने
देखा कि वहां सामाजिक भेदभाव लगभग नहीं था, महिलाओं की भागीदारी
शिक्षा में बहुत थी यह...
जयपुर। सूचना के अधिकार के क्षेत्र में देश को रास्ता दिखाने वाले राजस्थान
सरकार ने एक बार फिर एक नई पहल की है। उसने तमाम ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक करने की
शुरुआत कर दी है जिसके लिए अभी तक लोगों को...