क्या सोच रहा है देश का युवा राहुल और मोदी के बारे में?

Estimated read time 1 min read

कहते हैं किसी भी देश का युवा उसकी राजनीति की दिशा बदलने की ताकत रखता है। अब जबकि लोकसभा चुनाव में एक साल का ही समय रह गया है, ऐसे में देश के युवा की सोच जानने के लिए सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने एक सर्वे किया। यंग वोटर्स एवेयरनेस एंड ओपिनियन सर्वे 2023 के ज़रिए  दिल्ली यूनिवर्सिटी के 761 छात्रों से राजनीति और देश के राजनेताओं से जुड़े कई सवाल पूछे गए। इन सवालों के बड़े दिलचस्प जवाब भी मिले।

सर्वे में भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए  खासी लोकप्रियता बटोर रहे राहुल गांधी की छवि को लेकर भी कई सकारात्मक संकेत देखने को मिले।13 फीसदी छात्रों ने कहा कि  वो राहुल गांधी को उनकी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए पसंद करते हैं। हर दस में से एक छात्र ने कहा कि उनकी लगन देखने लायक है तो हर दस में से एक छात्र ने माना कि राहुल बेहद मेहनती हैं, हालांकि 35 फीसदी यानी हर तीन में से एक छात्र ने ये भी कहा कि वो उनके बारे में ऐसी कोई चीज़ नहीं बता सकते जो उन्हें पसंद हो।

सर्वे में करीब 16 प्रतिशत छात्रों ने माना कि पीएम नरेंद्र मोदी बतौर वक्ता उनके पसंदीदा राजनेता हैं, हालांकि 15 फीसदी ने माना कि वो प्रधानमंत्री को उनकी नीतियों के लिए पसंद करते हैं। सर्वे में दस में से एक छात्र ने माना कि पीएम मोदी एक करिश्माई नेता है, लेकिन ख़ास बात ये भी है कि 17 फीसदी छात्र  किसी ऐसी बात का जि़क्र नहीं कर सके, जो वो पीएम मोदी के बारे में पसंद करते हों।

जब छात्रों से पूछा गया कि पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस लीडर राहुल गांधी के अलावा वो किन दूसरे नेताओं को पसंद करते हैं तो 19 फीसदी लोगों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लिया। 

9 फीसदी लोगों ने योगी आदित्यनाथ को अपना पसंदीदा राजनेता बताया तो वहीं 7 फीसदी छात्रों ने बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी का नाम लिया।

इस सर्वे में युवाओं से उनकी राजनीतिक जागरूकता को लेकर भी कई सवाल पूछे गए थे। ये पूछे जाने पर कि अगले लोकसभा चुनाव कब हैं ? 10 में से 7 छात्रों ने इसका सही जवाब दिया। 10 में से 9 छात्रों ने माना कि उनका वोट ज़रूरी है और उससे फर्क पड़ता है। 

ईवीएम और बैलेट पेपर की बहस को लेकर पांच में से चार छात्रों ने कहा कि ईवीएम हर हाल में बेहतर है। चुनाव लड़ने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के बारे में ज्यादातर यानि पांच में चार छात्रों ने माना कि राजनेताओं के लिए इस तरह की योग्यता होनी चाहिए। यह भी पाया गया कि न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का समर्थन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बीच ज्यादा था।

वन नेशन, वन इलेक्शन डिबेट को लेकर भी छात्रों का रवैया ज्यादा उत्साहजनक नहीं दिखा। पांच में से तीन छात्रों ने माना कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने की ज़रूरत नहीं है।  

16 जनवरी से 20 जनवरी के बीच  हुए इस सर्वे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के 761 स्टूडेंट्स से सवाल पूछे गए थे। ये सभी छात्र 18-34 साल की उम्र के बीच के हैं। ये सभी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस में पढ़ रहे हैं। 

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author