मंत्रियों के लिए काल बने कोरोना के सामने आम आदमी की क्या बिसात!

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नीतीश कुमार कैबिनेट के दूसरे साथी कपिलदेव कामत की कल गुरुवार देर रात डेढ़ बजे कोविड-19 से मौत हो गई।  उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण के बाद पटना एम्स में भर्ती कराया गया था। कपिलदेव कामत नीतीश कुमार सरकार में पंचायती राज मंत्री के पद पर थे। उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण हुआ था। कुछ दिन पहले ही पटना एम्स में भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक, सांस की तकलीफ के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

इससे पहले 12 अक्टूबर सोमवार को नीतीश सरकार में अति पिछड़ा कल्याण मंत्री विनोद सिंह का भी कोविड-19 से निधन हो गया था। वो गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। बिहार सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री खुर्शीद आलम की पत्नी की भी 4 सितंबर को कोरोना से मौत हो गई थी। पटना एम्स में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। 19 अगस्त को खुर्शीद आलम की पत्नी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और इलाज के लिए उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था।

वहीं हिंदी पट्टी के दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो 16 अगस्त को यूपी सरकार में नागरिक सुरक्षा मंत्री चेतन  चौहान की कोरोना से मौत हो गई थी।  उन्हें लखनऊ के पीजीआई में भर्ती कराया गया था और बाद में मेदांता रेफर कर दिया गया था। चेतन चौहान योगी सरकार के दूसरे मंत्री हैं, जिनकी कोरोना से जान गई। उनसे पहले यूपी सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी वरुण का भी दो अगस्त रविवार को कोरोना से निधन हो गया था। कोरोना वायरस से संक्रमित कमल रानी का लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज चल रहा था।

वहीं 24 सितंबर को कोरोना वायरस के कारण बुधवार को केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का एम्स में निधन हुआ था। 11 सितंबर को कोरोना पॉज़िटिव रिपोर्ट आने के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। उनसे पहले 31 अगस्त को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी कोरोना संक्रमित पाए गए थे। बाद में उनकी मौत हो गई थी। इसके अलावा दूसरे पार्टियों के भी कई सांसदों-विधायकों की कोरोना से मौत हुई है।

चुनाव पूर्व तक जिन मंत्रियों-विधायकों को कोई आम आदमी छू तक नहीं सकता। जो हर जगह अपनी गाड़ियों में जाते हैं, जिनसे हर व्यक्ति को 50 मीटर दूर रखा जाता है, जो घर से बाहर कहीं बैठते भी हैं तो बैठने से पहले 10 बार उस स्थान को सैनेटाइज किया जाता है। जिन्हें छींक भी आती है तो सीधे मेदांता भागते हैं। सोचिए उन मंत्रियों की मौत कोरोना से हो रही है तो एक आम आदमी की क्या बिसात है। वैसे भी इस देश में कोरोना से मौतों का आंकड़ा एक लाख बारह हजार (1,12,161) पहुंच गया है।

जनता की मौत के बरअक्स मंत्रियों की मौत पर अगर बात हो रही है तो उसके पीछे कारण यह है कि सरकार को इन्हीं मंत्रियों का समूह चलाता है जो आम आदमी के लिए नीति निर्धारण करके सेवाएं आवंटित करता है। मंत्रियों की मौत के बावजूद कोविड-19 वैश्विक महामारी से जनता के बचाव के मुद्दे पर सरकार लगातार लापरवाह और गैरजिम्मेदार बनी हुई है।

उधर, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सच तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो बहुत सीना चौड़ा करके कोरोना से लड़ने की बात करते थे, वह इस महामारी के सामने तो पूरी तरह से विफल हुए ही हैं, उन्होंने अर्थव्यवस्था का भी बंटाधार कर दिया है।

कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में न सिर्फ भारत विश्व के दूसरे स्थान पर है, पर इसका प्रबंधन विचलित करने वाला है। आज देश में लगभग 74 लाख संक्रमण के मामले हैं और क़रीब 1,12,000 से ऊपर मौतें हो चुकी हैं। मोदी सरकार ने लगातार कोरोना के आंकड़ों को लेकर भ्रमित करने का काम किया है सच तो यह है कि भारत में मृत्यु की दर पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों से दोगुनी है और श्रीलंका जैसे हमारे पड़ोसी देश के मुकाबले आठ गुना है और इसका हमारी जनसंख्या से कोई लेना देना नहीं है। किस मुंह से यह सरकार effective Corona प्रबंधन की बात करती है?

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में बड़े ही परेशान करने वाले आर्थिक आंकड़े सामने आए हैं। IMF ने कहा है कि भारत में इस वित्तीय वर्ष में आर्थिक वृद्धि की अनुमानित दर में लगभग 10.3 प्रतिशत संकुचन होगा,  जो कि IMF के पहली अनुमानित 4.5 प्रतिशत संकुचन से बहुत अधिक है। IMF के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत विश्व की सबसे तेज़ी से गिरने वाली अर्थव्यवस्था होगी।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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