असम सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, बाल विवाह में गिरफ्तार सभी आरोपियों को रिहा करने के दिए आदेश

Estimated read time 1 min read

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पॉक्सो जैसे कठोर कानून और बाल विवाह के आरोपियों पर रेप के आरोप लगाने के लिए असम सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये बेहद अजीब आरोप हैं। असम में बाल विवाह को लेकर कार्रवाई के संबंध में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस कदम को गलत करार देते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से लोगों के जीवन बर्बाद हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या ये कोई रेप केस है जो राज्य सरकार इस तरह से लोगों को हिरासत में ले रही है?

जस्टिस सुमन श्याम की एकल पीठ ने अग्रिम जमानत और अंतरिम जमानत के लिए आरोपियों के एक समूह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रभाव से जमानत पर रिहा करने की मंजूरी दी।

एकल पीठ ने कहा कि इस तरह ऐसे मामलों में अब आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं है। एकल पीठ ने कहा कि यह लोगों के निजी जीवन में तबाही मचा रहा है। इसमें बच्चे, परिवार के सदस्य, बूढ़े लोग शामिल हैं।

दरअसल असम सरकार ने बाल विवाह को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। सरकार के आदेश पर लगातार गिरफ्तारियां की जा रही हैं। ऐसे में अब इस मामले पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों से लोगों के निजी जीवन में तबाही पैदा हो सकती है।

एकलपीठ ने कहा कि इस तरह ऐसे मामलों में अब आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं है।

एकलपीठ ने कहा कि यह हिरासत में पूछताछ का मामला नहीं है। आप कानून के अनुसार कार्रवाई कर रहे हैं। हमारे पास अब कहने को कुछ नहीं है। अगर आपको कोई दोषी मिलता है तो उसके खिलाफ चार्जशीट दायर करें। उस पर मुकदमा चलाएं और अगर उन्हें दोषी ठहराया जाएगा तो वे दोषी हैं।

उन्होंने कहा कि ये नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज (एनडीपीएस), स्मगलिंग या संपत्ति की चोरी से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। इन मामलों में गिरफ्तारियों से लोगों के निजी जीवन में तबाही आ सकती है। इन मामलों में बच्चे, परिवार के सदस्य और बुजुर्ग लोग जुड़े होते हैं। गिरफ्तारी बेशक कोई अच्छा आइडिया नहीं है। यह यकीनन बुरा विचार है।

दरअसल बाल विवाह के मामलों में 14 फरवरी तक 4225 मामले दर्ज हुए हैं जबकि 3031 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई तीन फरवरी को शुरू हुई थी और उस समय 4004 एफआईआर दर्ज की गई थीं। असम सरकार की कार्रवाई पर इसलिए सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि सालों पुराने मामलों में अब कार्रवाई हो रही है।

असम की हिमंता सरकार लगातार ‘बाल विवाह’ के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। सरकार के आदेश पर गिरफ्तारियां हो रही हैं, साथ ही कई लड़कियों ने आत्महत्या तक कर ली है। असम सरकार का साफ मानना है कि बाल विवाह कानून का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने नाबालिगों को यौन अपराधों से बचने के लिए ठोस कानून के तहत आरोपों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। बाल विवाह के अपराधों के आरोपियों को पुलिस लगातार गिरफ्तार करके अस्थायी जेलों में डाल रही है।

असम की महिलाएं इसका विरोध कर रही हैं, क्योंकि वे (पुरुष) परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं। विशेषज्ञों ने भी बाल विवाह के मामलों में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट को लागू करने की वैधता पर भी संदेह जताया है।

पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए 9 आरोपियों को गिरफ्तारी से पहले ही जमानत देते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा, ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें पूछताछ की जरूरत हो।

जस्टिस सुमन श्याम ने कहा कि आप कुछ भी जोड़ सकते हैं। यहां पॉक्सो (आरोप) क्या है? केवल इसलिए कि पॉक्सो को इसमें जोड़ा गया है, क्या इसका मतलब यह है कि हम (जज) यह नहीं देखेंगे कि ये क्या है? हम यहां किसी को बरी नहीं कर रहे हैं। कोई भी आपको जांच करने से नहीं रोक रहा है।

कोर्ट ने एक दूसरे केस की सुनवाई करते हुए कहा कि क्या यहां कोई बलात्कार के आरोप हैं। फिलहाल, इस कोर्ट की राय है कि ये ऐसे मामले हैं जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। अगर आप किसी को दोषी पाते हैं, तो चार्जशीट दायर करें।

कोर्ट ने कहा कि यह लोगों के निजी जीवन में तबाही मचा रहा है। इसमें बच्चे, परिवार के सदस्य, बूढ़े लोग शामिल हैं। जाहिर तौर पर बाल विवाह बुरा विचार है। हम अपने विचार देंगे, लेकिन फिलहाल मुद्दा यह है कि क्या गिरफ्तार किए गए लोगों को जेल में डाला जाना चाहिए?

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 28 जनवरी को कहा था कि महिलाओं को ”उचित उम्र” में मां बनना चाहिए क्योंकि इससे चिकित्सकीय जटिलताएं पैदा होती हैं। एक सरकारी समारोह में बोलते हुए हिमंता सरमा ने कम उम्र में शादी और मातृत्व को रोकने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

उनका यह बयान राज्य सरकार के बाल विवाह और कम उम्र में मातृत्व की जांच के लिए कड़े कानून लाने और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पाक्सो) अधिनियम को लागू करने के निर्णय की पृष्ठभूमि में आया है।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि अगले पांच-छह महीनों में हजारों पतियों को गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि 14 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना अपराध है, भले ही वह कानूनी रूप से विवाहित पति ही क्यों न हो। महिला की शादी की कानूनी उम्र 18 साल है और कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि कई (लड़कियों से शादी करने वाले पुरुष) को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। मातृत्व के बारे में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को मां बनने के लिए बहुत लंबा इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे जटिलताएं पैदा होती हैं। मातृत्व के लिए उपयुक्त आयु 22 वर्ष से 30 वर्ष है।

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत 23 जनवरी को हुई, जब असम सरकार ने कहा कि राज्य में मातृ मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर के बढ़ जाने की सबसे बड़ी वजह बाल विवाह है।

सरकार ने ये भी कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक असम में 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले शादी करने वाली महिलाओं की संख्या करीब 32 फीसदी है। राज्य में क़रीब 12 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो बालिग़ होने से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं और ये दोनों ही आंकड़े राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा हैं।

राज्य सरकार की हरी झंडी मिलते ही असम पुलिस ने उन लोगों की धरपकड़ शुरू कर दी थी जिन पर बाल विवाह करने या उसमें शामिल होने का इल्ज़ाम था। कुछ ही दिनों में चार हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज कर लिए गए और करीब 2800 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया। गिरफ़्तार किए गए लोगों में महिलाएं भी शामिल हैं।

चूंकि राज्य की जेलें पहले से ही खचाखच भरी हुई हैं इसलिए गिरफ़्तार किए गए लोगों को कई जगह अस्थायी जेलों में रखा जा रहा है। इस अभियान के तहत ये मामले बाल विवाह निषेध अधिनियम और ‘प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसिस एक्ट’ या पॉक्सो कानून के तहत दर्ज किए गए हैं।

(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author