नई दिल्ली। ओटावा में खालिस्तानी एक्टिविस्ट निज्जर की हत्या के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कनाडा को महत्वपूर्ण खुफिया इनपुट मुहैया कराये थे। उसके बाद कनाडा ने खुद अपनी जांच में इस बात के नतीजे तक पहुंचा कि इस हत्या में भारतीय एजेंसियां शामिल हैं। इस नतीजे पर पहुंचने के बाद ही उसने पूरे प्लाट में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया। ऐसा पश्चिम के तमाम सहयोगी देशों के अधिकारियों का कहना है। इस बीच भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने पश्चिम पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
इन देशों के अधिकारियों का कहना है कि हत्या के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कनाडा को कुछ ऐसे संदर्भ मुहैया कराए जिससे उसे इस बात की जांच करने में मदद मिली कि इसमें भारतीय एजेंसियां शामिल हैं। धुंए के रूप में धुंधली दिखने वाली चीजें कनाडाई अधिकारियों द्वारा इकट्ठा किए गए राजनयिकों के बातचीत के टेपों के बाद और स्पष्ट हो गयीं जिनका नतीजा यह था कि प्लाट में भारतीय राजनयिक शामिल हैं।
हालांकि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत से कनाडाई एजेंसियों की जांच में पूरा सहयोग करने की अपील की है। अमेरिकी अधिकारी अपनी तरफ से भारत को किसी तरह का कूटनीतिक नुकसान न हो इसकी पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के शामिल होने के खुलासे ने भारत और कनाडा के बीच छिड़े राजनयिक युद्ध के दौरान उसके सामने उस समय एक खतरा पैदा कर दिया है जब वाशिंगटन भारत के साथ एक नजदीकी रिश्ता विकसित करना चाहता है।
अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका को हरदीप सिंह निज्जर के मारे जाने के पहले तक प्लाट जिसमें भारत के शामिल होने की बात कही गयी थी, की जानकारी नहीं थी।
हत्या से पहले कनाडाई अधिकारियों ने निज्जर को बताया था कि वह खतरे में है। निज्जर के ढेर सारे मित्र और सहयोगियों ने बताया कि उसके खतरे में होने की बात को कई बार उसे बताया गया था। इसके साथ ही उसको मंदिर जाने से बचने की चेतावनी भी दी गयी थी।
उसकी मौत के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने अपने कनाडाई पक्ष को बताया था कि प्लाट के बारे में वाशिंगटन के पास कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। और अगर उनके पास ऐसा कुछ होता तो ओटावा के साथ खुफिया एजेंसियों के चेतावनी देने के कर्तव्य के सिद्धांत के तहत वह उन्हें तुरंत देते।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अधिकारी जिन्होंने अपनी पहचान न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि कनाडाई अधिकारियों ने निज्जर को एक सामान्य चेतावनी दी थी। लेकिन यह बात नहीं बतायी थी कि वह भारत सरकार की किसी साजिश के निशाने पर है।
अमेरिका नियमित तौर पर आटोमैटिक तरीके से भारी मात्रा में अपने नजदीकी खुफिया सहयोगियों जिसमें कनाडा भी शामिल है, के साथ हासिल की गयी सूचनाओं को साझा करता रहता है। लेकिन हत्या के बारे में संबंधित सूचना जान बूझकर ढेर सारी खुफिया सूचनाओं के पैकेज के साथ साझा की गयी थी।
इस मसले पर ह्वाइट हाउस के एक अधिकारी ने कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। हत्या को लेकर अमेरिकी अधिकारी बातचीत नहीं करना चाहते हैं हालांकि नजदीकी सहयोगी होने के नाते अमेरिका जांच में कनाडा का सहयोग करना चाहता है, लेकिन इसके साथ ही वह इंडिया को भी अलग-थलग नहीं करना चाहता है। जो उसके लिए एक ऐसा पार्टनर है जिसके सहयोग से वह एशिया में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोक सकता है।
आरोपों-प्रत्यारोपों ने भारत और कनाडा के बीच एक राजनयिक खाई पैदा कर दी है। जिसका नतीजा यह रहा कि दोनों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निलंबित कर दिया। यहां तक कि भारत ने कनाडाई नागरिकों का वीजा भी निलंबित कर दिया है।
हालांकि हत्या और उसमें भारत के कथित तौर पर शामिल होने की घटना ने वाशिंगटन के अधिकारियों को अचरज में डाल दिया है। वैसे लोकतांत्रिक देश अभी तक अस्थिर देशों में इस तरह की कार्रवाइयां करते रहे हैं। अमेरिका ने कई देशों में इस तरह की कार्रवाइयों को अंजाम दिया है। वह पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन का मामला हो या कि अफगानिस्तान में अल जवाहिरी का या फिर लीबिया में कर्नल गद्दाफी और इराक में सद्दाम हुसैन का मसला रहा हो इन सभी कार्रवाइयों में उसका हाथ रहा है।
इस बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ इकट्ठा की गयी खुफिया जानकारियों को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि रॉयल कनाडाई मांट्रियल पुलिस की जानकारियों को किसी से साझा करने का वक्त नहीं है। इसके साथ ही सहयोगी देशों के अधिकारियों ने अमेरिका के साथ साझा की गयी खुफिया जानकारियों को भी बताने से इंकार कर दिया।
इस बीच खबरें ये आ रही हैं कि अमेरिका धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की तरफ बढ़ रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वाशिंगटन डीसी के माध्यम से भारत और कनाडा के बीच पर्दे के पीछे बातचीत कराने की कोशिश की जा रही है। यह उस समय करने की कोशिश है जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर न्यूयार्क में हैं और उन्होंने दुनिया को दोहरा चरित्र वाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की तर्ज पर बाजार के नाम पर बहुत कुछ किया जाता है। उनका इशारा जस्टिन ट्रूडो के बयान की तरफ था जिसमें वह बोलने की आजादी की स्वतंत्रता के नाम पर अपने देश में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का बचाव कर रहे हैं।
इस बीच कनाडा के रक्षामंत्री बिल ब्लेयर का एक बयान आया है जिसमें उन्होंने भारत के साथ अपने रिश्तों को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। रविवार को उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत उनका देश लगातार भारत से साझीदारी बढ़ाने का प्रयास करता रहेगा।
हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक निज्जर के गांव भारसिंहपुरा में उसके 79 वर्षीय चाचा हिम्मत सिंह ने स्थानीय लोगों से बातचीत में कहा कि सोचो ट्रूडो कितना बहादुर है कि उसने पीएम मोदी की सरकार को हत्या में शामिल होने का आरोप लगा दिया। उसके चाचा ने रायटर एजेंसी को बताया कि एक सामान्य आदमी के लिए उसे अपनी सरकार पर इतना बड़ा खतरा नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वह कनाडा से भारत के बिगड़ते राजनयिक रिश्ते और पंजाब में गिरती आर्थिक संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं।
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