पिछले 11 साल से प्रदेश में कांग्रेस के एक धड़े के एकाधिकार के चलते जिला स्तर तक पार्टी का संगठन नदारद है। हरियाणा में अपना मजबूत जनाधार रखने वाली कांग्रेस पार्टी तीन बार से सत्ता से बाहर है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी प्रदेश में पार्टी का संगठन बनाने और कांग्रेस को मजबूत करने में पूर्ण असफल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हूडा के विश्वासपात्र रहे प्रदेश अध्यक्ष उदय भान स्वतंत्र रूप से फर्ज निभाने से ज्यादा कर्ज उतारने में मशगूल रहे जिसके कारण प्रदेश की सांगठनिक संरचना एक धड़े की परछाई में लुप्त हो गई।
गुटबाजी ने प्रदेश में कांग्रेस की जड़ें हिला कर रख दी। राहुल गांधी कांग्रेस को फिर से मजबूत करने की रणनीति पर गंभीरता से जुटे हुए हैं। प्रदेश दर प्रदेश कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए कांग्रेस की विचारधारा को समर्पित युवा नेतृत्व को पार्टी में शामिल करने को महत्व दे रहे हैं। प्रदेश में गुटबाजी पर सभी बड़े नेताओं को राहुल ने स्पष्टता से कह दिया अब ये बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
4 जून को हरियाणा प्रदेश कार्यालय चंडीगढ़ में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें राहुल गाँधी हरियाणा मामलों के प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद राष्ट्रीय महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल पहुंचे थे। बैठकों की श्रृंखला में राहुल गाँधी ने पहले हरियाणा के 17 नेताओं से चर्चा की और पार्टी की वर्तमान स्थिति के बारे में उनके स्पष्टीकरणों को सुना। इस बैठक में सभी गुटों के कर्ताधर्ता मौजूद रहे। राहुल गांधी ने गुटबाजी के सभी पुरोधाओं को चेता दिया कि उनकी कार्यशैली के कारण उत्पन्न होने वाली बाधाओं से पार्टी को नुकसान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रदेश में पार्टी का सांगठनिक ढांचा न होना अत्यंत गंभीर मसला है। गुटबाजी के कारण पार्टी को विधान सभा चुनावों में हुए नुकसान से सबक लिया जाना जरूरी है।
राहुल गांधी ने यह भी साफ तौर पर कह दिया कि गुटबाजी के कारण ही जिला स्तर पर अध्यक्षों की नियुक्तियां नहीं हो पाईं। प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने कहा की प्रदेश में संगठन के ढांचे की पुनर्स्थापना करने के लिए जिला स्तर पर अध्यक्षों की नियुक्तियां योग्यता के आधार पर पर्यवेक्षकों द्वारा बिना किसी नेता के प्रभाव में आये की जाएंगी। गुटबाजी नहीं चलेगी ‘हमारा आदमी, तुम्हारा आदमी’ अब नहीं चलेगा। बीके हरिप्रसाद ने कहा की पहले जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के कहने पर की जाती थी लेकिन अब नई प्रक्रिया के तहत केंद्रीय ऑब्ज़र्वर और प्रदेश ऑब्ज़र्वर के अनुमोदन के बाद की जाएँगी।
इस बैठक का उद्देश्य पार्टी संरचना को जमीनी स्तर पर स्थापित किया जाना और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाना है ताकि आने वाले समय की चुनौतियों का मुकाबला पार्टी पूरी क्षमता से कर सके। राज्य में सभी वर्गों के प्रतिनिधत्व को संतुलित करने के लिए ऑब्ज़र्वर को निर्देश दिए गए हैं कि महिलओं, पिछड़ा वर्ग और अन्य दलित वर्ग के योग्य नेताओं का चयन किया जाये। राहुल गांधी ने साफ लफ़्ज़ों में सभी ऑब्जर्वर्स को बड़े नेताओं की उपस्थिति में कह दिया कि व्यक्तिगत स्वार्थ को किनारे रख कर पार्टी की मजबूती के लिए काम करें।
बैठक शुरू होने पर राहुल गांधी ने गुटबाजी के वर्चस्व का संतुलन बनाने के संकेत दे दिए जब चौ. वीरेन्द्र सिंह को मंच पर बैठाए जाने को कहा जो सामने नीचे ऑब्ज़र्वर की पंक्ति में बैठे थे। कई पार्टियों को बदल कर चुनाव से पहले कांग्रेस में वापस आये अशोक तंवर को अंतिम समय में बैठक में बुलवा कर शामिल किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी को इस बैठक के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई थी जिसमें एक गुट ने अपने वर्चस्व को प्रदर्शित करने की रचना कर रखी थी जिसको राहुल गांधी के निर्देशों ने एक संकेत से संतुलित कर दिया।
हरियाणा में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुडा खुद को प्रोजेक्ट करते रहे हैं उसको भी राहुल गांधी ने एक झटके में समतल कर दिया। सभी नेताओं की भूमिका को बराबर बताते हुए पार्टी के प्रति योगदान को ही महत्व दिए जाने को राहुल गांधी ने एक नये सिद्धांत के रूप में आगे बढ़ा दिया। भूपेंद्र हुडा उस जी-23 ग्रुप के मुखर सदस्य रहे जिसने एक वक़्त में पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किये थे। प्रदेश में 2024 के विधान सभा चुनावों के दौरान टिकटों के बंटवारे में पक्षपात और अपने वर्चस्व को बनाये रखने की कवायद से उपजी पार्टी की हार को राहुल गांधी भली भांति समझ चुके हैं इसकी झलक भी इस बैठक में दिखाई दी। दस साल प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र हुडा अब हरियाणा कांग्रेस पर अपने पुत्र दीपेंद्र हुडा को क़याम करने की रणनीति में लगे हुए हैं।
दीपेंद्र हुडा धारा 370 को हटाए जाने का समर्थन करने वाले सदन में सबसे पहले कांग्रेस के नेता हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद सरयू में स्नान करके मंदिर दर्शन से धन्य हो चुके हैं। हरियाणा के विधान सभा चुनावों में जीती हुयी बाज़ी महत्वकांक्षा की भेंट चढ़ चुकी है ये भी अब प्रदेश के अधिकतर कांग्रेस के स्थानीय नेता और समर्थक जान समझ चुके हैं।
कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा और दृष्टिकोण का संचार धरातल पर कितना होता है यह प्रदेश के नेताओं पर निर्भर करेगा। लेकिन केंद्रीय संगठन में जिस प्रकार महासचिव केसी वेणुगोपाल की भूमिका है और जो निर्णय किये जायेंगे वो भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय नगर निगम के चुनावों में पार्टी की बुरी दुर्गति हुई है। इस विफलता की नैतिक जिम्मेदारी भी प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने नहीं ली और संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने भी कोई कार्यवाही पार्टी के स्तर पर नहीं की। अपने अयोग्य चहेतों को आगे बढ़ाने की प्रवृत्ति से क्या अब कांग्रेस मुक्त हो पाएगी यह तय करेगा कि प्रदेश में कांग्रेस का क्या भविष्य होगा ।
सत्तारूढ़ भाजपा सरकार लगातार अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगी हुई है और कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में अभी तक सरकार की नीतियों पर कोई बड़े सवाल खड़े करके मजबूत विपक्ष का प्रभाव बनाने में लगभग विफल है।
(जगदीप सिंह सिंधु वरिष्ठ पत्रकार हैं।)