युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित और करनपाल I ये दस लोग कौन हैं I ये दस अपराधी हैंI ये वो हैं जिन्होंने मोहम्मद कासिम नाम के भारतीय नागरिक को पीट-पीटकर जान से मार डाला थाI
13 मई 2025 मंगलवार को हापुड़ की एक अदालत की Additional Sessions Judge Shweta Dixit ने इन 10 अपराधियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इन लोगों ने कासिम को पेचकस और अन्य धारदार चीजों से तब तक गोदा जब-तक कि वह अधमरा नहीं हो गया। बाद में कासिम की मौत हो गई।
पहले तो पुलिस ने इसे सामान्य कहा-सुनी का मामला बनाने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसे मॉब लिंचिंग के मामले के तौर पर दर्ज किया गया। लोकल पुलिस हर हाल में अपराधियों को बचाना चाहती थी। इस तथ्य के सबूत उपलब्ध हैं कि जिस समय ये अपराधी कासिम को मार-काट रहे थे, उस समय उत्तर प्रदेश की पुलिस अपराधियों को सुरक्षा प्रदान कर रही थी। पुलिस के द्वारा घटना के समय अपराधियों को सुरक्षा प्रदान किए जाने के एक वीडियो के आधार पर बाद में कुछ पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया गया था।
अगर मामला सुप्रीम कोर्ट तक ना गया होता, तो इन दसों अपराधी को बेकसूर बता दिया जाता और कासिम की हत्या के लिए किसी को भी सजा नहीं मिलती।
वो घटना 18 जून, 2018 को घटी, लेकिन मॉबलिंचिंग की FIR सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद 4 नवंबर 2018 को दर्ज़ हुई I यानि उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत FIR पांच महीने में लिखी गयी I इतने महीनों तक पुलिस और प्रशासन आरोपियों को बचाने में लगे रही I
दिवंगत कासिम की ओर से पेश हुए वकीलों में से एक सौतिक बनर्जी ने बताया कि कासिम के परिवार ने अदालत में कहा कि आरोपियों को मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए I कासिम के परिजनों ने अदालत से कहा कि वे बदला नहीं चाहते I वे केवल न्याय चाहते हैं।
PTI के स्त्रोत से मिली इस एक फोटो को ध्यान से देखिए I इस फोटो में जो लड़के कासिम को मार रहे हैं, उनमें से ज्यादातर की उम्र 20 से 25 साल के बीच की लगती है। हो सकता है कि इनमें से कई अपने घरों के इकलौते लड़के हों। हो सकता है इनमें से कई अपराधियों के छोटे-छोटे बच्चे हों। अगर इस तरह देखें तो इस बात को कहने में कोई गुरेज़ नहीं होना चाहिए कि हिन्दुत्व की राजनीति ने मां-बाप से उनके बेटे, बच्चों से उनके पिता, और औरतों से उनका सिंदूर छीना है।
जो युवा अपने माता-पिता का सहारा बन सकते थे, जो अपने बच्चों का पालन-पोषण कर सकते थे, जो अपनी पत्नी के साथ प्यार भरा जीवन जी सकते थे, अब उन्हें अपनी पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे अपराधी बनकर काटनी होगी I क्या ये युवा अब भी सोच पाएंगे कि उन्हें अपराधियों की जिंदगी, हिन्दुत्व की राह पर चलने के कारण मिली है।
क्या युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित व करनपाल कभी इस बात का पता लगा पाएंगे कि हिन्दुत्व के जिन पैरोकार लोगों ने इन्हें अपराध की दुनिया में धकेला है, उन लोगों के अपने बच्चे क्या कर रहे हैं, उनके बच्चे कैसी जिन्दगी जीने की तैयारी कर रहे हैं, और वे कैसी जिंदगी जी रहे हैं ? क्या ये 10 लोग कभी इस बात को समझ पाएंगे कि इन्होंने हिन्दुत्व की राजनीति करने वालों के घर रोशन करने के लिए, अपने घरों में आग लगा दी है।
10 अपराधियों को सजा मिलने की खबर जहां एक और न्याय और न्यायपालिका में विश्वास जगाती है, वहीं इस खबर को अगर उन 10 अपराधियों के परिवारों की नजर से देखें तो यह एक चिंताजनक खबर भी है। हिंदुत्व की राजनीति से जो नफरत की खेती हुई है उसकी जहरीली फसल को खाने और पचाने के कारण, ये 10 लोग अपराधी बन गये। हिंदुत्व की राजनीति ने इनके भीतर धर्म के आधार पर इतनी हिंसा भर दी थी कि वह अपराध के रूप में सार्वजनिक हो गई।
क्या इनके परिवारों को पता रहा होगा कि उनके घरों के लड़के, हिंदुत्व की राजनीति के जहर को पी रहे हैं, जो ज़हर एक दिन उनके घरों में अंधेरा कर देगा। हालांकि हापुड़ के इस केस में कुल मिला कर 11 घरों में अंधेरा होने से हिंदुत्व की राजनीति करने वालों के घर जरूर रोशन हो रहे होंगे। लेकिन कासिम सहित, 10 घरों में हिंदुत्व की राजनीति ने अंधेरा भर दिया।
युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित और करनपाल को मिली आजीवन कारावास की खबर से तमाम परिवारों को यह सबक सीखना चाहिए कि वे इस बात का घ्यान रखें कि कहीं उनके बच्चे हिन्दुत्व की राजनीति के द्वारा बांटें जा रहे जहर को,पी तो नहीं रहे। सभी परिवारों को अपने बच्चों की संगत पर गहरी नजर रखने की जरूरत है, ताकि वे अन्य बुरी संगतों के साथ-साथ हिन्दुत्त्व का जहर फैलाने वाले लोगों की संगत से भी अपने बच्चों को बचा सकें।
(बीरेंद्र सिंह रावत शिक्षा विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं)