देहरादून। पूरा देश जिस समय कोलकाता के अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई दरिन्दगी को लेकर पक्ष और विपक्ष की राजनीति में उलझा हुआ था, उसी दौरान उत्तराखंड में दो बेटियों की इज्जत लूट ली गई। एक बेटी का पहले सिर फोड़ा गया, फिर रेप करके उसे मार डाला गया। दूसरी बेटी के साथ तो राज्य की राजधानी के हर समय चहल-पहल वाले बस अड्डे पर सामूहिक बलात्कार किया गया। नाबालिग किशोरी के इस रेप में 34 साल से लेकर 57 साल तक के लोग शामिल थे।
हालांकि दोनों मामलों में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन, सवाल यह है कि ऐसा हुआ क्यों? इस राज्य में सड़क से लेकर बस अड्डे तक बेटियां सुरक्षित क्यों नहीं हैं? इन सवालों को लेकर पश्चिमी बंगाल को तो कटघरे में खड़ा किया जाता है, और किया भी जाना चाहिए। लेकिन, उत्तराखंड के मामले में क्या मौन इसलिए साध लिया जाता है क्योंकि यहां बीजेपी की सरकार है?
देहरादून के अन्तर्राज्यीय बस अड्डे पर 12-13 अगस्त की रात को एक नाबालिग किशोरी के साथ बस में पांच लोगों ने गैंगरेप किया। उसी रात पुलिस को घटना की जानकारी मिल गई थी और किशोरी को सरकार के संरक्षण में बालिका निकेतन भेज दिया गया था। आमतौर पर पुलिस कोई भी मामला दर्ज होने के एक दिन बाद जानकारी प्रेस को भेज देती है, लेकिन किशोरी के साथ गैंगरेप के मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज होने की जानकारी नहीं दी। 18 अगस्त को मीडिया में खबर आई तब जाकर पुलिस ने यह सूचना जारी की और पांच लोगों को गिरफ्तार किये जाने की बात कही।

पुलिस और मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीड़ित किशोरी पंजाब की रहने वाली है। माता-पिता की मृत्यु के बाद वह अपनी बहन और जीजा के पास मुरादाबाद यूपी में रह रही थी। बहन और जीजा ने उसे घर से निकाल दिया था। 12 अगस्त को मुरादाबाद से बस में सवार होकर वह दिल्ली आईएसबीटी पहुंची। शाम करीब 7 बजे के करीब कश्मीरीगेट बस अड्डे पर वह पंजाब जाने वाली बस के बारे में लोगों को पूछ रही थी।
इसी दौरान बस अड्डे पर उत्तराखंड रोडवेज की बस यूके 07-पीए 5299 देहरादून आने के लिए खड़ी थी। किशोरी ने बस के ड्राइवर धर्मेन्द्र कुमार निवासी ग्राम बंजारावाला ग्रांट, हरिद्वार से पंजाब जाने वाली बस के बारे में पूछा। किशोरी की स्थिति देखकर 32 साल के धर्मेन्द्र ने उसे शिकार बनाने की योजना बना डाली। उसने किशोरी से कहा कि देहरादून से पौंटा के रास्ते पंजाब जाना आसान है, वह देहरादून में उसे पंजाब वाली बस में बिठा देगा। किशोरी बस में बैठ गई।
बस तड़के 2 बजे के करीब देहरादून पहुंची। जब सभी सवारियां उतर गईं तो ड्राइवर धर्मेन्द्र ने बस के कंडक्टर 52 साल के देवेन्द्र पुत्र फूलचंद निवासी चुड़ियाला, भगवानपुर जिला हरिद्वार ने किशोरी को पंजाब की बस में बिठाने का झांसा देकर रोक लिया और उसके बाद बस में ही उसके साथ रेप किया। इसके बाद आसपास खड़ी दो अन्य बसों के ड्राइवरों 34 साल के रवि कुमार पुत्र दयाराम निवासी ग्राम सिला, थाना नवाबगंज फर्रुखाबाद यूपी और 57 साल के राजपाल पुत्र स्व. किशन सिंह निवासी बंजारावाला ग्रांट, जिला हरिद्वार ने भी किशोरी को हवस का शिकार बनाया। बस का कंडक्टर देवेन्द्र इसके बाद कैश जमा करवाने काउंटर पर गया। 38 साल का कैशियर राजेश कुमार सोनकर पुत्र स्व. लाल चंद्र सोनकर निवासी माजरा, पटेलनगर, देहरादून काउंटर पर बैठा था। देवेन्द्र ने उसे भी किशोरी के बारे में बताया। राजेश सोनकर भी बस में गया और उसने भी किशोरी के साथ रेप किया।
इसके बाद किशोरी किसी तरह बस से बाहर आ गई। आईएसबीटी में मौजूद गार्ड को किशोरी को संदिग्ध हालत में देखा तो इसकी सूचना चाइल्ड हेल्प लाइन को दी। चाइल्ड हेल्प लाइन ने किशोरी को रेस्क्यू किया और रात में ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। किशोरी को फिलहाल देहरादून के बालिका निकेतन में रखा गया है। आरोपियों को कोर्ट में हाजिर कर हिरासत में भेज दिया गया है।
उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में भी इसी दौरान कोलकाता जैसी घटना हुई। अस्पताल से घर लौट रही नर्स का सिर फोड़कर उससे बलात्कार किया गया और फिर हत्या करके उसका शव जंगल में फेंक दिया गया। पुलिस ने इस मामले में यूपी के बरेली जिले के तुरसा पट्टी निवासी धर्मेन्द्र पुत्र पूरनलाल को जोधपुर राजस्थान के बासनी से गिरफ्तार किया। यह घटना 30 जुलाई को हुई थी।
बरेली की रहने वाली एक नर्स रुद्रपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करती थी। 30 जुलाई की शाम को ड्यूटी खत्म करके वह घर लौट रही थी, लेकिन घर नहीं पहुंची। नर्स की बहन ने पुलिस में अपनी बहन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवाई थी।
पुलिस ने 8 अगस्त को नर्स का सड़ा-गला शव उत्तराखंड-यूपी के सीमा पर झाड़ियों में बरामद किया। नर्स का मोबाइल फोन गायब मिला। पुलिस ने मोबाइल का सर्विलांस पर लगा दिया। इससे पहले पुलिस ने कई सीसीटीवी कैमरों को खंगाल कर एक व्यक्ति का नर्स का पीछा करते हुए देखा था, लेकिन बाद में सीसीटीवी कैमरे न होने के कारण अंतिम स्थिति का पता नहीं चला था।
नर्स का मोबाइल पहली बार बरेली में खुला था। पुलिस वहां पहुंची तो वहां कोई नहीं मिला। इसके बाद फोन का लोकेशन राजस्थान के जोधपुर में मिला। ऊधमसिंह नगर पुलिस ने जोधपुर के बासनी से बरेली निवासी दिहाड़ी मजदूर धर्मेन्द्र को गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार धर्मेन्द्र ने बताया कि वह नशे का आदी है। जब नर्स पैदल जा रही थी तो उसने पीछा किया और मौका मिलते ही उसे घसीटकर झाड़ियों में ले गया। नर्स ने विरोध में हाथ-पैर मारे तो उसने नर्स का सिर जमीन में पटक दिया, जिससे उसका सिर फट गया। इसके बाद उसने नर्स का रेप किया और फिर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।
खास बात यह है कि नर्स के साथ हुए इस जघन्य कांड की कहीं कोई चर्चा नहीं हुई, न ही कोई बड़ी खबर छपी। जब कोलकाता में डॉक्टर के साथ दरिन्दगी का मामला सामने आया तब कुछ मीडिया रिपोर्ट में इसी तरह की वारदात उत्तराखंड में होने की बात सामने आई।
इन दोनों मामलों ने यह साफ कर दिया है कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार महिलाओं की सुरक्षा के बेशक कितने ही दावे करे, बेशक महिलाओं के सशक्तीकरण का ढोल पीटती रहे, लेकिन वास्तव में इस राज्य में सड़क से लेकर बस अड्डे तक कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
इसके साथ ही यह भी कि इस राज्य में महिलाओं के साथ होने वाले जघन्य अपराधों को रोकने के बजाय इस तरह की घटनाओं को खबरों में आने से रोका जा रहा है। देहरादून के आईएसबीटी में जहां रात-दिन लोग आते-जाते हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से बेहद असुरक्षित हो गया है। बस अड्डा परिसर में मास्ट लाइटें खराब हैं। बसें अंधेरे में खड़ी रहती हैं। इसी का फायदा उठाकर किशोरी से गैंगरेप किया गया।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के नरेश नौडियाल कहते हैं कि उत्तराखंड पुलिस ने दोनों मामलों में बेहद फुर्ती से काम किया। और ऐसा इसलिए हुआ कि इन दोनों मामलों में कोई वीआईपी या वीआईपी का बेटा शामिल नहीं था। वे कहते हैं तो उत्तराखंड में पुलिस अपराधियों का रसूख देखकर कार्रवाई करती है और जनता अपराधियों का धर्म देखकर आंदोलित होती है।
उनका कहना है कि इन दोनों मामलों में अपराधी यदि किसी दूसरे धर्म के होते तो पूरे उत्तराखंड में लोग सड़कों पर आ गये होते। वे कहते हैं कि समाज में अपराधों के प्रति स्वीकार्यता बढ़ गई है, यही वजह है कि संसद से लेकर राज्यों की विधानसभाओं और पंचायतों, नगर निकायों तक हम अपराधियों को चुनकर भेज रहे हैं।
देहरादून गैंगरेप मामले में सामाजिक कार्यकर्ता इमरान राणा पीड़ित पक्ष की मदद कर रहे हैं। वे कहते हैं पुलिस ने इस मामले में सराहनीय कार्रवाई की है, लेकिन पुलिस की कहानी में कुछ झोल भी है। पहली बात तो यह कि किशोरी पंजाब की नहीं बल्कि मुरादाबाद की है। उसके माता-पिता भी जीवित हैं, मीडिया रिपोर्ट में उसके माता-पिता के न होने और बहन-जीजा द्वारा घर से निकाल दिये जाने की बात कही गई है। इमरान राणा कहते हैं कि लड़की के पिता देहरादून पहुंच गये हैं। रविवार की रात खुद इमरान राणा ने उनसे मुलाकात की।
इमरान राणा के अनुसार किशोरी मूक-बधिर है और मानसिक रूप से पूरी तरह से ठीक नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि उत्तराखंड रोडवेज के आरोपी ड्राइवर और कंडक्टर को मुरादाबाद में ही किशोरी मिली होगी और उसकी स्थिति देखकर उन्होंने उसे अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए उठा लिया होगा। वे वहां से दिल्ली और फिर किशोरी को देहरादून ले आये होंगे, जहां उन्होंने किशोरी के साथ गैंगरेप किया। उन्होंने दावा किया कि ऊधमसिंह नगर मामले की मृतक नर्स भी मुस्लिम समुदाय की है।
सीपीआई-एमएल के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि आईएसबीटी जैसे बसों और लोगों के निरंतर आवागमन वाली जगह पर इस तरह सामूहिक दुष्कर्म की घटना होना बेहद चिंताजनक और सिहरन पैदा करने वाली है। पूरा देश इस समय कोलकाता, रुद्रपुर, मुज़फ़्फ़रपुर में दुष्कर्म और हत्या की घटनाओं से दहला हुआ है। लोग सड़क पर उतर कर अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। लगता है कि सामूहिक रूप से लोगों के उठ खड़े होने से इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगेगी और ठीक उसी बीच इस तरह की सामूहिक दुष्कर्म की घटना आपको झकझोर कर रख देती है।
वे कहते हैं कि आरोपियों को कठोर दंड मिले, यह तो जरूरी है, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? ऐसा लगता तो नहीं है। देहरादून में आईएसबीटी में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने वालों के ब्यौरे पर नज़र डालें तो ये सब सरकारी बसों के ड्राइवर-कंडक्टर हैं, जिन पर लोगों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने का जिम्मा है। एक डिपो का कैशियर है। अधेड़ उम्र के लोग हैं, इनके घरों में भी बहन-बेटियां होंगी, लेकिन एक अकेली और मानसिक रूप से अस्थिर लड़की को देखते हैं तो इनके भीतर मनुष्यता नहीं जागती बल्कि वहशीपन जाग उठता है।
इंद्रेश कहते हैं कि हम ऐसे कुंठाओं से भरे समाज में रह रहे हैं जहां आईएसबीटी जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर एक नाबालिग लड़की को हवस का शिकार बनाने में कोई झिझक नहीं महसूस होती, जबकि घटनास्थल से कुछ ही मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी भी है।
(देहरादून से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट)
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