सितंबर में क्या साहेब की सेवानिवृत्ति होने वाली है?

एक चुनी हुई भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की छवि को जिस तरह आजकल खुलकर भाजपा के जाने माने पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी सामने ला रहे हैं। उससे तो लगता यही है कि अब तक, साहेब के जो तमाम गुप्त राज दबा के रखे गए थे उनको खोलने की रज़ामंदी संघ ने दे दी है। इसलिए वे अब संघ के दुलारे सपूत के वे रहस्य उजागर करने में लग गए हैं। जो उन्हें बदनाम करने और संघ और भाजपा की नज़र से गिराने के लिए काफ़ी हैं।

मानसी सोनी का नाम बहुत पहले उसकी और परिवार की जासूसी के सम्बंध में उछला था। किंतु उसे रफा-दफा मीडिया से करवा दिया गया। अब ये जानकारी मिल रही है कि उसके साथ साहेब जी के अनैतिक सम्बन्ध थे। इसीलिए मानसी के साथ समस्त परिवार जासूसी से त्रस्त था। ज्ञात हुआ वे सब अमेरिका में रह रहे हैं। उन्हें लगता है साहेब जी ने बदनामी के भय से दूर अमेरिका में भिजवा दिया होगा या वे भयातुर होकर यहां से भागे हों।

बहरहाल इतना ही नहीं अब तो खुलकर खुल्लम खुल्ला स्वामी जी ये भी कह रहे हैं कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो सत्रह बार ऐश करने रुस गए। संघ ने उनके इस कदाचरण को अब तक नज़र अंदाज़ किया किन्तु अब चीन, रुस और अमेरिका उनके ऐश के सबूतों के वीडियो लेकर सामने आए हैं और साहेब को धमकाने भी लगे हैं। तो भला यह मौका संघ कैसे छोड़ सकता है। वैसे भी मोदी जी आजकल संघ को कांटे की तरह चुभन दे रहे हैं।

दूसरी तरफ़ साहेब की असफल विदेश नीति, भारतीय सेना के साथ किया गया छल, भ्रष्टाचार के हर क्षेत्र में आरोप, बैंकों की लूट, अडानी-अंबानी की यारी में देश की गरीब जनता की लूट, अमेरिका का भारत के ख़िलाफ़ रवैया, पाकिस्तान से दोस्ती। कैबिनेट मंत्रियों के अधिकार अपने पास रखना। वन मैन शो। चारों तरफ महंगाई का हाहाकार और सबसे बड़ा संघ की मंशानुरूप भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति ना करना तथा गुजरात लॉबी का हावी होना भी है।

ये संघ की अंदरूनी तकलीफें हैं जिनको बयां नहीं किया जा सकता। इस बीच साहेब पर लगे चारित्रिक लांछनों का सबसे बड़ा हथियार बनाकर संघ साहेब पर हमलावर होने वाला है। इसीलिए लालकृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को जिस तरह पचहत्तर वर्ष के होने पर मार्गदर्शक मंडल में डाला गया वैसे ही सितंबर में साहेब की सेवानिवृत्ति की जा सकती है।

इसके पीछे संघ किसी नए नेता को प्रधानमंत्री बनाकर साहेब पर लगे तमाम इल्जामों से बरी होना चाहता है ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित की जा सके। वन मैन को ही शो से निकालने का रास्ता उन्होंने ढूंढ लिया है। अब ये देखना होगा इन चंद दो महीनों में मोटा और छोटा भाई मिलकर क्या गुल खिलाते हैं। फिलहाल बिहार चुनाव के पहले और साहेब की आठ दिवसीय विदेश यात्रा के बाद भाजपाध्यक्ष की नियुक्ति होने की सुगबुगाहट है। भाजपाध्यक्ष बनने के बाद प्रधानमंत्री बदलना निश्चित माना जा रहा है।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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