Friday, April 19, 2024

tradition

आदिवासियों को समान नागरिक संहिता से बाहर रखना चाहिए: सुशील मोदी

सोमवार के दिन भाजपा सहित तमाम राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधियों के साथ संसदीय पैनल ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विभिन्न पहलुओं पर अपनी-अपनी राय रखी। भाजपा सांसद एवं क़ानूनी मामलों पर संसदीय पैनल के अध्यक्ष सुशील मोदी...

आजादी के 75 साल बाद भी खत्म नहीं हुआ जातिवाद:सुप्रीमकोर्ट

ऑनर किलिंग पर उच्चतम न्यायालय ने सख्त नाराजगी प्रकट करते हुए कहा है कि जातिवाद से प्रेरित यह हिंसा साबित करती है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश से जातिवाद का खात्मा नहीं हुआ है। इस तल्ख...

जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की परम्परा एक सामूहिक प्रगतिशील परम्परा थी

जिस प्रेमचन्द के निधन पर उनके मुहल्ले के लोगों ने कहा कि कोई मास्टर था जो मर गया, जिस प्रेमचन्द की  अत्येंष्टि  में दस बारह लोग ही मुश्किल से शामिल हुए थे, वह प्रेमचन्द अपने निधन के 85 साल...

आर्यन घोड़ों में क्या कमी थी जो यूनानी पेगासस को लाया गया?

पेगासस जासूसी काण्ड में बाकियों को जो बुरा लगा हो सो लगा हो अपन को तो अपने इधर के घोड़ों का अपमान बिल्कुल भी नहीं भाया। पेगासस यूनानी पौराणिक गाथाओं के बड़े जबर घोड़े हैं- उनकी रफ़्तार और ऊंचाई...

थम गईं उंगलियां तो बेजान हो जाएंगी कठपुतलियां!

वाराणसी। वृद्ध इमरती की उंगलियों में कठपुतलियों की जान बसती है। 72 साल के इमरती जब अपनी उंगलियों को नचाते हैं तो कठपुतली के नाचने के साथ ही लोक कला की मरती दुनिया का सच सामने आ जाता है...

बौद्ध श्रमण चिन्तन परम्परा के चिन्तक प्रो. तुलसीराम

बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति’ में लिखा है कि भारतीय इतिहास दो संस्कृतियों के बीच संघर्ष का इतिहास है। ये दो संस्कृतियाँ हैं- वैदिक ब्राह्मण संस्कृति तथा बौद्ध श्रमण संस्कृति। एक तरफ जहाँ वैदिक...

भारतीय समाज में बर्बरता और क्रूरता की इंतहा था केरल का स्तन टैक्स

लगभग संपूर्ण भारतीय इतिहास हमेशा से, हर काल में कुछ घोर जातिवादी वैमस्यता, वर्णवादी अशिष्टता की कलुषित विचारधारा अपने मन मस्तिष्क और दिल में रखने वाले कुछ निकृष्ट व अमानवीय व दरिंदे पुरूषों द्वारा लिखा गया है, जो इस देश के 85 प्रतिशत बहुजनों, आदिवासियों, शूद्र...

हिंदुत्व के मठ में राजा सुहेलदेव का पाठ

(यूपी में बीजेपी केवल सत्ता नहीं चला रही है। बल्कि वह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी सक्रिय है। बात यहीं तक सीमित रहती तो भी कोई बात नहीं थी बल्कि अपने आधार को बढ़ाने तथा भविष्य में...

आदिवासी समाज में व्यवस्थित पतन के कई कारण: सालखन मुर्मू

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू आदिवासी समुदाय में जागरूकता एवं शिक्षा का अभाव, अंधविश्वास ग्रस्त होना, राजनीतिक भागीदारी का अभाव, उनकी संख्या में निरंतर गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि झारखंड और बृहद झारखंड क्षेत्र के प्रमुख...

जयंती पर विशेष: रुढ़िवादी परंपराओं और दकियानूसी बेड़ियों को तोड़कर सावित्रीबाई ने रचा इतिहास

आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले की 190 वीं जयंती हैं। 19वीं शताब्दी में उनके द्वारा किये गए साहसिक कार्यों को आज 21वीं सदी में भी जब हम देखते हैं, तो हमें आश्चर्य होता है, और...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।