मौलाना हामिद हसन कादरी और मैकश अकराबादी की अदबी सोहबतों में उनका शे’री शौक परवान चढ़ा। तालीम पूरी होने के बाद, उन्होंने कुछ दिन वकालत की। शायराना मिज़ाज की वजह से उन्हें यह पेशा ज्यादा समय तक रास...
उर्दू अदब में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का मुकाम एक अजीमतर शायर के तौर पर है। वे न सिर्फ उर्दू भाषियों के पसंदीदा शायर हैं, बल्कि हिंदी और पंजाबी भाषी लोग भी उन्हें उतनी ही शिद्दत से मोहब्बत करते हैं।...
यह सन् 1998 की बात है। तब मैं प्रकाशन विभाग से निकलने वाली उर्दू मैगजीन आज कल में सब एडिटर था और मेरे संपादक थे शम्सुर्रहमान फारूकी के भाई महबूब रहमान फारूकी साहब। तब शम्सुर्रहमान साहब का एक मजमून...
दबंग फिल्म में सलमान खान का dialogue आपने सुना होगा ‘मैं दिल में आता हूं समझ में नहीं’। गुलाम अली की वो गज़ल भी कभी न कभी आपके कानों से होकर गुज़री होगी, ‘हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी...
अब ना मैं हूं ना बाक़ी हैं ज़माने मेरेफिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरेकुछ ऐसे ही हालात हैं, शायर राहत इंदौरी के इस जहान-ए-फानी से जाने के बाद। उनको चाहने वाला हर शख्स, इस महबूब शायर को...
आधुनिक रंगमंच में हबीब तनवीर की पहचान लोक को पुनर्प्रतिष्ठित करने वाले महान रंगकर्मी की है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 सितम्बर, 1923 को जन्मे हबीब तनवीर, रंगमंच में अपने आगाज से लेकर अंत तक उन सांस्कृतिक मूल्यों-रंगों...
क़ैफी आज़मी, तरक्कीपसंद तहरीक के अगुआ और उर्दू अदब के अज़ीम शायर थे। तरक्कीपसंद तहरीक को आगे बढ़ाने और उर्दू अदब को आबाद करने में उनका बड़ा योगदान है। वे इंसान-इंसान के बीच समानता और भाईचारे के बड़े हामी...
उर्दू पर दिल्ली में होने वाला सालाना जलसा जश्न-ए-रेख्ता पिछले दिनों भारी भीड़ के साथ संपन्न हुआ। एक भाषा को लेकर इतने सारे लोगों की मोहब्बत देखकर एकबारगी किसी को भी ताज्जुब हो सकता है। उर्दू की रगें झनझनाने...