पश्चिम बंगालः कोरोना काल में अवाम की जान जोखिम में, बीजेपी-तृणमूल की जारी हैं दनादन रैलियां

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बंगाल इस वक्त दो चीजों से जूझ रहा है। पहला चुनाव और दूसरा कोरोना। प्रदेश में पांच चरणों के मतदान हो चुके हैं। बाकी के बचे मतदानों के लिए चुनाव आयोग ने द्वारा कोरोना की गाइडलाइन जारी की है, लेकिन उसे कोई मानता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हर तरफ लोग कोरोना से परेशान हैं, लेकिन बंगाल में तो लग रहा है चुनाव के कारण यह छुट्टी पर है। इसी कारण राज्य की प्रमुख दो पार्टियां जमकर रैलियां कर रही हैं। उन रैलियां में हजारों की संख्या में लोग आ रहे हैं, जबकि कोरोना की दूसरी लहर की बात करें तो स्थिति भयावह है, लेकिन बंगाल में चुनाव चल रहा है इसलिए यहां सब मान्य है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तरह-तरह के मीम बनाए जाए रहे हैं। ट्विटर पर तरह-तरह के हैशटैग ट्रेंड चलाए जा रहे हैं, लेकिन सत्ता की भूखी राजनीतिक पार्टियों को इन सारी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

पश्चिम बर्दवान जिले की सभी नौ सीटों पर 26 अप्रैल को मत डाला जाएगा। साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में एक भी सीट पर बीजेपी ने फतह नहीं पाई थी। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 18 सीटों की विजय के साथ ही भाजपा ने बंगाल में पैर पसारने शुरू कर दिए थे। आज आलम यह है कि जब पूरे देश में कोरोना से हाहाकर मचा हुआ है तो पीएम मोदी और गृह मंत्री बंगाल में रैलियां कर रहे हैं।

17 अप्रैल को पीएम मोदी ने आसनसोल में एक जनसभा का संबोधित किया, जिसमें हजारों की संख्या में लोग आए। यहां कोरोना के किसी भी नियम का कोई पालन नहीं किया गया। इस रैली में कई लोग तो ऐसे भी थे, जिन्होंने मास्क भी सही से नहीं लगा रखा था। इस रैली के 24 घंटे के अंदर ही जिले में 369 कोरोना के नए केस पाए गए। भाजपा यही नहीं रुकी। इसके दो दिन बाद ही गृह मंत्री तृणमूल से भाजपा में शामिल हुए जितेंद्र तिवारी के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए पांडेश्वर विधानसभा आए। यहां भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था। कोरोना को लेकर लोग सजग नहीं थे और राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए इन्हें इस्तेमाल कर रही हैं। जिस वक्त गृह मंत्री पांडेश्वर में प्रचार करने आए, उस वक्त जिले में संक्रमितों की संख्या 21,000 तक पहुंच गई।  पिछले चार दिनों में लगभग एक हजार लोग संक्रमित हुए हैं। पिछले 24 घंटे में जिले में एक मौत के साथ ही पिछले तीन दिनों में लगातार पांच लोगों की मौत हो गई। इन सब में सोचने वाली बात यह है, जो सरकार अन्य राज्यों में लोगों को घर पर रहने की सलाह दे रही है। वह बंगाल में आते ही इसे क्यों भूल जा रही है।

रैली के मामले में तृणमूल भी पीछे नहीं है। आगामी 21 अप्रैल को सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आसनसोल के सेनरेले स्टेडियम में एक सभा तो संबोधित करेंगी। वहीं दूसरी ओर राज्य के कानून मंत्री मलय घटक के चुनाव प्रचार के लिए एक्ट्रेस अमिशा पटेल 20 अप्रैल को आसनसोल आ रही हैं। हैरान करने वाली बात यह कि शहर के इतने बड़े स्टील प्लांट सेल में जब रोज इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं तो इन रैलियों पर रोक क्यों नहीं? खबरों की मानें तो सेल में तो कोरोना का जैसे विस्फोट हो गया। यहां आए दिन बड़ी संख्या में लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। रविवार को सेल के 99 कर्मचारी, अधिकारी और उनके परिजन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जिस वक्त अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रत्याशियों द्वारा नामांकन भरा जा रहा था। जिस वक्त भी सेल में एक दिन में 14 कर्मचारी और रिटायर कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बावजूद भी सभी पार्टियों के प्रत्याशी ढोल, नगाड़ों के साथ भारी संख्या में नामांकन भरने गए थे।

हमेशा से भाजपा और पीएम मोदी पर प्रहार करने वाले एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असुद्दीन औवेसी भी चुनावी रैलियों के लिए अपने आपको नहीं रोक पाए। जिस वक्त उन्हें कोरोना के लिए लोगों को सुरक्षित रहने के लिए कहना चाहिए था। उस वक्त औवेसी ने अपनी जनसभा के लिए दो बार लोगों को भारी मात्रा में एकत्र करवाया। पहले 10 अप्रैल को औवेसी आसनसोल आने वाले थे। आसनसोल नॉर्थ से एआईएमआईएम के प्रत्याशी दानिश अजीज के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग उनका इंताजार कर रहे थे, लेकिन वह उस दिन नहीं आए। फिर 13 अप्रैल को एक बार फिर जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें भारी मात्रा में लोगों की उपस्थिति को देखा गया। ऐसे समय में राजनेताओं को लोगों को समझाने की जरूरत है। वह अपने स्वार्थ के लिए मासूम जनता की जान से खेल रहे हैं। खबरों की मानें तो लगातार राज्य में कई दिनों तक रैलियों कवर करने वाले पत्रकार भी अब कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं, जिनमें बड़े मीडिया समूह के पत्रकार शामिल हैं।

(पश्चिम बंगाल से पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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