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बीच बहस

अमेरिका के नागरिक संगठनों ने सिनेमा मालिकों से ‘द केरला स्टोरी’ का प्रदर्शन रोकने की मांग की

ब्रिटेन के बाद अमेरिका में भी ‘द केरला स्टोरी’ फ़िल्म का प्रदर्शन विवादों में घिर गया है। अमेरिका के तमाम नागरिक संगठनों ने इसे समुदायों [more…]

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संस्कृति-समाज

आधे सफर का हमसफरः वे कहानियां जिन्हें प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए था

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‘लोग इन कहानियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सच कहूं तो ये मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रही हैं। ये वे कहानियां हैं जिन्हें प्रकाशित नहीं [more…]

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ज़रूरी ख़बर

पकड़ी गयी 21 हजार करोड़ हेरोइन की इनसाइड स्टोरी

यह घटनाक्रम शुरू होता है 15 सितंबर को। गुजरात के तट के पास से एक ईरानी नौका समुन्दर में देखी जाती है ‘‘जुम्मा’’ नामक नौका [more…]

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संस्कृति-समाज

रांगेय राघव की पुण्यतिथि: शोषण की घुटन सदैव नहीं रहेगी

रांगेय राघव हिंदी के सर्वोच्च रचनाकारों में से एक हैं। वे विलक्षण रचनाकार थे, जिनके लिए लिखना ही जीवन था। उन्होंने कम उम्र में विपुल [more…]

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बीच बहस

‘जुर्माना’ कहानी की समीक्षा के बहाने: पसमांदा समाज के महान कथाकार थे मुंशी प्रेमचंद

कथाकार प्रेमचंद की कहानी ‘ज़ुर्माना’ अशराफ बनाम पसमांदा के बीच अंर्तद्वन्द्व को समझने के लिए बेहतरीन कहानी है। इस कहानी को सस्ता साहित्य मंडल ने [more…]

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बीच बहस

जन्मदिन पर विशेष: अपने समय के अनूठे कथाकार पं चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

कहा जा सकता है जिन दिनों हिंदी कहानी घुटनों के बल सरक रही थी तब चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की मात्र तीन कहानियां पांव के बल [more…]

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बीच बहस

आलोचना पत्रिका के बहानेः बाजार और जंगल के नियम में कोई फर्क नहीं होता!

पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों [more…]

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लेखक

जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर [more…]

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संस्कृति-समाज

ख्वाजा अहमद अब्बास : समाजवाद जिनके जीने का सहारा था

ख्वाजा अहमद अब्बास मुल्क के उन गिने चुने लेखकों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने लेखन से पूरी दुनिया को मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम [more…]

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संस्कृति-समाज

मंटो की जयंती पर विशेष: जो बात की, खुदा की कसम लाजवाब की

उर्दू अदब के बेमिसाल अफसानानिगार सआदत हसन मंटो, आज ही के दिन यानी 11 मई, 1912 को अविभाजित भारत में लुधियाना के छोटे से गांव [more…]