उनको डर लगता है
आशंका होती है
कि हम भी जब हुए भूत
घुग्घू या सियार बने
तो अभी तक यही व्यक्ति
ज़िंदा क्यों?
मुक्तिबोध
ऐसे समय में जब व्यक्तिगत ख्याति प्राप्त करने की चाह अधिकांश मध्यमवर्गीय बुद्धिजीवियों-नेताओं-पत्रकारों-साहित्याकारों में हिलोरे मार रही है, सब को...
मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के विचारों में समाजवादी समाज और समाजवादी राज्य के अंगों की जो कटी-छँटी छवियाँ थीं, उन्हें रूस में नवंबर क्रांति और सोवियत संघ के विकास के साथ पहली बार एक समग्र, एकजुट छवि की पहचान...
वह आंदोलनों का सच्चा समर्थक है। खुद भी आंदोलनकारी रहा है। अब भी आंदोलनकारी ही है। जीवन भर उसने तन, मन और धन लगाकर एक बेहतर समाज के लिए योगदान किया है। इस जुनून के कारण उसने यातना भी...
नई दिल्ली। कोरोना से कारगर तरीके से निपटने के मामले में केरल को भले ही देश की जनता और सरकारों की तरफ से वह तवज्जो न मिल पायी हो जिसकी दरकार थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय जगत ने उसे यह तमगा...