देश में बेरोजगारी दर चिंताजनक ढंग से बढ़ रही

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भारत में बेरोजगारी की स्थिति कितनी भयावह हो गई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय को भी बेहद तीखी टिप्पणी करनी पड़ी है। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में सरकारी नौकरियों की कमी को highlight किया।  सीमित अवसरों के कारण योग्य उम्मीदवारों को नौकरी न मिल पाने से होने वाली कठिनाइयों पर न्यायालय ने गंभीर चिंता व्यक्त की, ” हमें आजाद हुए 80 वर्ष होने को आ रहे हैं, लेकिन सरकारी क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार पैदा कर पाना, ताकि सभी योग्य और इच्छुक लोगों को खपाया जा सके, एक छलावा बना हुआ है। जबकि योग्य उम्मीदवारों की कमी नहीं है।…….”

जिन स्टार्ट अप को लेकर एक समय ऐसा माहौल बनाया गया था, मानो बेरोजगारी की समस्या का अचूक इलाज खोज लिया गया है, अब उनके बारे में स्वयं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्वीकार किया कि भारतीय स्टार्टअप दरअसल स्टार्ट अप हैं ही नहीं, नये बिजनेस भर हैं। उन्होंने चीन के स्टार्ट अप के संदर्भ देकर भारतीय उद्योग जगत को ललकारा।

CMIE की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में रोजगार के अवसर घट रहे हैं। मार्च 2025 में श्रम बाजार सिकुड़ गया जिसमें 42लाख लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। इनमें से कुछ लोगों की नौकरी चली गई है और कइयों ने नौकरी की तलाश बंद कर दी है।

CMIE की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी में देश का श्रम बल 45.77 करोड़ से 42 लाख घटकर45.35 करोड़ रह गया। यह नवंबर 2024 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है। वहीं रोजगार की संख्या भी फरवरी के 41.91करोड़ से घटकर मार्च में 41.85 करोड़ रह गई। दिसंबर 2024 के बाद से लगातार 3महीनों में रोजगार में गिरावट देखने को मिली है।

श्रमबल और रोजगार में यह लगातार गिरावट अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत है। CMIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में बेरोजगारों की संख्या 3.86 करोड़ से घटकर 3.5करोड़ रह गई।

लेकिन इसका यह अर्थ निकालना भूल होगी कि 36 लाख को रोजगार मिल गया इसलिए बेरोजगारों की यह संख्या घट गई है। बल्कि सच्चाई इसके उलट है। सच्चाई यह है कि फरवरी में 36 लाख अधिक लोग सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहे थे।ये 36 लाख लोग रोजगार के अवसरों की कमी के कारण श्रम बाजार से बाहर निकल गए।

CMIE के अनुसार यही हाल पिछले साल भी था। बेरोजगारी दर मई 2024के 7%से बढ़कर जून में 9.2% हो गई थी, यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बढ़ी है ग्रामीण क्षेत्र में जहां यह 6.3%से बढ़कर 9.3% हो गई, वहीं शहरी क्षेत्र में यह 8.6%से बढ़कर 8.9%हो गई। न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है बल्कि लेबर पार्टिसिपेशन रेट भी बढ़ा है और रोजगार दर घटी है। LPR 40.8%से बढ़कर 41.4%होगया।रोजगार दर जो श्रम बल में रोजगार पाए लोगों का प्रतिशत बताता है, वह 38%से घटकर 37.6%हो गया।

अभी ट्रंप ने जो टैरिफ युद्ध शुरू किया है, उसका भारत जैसे देशों के उत्पादन और रोजगार पर बेहद गंभीर असर पड़ने की आशंका है।

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका से लेकर यूरोप तक प्रदर्शन हो रहे हैं। सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन तो स्वयं अमेरिका के अंदर हो रहे हैं।

जहां तक भारत की बात है, ऐसा लगता है कि अन्य सामानों के अलावा अमेरिका की निगाह मुख्यतः भारत के कृषि उत्पादों पर लगी है। चीन जो उसके कृषि उत्पादों का बड़ा आयातक था, उसके द्वारा भारी मात्रा में रेसिप्रोकल टैक्स लगाने के बाद अब अमेरिका भारत पर दबाव बनाकर अपने कृषि उत्पादों से भारत के बाजार को पाटने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बना रहा है।

इसके लिए वह भारत के किसानों को अभी जो थोड़ी बहुत सब्सिडी मिल रही है, उसे भी खत्म करवाना चाहता है, जबकि अपने किसानों को वह लाखों रूपये की सब्सिडी दे रहा है। जाहिर है । इससे भारत के बाजार सस्ते अमेरिकी गेहूं, सोयाबीन, कपास आदि से पट जाएंगे। इससे बड़े पैमाने पर कृषि अलाभकारी होती जाएगी और बड़े पैमाने पर किसान बेरोजगार हो जाएंगे।

मोदी सरकार ने जिस तरह अमेरिका के आगे आत्मसमर्पण किया है, उसके रहते इससे बेहतर उम्मीद नहीं की जा सकती। आज हालत यह है कि IIT तक से पढ़ाई किए हुए युवा बेरोजगार हैं या बेहद कम वेतन पर काम करने को अभिशप्त हैं।

जाहिर है ट्रंप द्वारा छेड़े गए टैरिफ वार से जो नई विश्वव्यवस्था बन रही है और AI जैसी नई टेक्नोलॉजी आने के बाद जो हालात बन रहे हैं, उससे अन्य बातों के साथ देश में रोजगार के मोर्चे पर स्थिति बेहद गंभीर होने जा रही है। आए दिन कर्ज में डूबे बेरोजगारों श्रमिकों किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं।

आज जरूरत इस बात की है कि रोजगार को केंद्र कर छात्र युवा संगठन, नागरिक समाज के साथ ही विपक्षी दल वैकल्पिक नीतियों के साथ सरकार को घेरने के लिए आगे बढ़ें।

(लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं।)

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