उत्तराखंड: मंत्री ने मारपीट की, लपेटे में पीआरओ

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ऋषिकेश। तमाम लानत-मलानत के बाद आखिरकार उत्तराखंड सरकार ने बीच सड़क पर दबंगई दिखाकर हाली-मवालियों की तरह मारपीट करने वाले अपने कैबिनेट मंत्री को साफ बचा लिया गया है। पुलिस ने इस मामले में मंत्री के पीआरओ और उनके गनर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का सोमवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इस वीडियो में प्रेमचंद अग्रवाल, उनका पीआरओ, गनर और उनके कुछ सहयोगी एक युवक की बुरी तक पीटते हुए नजर आए थे। वीडियो जारी होने के बाद मंत्री ने मीडिया के सामने आकर सफाई दी थी कि युवक ने उनका कुर्ता फाड़ा था, उनके गनर की वर्दी फाड़ी थी और उनकी जेब में काफी सामान था, जो गायब हो गया था। हालांकि वीडियो देखने के बाद मंत्री का यह बयान खुद ही झूठ का पुलिंदा साबित हो गया था।

मंत्री प्रेमचंद की दबंगई वाली यह घटना मंगलवार को दोपहर बाद करीब 2ः00 बजे ऋषिकेश में हुई थी। बताया जाता है कि देहरादून रोड पर जाम लगा हुआ था। इसी दौरान ऋषिकेश के ही एक युवक सुरेन्द्र सिंह नेगी के साथ प्रेमचंद अग्रवाल की बीच सड़क पर बहस हो गई। युवक आरएसएस से जुड़ा बताया जाता है और दोनों यानी मंत्री और युवक एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। यह बात दोनों के बयानों से साफ है। विवाद क्यों शुरू हुआ, इस बारे में सभी के अलग-अलग तर्क हैं।

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की मानें तो सुरेन्द्र सिंह नेगी ने उन पर जानलेवा हमला किया, उनका कुर्ता फाड़ा। गनर की वर्दी फाड़ी। इसके बाद गनर और साथियों ने युवक के हमले से उन्हें बचाया। लेकिन, कुछ अन्य सूत्रों की मानें तो संभवतः किसी काम को लेकर दोनों के बीच-बहस हो गई थी और बात हाथापाई तक आ गई।

उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल

वीडियो में मंत्री युवक पर पहला थप्पड़ मारते दिख रहे हैं। इसके बाद उनका गनर और कुछ अन्य लोग युवक को पीटते हैं और बाद में इस सामूहिक पिटाई में मंत्री पूरी जोर-आजमाइश के साथ उतर जाते हैं। युवक को जमकर पीटा जाता है।

पुलिस ने मौके से ही सुरेन्द्र सिंह नेगी को उठा लिया था। मंत्री के गनर की शिकायत पर उसके खिलाफ कल ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया। लेकिन, मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। देहरादून के एसएसपी ने सफाई दी कि दूसरी तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दी जाएगी।

जबकि सच्चाई यह है कि सुरेन्द्र सिंह नेगी को पुलिस मौके से ही उठाकर ले जा चुकी थी और देर रात तक उसके परिवार को भी यह जानकारी नहीं थी कि वह कहां है। देर रात पुलिस ने परिवार वालों को बताया कि उसे घर भेज दिया गया है, जबकि वह घर पहुंचा ही नहीं था।

इस बीच मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक चाल और चली। इस घटना को जातीय रंग देने का प्रयास किया गया। अग्रवाल समाज की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें घटना को प्रेमचंद अग्रवाल पर किया गया जानलेवा हमला बताया गया और यह साबित करने का प्रयास किया गया कि यह हमला क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा साजिशन किया गया है। बयान में दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर जिस क्षेत्र के लोगों को टारगेट किया गया था, उनकी तरफ से भी इसी तरह के कुछ प्रयास किये गये।

अग्रवाल समाज का बयान

मंत्री को बचाने के प्रयास वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद से ही होने लगे थे। घटना के विरोध में एक तरफ जहां कांग्रेस और ऋषिकेश के अन्य लोगों ने थाने पर प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लगातार मंत्री जी की छीछालेदर होती रही। इसके बाद बुधवार को सरकार को इस पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत महसूस हुई। सुबह सबसे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेमचंद अग्रवाल का तलब किया।

इसके बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि मंत्री के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। दोपहर बाद थाना ऋषिकेश में पिटने वाले युवक सुरेन्द्र सिंह नेगी की तहरीर पर क्रॉस एफआईआर तो दर्ज हुई, लेकिन मारपीट वाले वीडियो में स्पष्ट रूप से मारपीट करते देखे जा रहे मंत्री को साफ बचा लिया गया। सिर्फ मंत्री के गनर और पीआरओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया। हालांकि उम्मीद यह जताई जा रही थी कि प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के साथ ही उनका मंत्री पद भी छीना जा सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ बेशक मामला दर्ज न किया गया हो, लेकिन सुरेन्द्र सिंह नेगी के तरफ से जो तहरीर पुलिस को दी गई, उसके अनुसार मुख्य आरोपी मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ही हैं। तहरीर के अनुसार जाम में मंत्री की गाड़ी और सुरेन्द्र नेगी की बाइक आसपास खड़ी थी। नेगी पीछे बैठे थे, उनका साथी धर्मवीर प्रजापति बाइक चला रहा था। सुरेन्द्र नेगी के अनुसार वह धर्मवीर से बातचीत कर रहा था तो मंत्री ने कार का शीश नीचे करके पूछा कि वह उनके बारे में क्या बोल रहा है।

जब कहा गया कि उनके बारे में कोई बात नहीं हो रही है तो उन्होंने मां-बहन की गालियां दीं। गाड़ी का दरवाजा खोल कर दो बार दरवाजे से सुरेन्द्र के घुटनों पर चोट मारी। विरोध किया तो वे गाड़ी से उतर गये और कहा कि तू सरकार की पावर नहीं जानता। गायब करवा दूंगा। इस बीच सुरेन्द्र और धर्मवीर भी गाड़ी से उतर गये। इसी बीच मंत्री के पीआरओ कौशल बिजल्वाण, उनके गनर और खुद मंत्री ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी और लात-घूंसों से बुरी तरह पीटा।

सुरेन्द्र नेगी की पिटाई करते मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल

यह पहला मौका नहीं है, जब प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में आये हों। भाजपा के टिकट के दम पर प्रेमचंद अग्रवाल ऋषिकेश में चुनाव बेशक जीतते रहे हों, लेकिन उन्हें लेकर लोग बहुत ज्यादा सकारात्मक नहीं रहे हैं। उन पर बेनामी संपत्ति अर्जित करने सहित कई आरोप लगाये जाते रहे हैं। 2017 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें विधानसभा स्पीकर बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने विधानसभा में जमकर बैकडोर भर्तियां कीं। जब मामला सामने आया तो बयान दे दिया कि सभी भर्तियां नियमानुसार की गई हैं। यह बात अलग है कि कथित रूप से नियमानुसार भर्ती किये गये सभी कर्मचारियों की सेवाएं मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने समाप्त कर दी। कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी।

पिछले वर्ष नवम्बर में हुए उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी प्रेमचंद्र अग्रवाल की भूमिका बेहद नकारात्मक रही। उस दौर में जब अंकिता की हत्या को लेकर पूरे उत्तराखंड में धरने-प्रदर्शन हो रहे थे, सड़कों पर जाम लगाये जा रहे थे। राज्यभर में बंद का आह्वान किया गया था, लोग उस वीआईपी का नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे, जिसे रिजॉर्ट में स्पेशल सर्विस देने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया गया था, उस दौर में प्रेमचंद अग्रवाल का एक शर्मनाक बयान सामने आया था। इस बयान में उन्होंने कहा था कि वीआईपी कोई व्यक्ति नहीं था, बल्कि संबंधित रिजॉर्ट का एक रूम है।

प्रेमचंद अग्रवाल पर अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जोड़ने के भी आरोप लगे हैं। पिछले वर्ष सितम्बर में कांग्रेस के एक नेता जयेन्द्र रमोला ने ऋषिकेश में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और प्रेमचंद अग्रवाल पर कई गंभीर आरोप लगाये थे। उनका कहना था विधानसभा स्पीकर रहते हुए अग्रवाल ने अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर करोड़ों की संपत्ति ली है और चुनाव नामांकन प़त्र में इस संपत्ति की जानकारी को छिपा दिया है।

रमोला ने सवाल उठाया था कि प्रेमचंद अग्रवाल की पत्नी और बेटा उन पर आश्रित हैं, फिर उनके नाम करोड़ों की संपत्ति कैसे बनाई दी गई। उन्होंने अग्रवाल पर विधानसभा स्पीकर रहने के दौरान विधानसभा में की गई बैकडोर नियुक्तियों में मोटी रकम लेने का भी आरोप लगाया था। आरोप यह भी था कि ऋषिकेश के भरत विहार में कोर्ट द्वारा विवादित खसरा नंबर के रूप में दर्ज की गई प्रॉपर्टी के मामले में तहसील प्रशासन की ओर से नियम विरुद्ध एनओसी जारी की गई और जमीन प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे के नाम दर्ज कर दी गई। हालांकि इस मामले में अग्रवाल के बेटे की ओर से जयेन्द्र रमोला के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था।

इससे पहले वर्ष 2018 में प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे को उपनल के माध्यम से सिंचाई विभाग में नौकरी देने के मामले को लेकर भी सियासी विवाद हुआ था। दरअसल उपनल का गठन पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को नौकरी देने के लिए किया गया है। लेकिन, राजनीतिज्ञ इसके माध्यम से अपने जानकारों को भी उपनल के माध्यम से सरकारी विभागों में संविदा पर नौकरी लगवाते रहे हैं।

प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे को उपनल के माध्यम से दी गई नौकरी को लेकर हुए विवाद के बाद आखिरकार उनके बेटे को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उस समय प्रेमचंद अग्रवाल ने बयान दिया था कि उनका बेटा इस नौकरी के योग्य था, इसलिए लगाया गया। इस पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ सहित कई संगठनों ने सवाल उठाया था कि क्या राज्य में उनके बेटे के अलावा कोई अन्य व्यक्ति योग्य नहीं है?

कुल मिलाकर उत्तराखंड की राजनीति में प्रेमचंद अग्रवाल के नाम कई विवाद दर्ज हैं। अब देखना यह है कि सरेआम मारपीट करने के बाद उन्हें पद से हटाया जाएगा या एफआईआर दर्ज करके खानापूर्ति कर दी जाएगी।

(उत्तराखंड के ऋषिकेश से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट)

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