क्या ट्रम्प गजा को लील जाएंगे और दुनिया देखती रहेगी?

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डोनाल्ड ट्रंप ने हर हाल में गज़ा पर कब्ज़ा करने का अपना अहद एक बार फिर दुहराया है, उनकी धमकियों के हवाले से जो ख़बरें आयी हैं, उससे यही संकेत मिलता है कि इस बार गज़ा पर हमला बहुत मुमकिन है इजराइल नहीं बल्कि अमेरिका करेगा और अगर हमला इजराइल ने किया तो भी इसमें अमेरिका का सहभाग पहले से ज़्यादा होगा।

 गज़ा जहाँ फिलिस्तीनियों के लिए उनकी मातृभूमि है, वहीँ ट्रंप के लिए ये सिर्फ़ फ्यूचर रियल स्टेट प्रोजेक्ट है, एक ऐसा प्रोजेक्ट जिसके लिए वो लाखों लोगों को उजाड़ सकते हैं और अगर लोग उजड़ने से इनकार करें तो उनका कत्लेआम भी किया जा सकता है। 

ट्रंप ने बड़े साफ़ अलफ़ाज़ में कहा है कि उनकी योजना के तहत फिलिस्तीनियोंको फलिस्तीन में लौटने का अधिकार नहीं होगा, उन्होंने ये भी कहा कि “मैं उनके लिए एक बेहतर आवासीय व्यवस्था देने वाला हूँ.” आपको याद दिला दूँ कि बीच में कुछ अमेरिकन अधिकारीयों के हवाले से ये बयान आया था कि ट्रंप की योजना फिलिस्तीनियों को अस्थाई रूप से हटाने की है ताकि गज़ा का पुनर्निर्माण किया जा सके, लेकिन अब ट्रम्प ने बिलकुल साफ़ कर दिया है कि वो फिलिस्तीनियों को स्थाई रूप से उजाड़ कर दुनिया के अलग अलग देशों में बसाना चाहते हैं। 

गज़ा को उजाड़ कर वहां अमीरों के लिए सैर-सपाटे की व्यवस्था करना ट्रंप की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसके लिए वो अलग-अलग देशों के साथ विशेष सौदेबाजी के जरिये फिलिस्तीनियों को वहां बसायेंगे। उन्होंने एक बार फिर कहा है कि वो इजिप्ट और जॉर्डन को अरबों डॉलर की मदद देते हैं इसलिए वे उनके साथ ये सौदा कर सकते हैं। इजिप्ट और जॉर्डन ने भले ही ट्रंप की योजना को सिरे से खारिज़ कर दिया है लेकिन कूटनीतिक लेवल पर सौदेबाज़ी जारी रहेगी, अब ऐसा लगता है कि कुछ आर्थिक मदद और कुछ राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल करते हुए जॉर्डन और इजिप्ट को इस बात के लिए तैयार किया जायेगा कि वे फिलिस्तीनियों को अपने देश में स्वीकार करें। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर जॉर्डन और इजिप्ट ऐसा नहीं करते हैं तो ट्रम्प उनकी आर्थिक मदद रोक सकते हैं। यानि सौदेबाज़ी का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने जाहिर भी कर दिया है।

ट्रम्प से पूछा गया कि अमेरिका खुद फिलिस्तीनियों को पनाह क्यूँ नहीं देता तो उन्होंने कहा कि अमेरिका उनसे बहुत दूर है और उन्हें लगता है कि फिलिस्तीनी आसपास ही रहना चाहेंगे, ट्रंप को उम्मीद है कि इजिप्ट, जॉर्डन और सऊदी अरब उनकी योजना को स्वीकार करेंगे, चौंकाने वाली बात ये है कि यहाँ फिलिस्तीनियों की क्या मर्जी है इसे जानने में किसी को दिलचस्पी नहीं है। 

ट्रंप ने अपने बयान में आगे कहा कि वो गज़ा को खरीदने और अपने कब्ज़े में लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ये भी कि अमेरिका गज़ा का पुनर्निर्माण करेगा और साथ ही मिडिल ईस्ट के दूसरे देश भी इसके कुछ हिस्से को विकसित करेंगे, लेकिन बृहत्तर कब्ज़ा अमेरिका का ही होगा, इस बयान से ऐसा लगता है कि अमेरिका और इजराइल अरब देशों के साथ मिलकर फिलिस्तीन के किसी बंदरबांट की योजना पर काम कर रहे हैं। 

ट्रंप के बयान से ये भी संकेत मिलता है कि गज़ा पर कभी भी फिर से हमला हो सकता है और मुमकिन है कि इस बार के हमले में अमेरिका की सीधी भागीदारी हो, उन्होंने कहा कि हमास द्वारा छोड़े गये इसरायली बंधकों के फुटेज देख कर उन्हें दुःख हुआ है और वो सीजफायर को लेकर अपना धैर्य खो रहे हैं, उन्होंने इसरायली बंधकों पर हमास के ज़ुल्म की तुलना हिटलर के होलोकास्ट से की है। 

यहाँ इस बात पर गौर करने की ज़रूरत है कि अभी तक हमास ने जितने बंधकों को रिहा किया है सभी स्वस्थ हैं और हँसते मुस्कुराते हुए अपने देश वापस गये हैं, लेकिन इसरायली जेलों से जो लोग रिहा किये जा रहे हैं उनके जिस्म इजराइल के ज़ुल्म का दस्तावेज हैं, लेकिन इन्हें ट्रम्प ने शायद देखना भी गवारा नहीं किया होगा, यही नहीं गज़ा में इजराइल द्वारा किये गये नरसंहार को भी अमेरिका इजराइल का सेल्फ डिफेन्स कहता है। 

इस पर बहुत कम लोगों का ध्यान जा रहा है कि गज़ा तो गज़ा वेस्ट बैंक के आधे बच्चे इसरायली फौज़ और अवैध सेटलर्स के ज़रिये मारे जा चुके हैं। लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए ये ज़ुल्म की श्रेणी में नहीं आता। 

डोनाल्ड ट्रम्प ने हमास को धमकी देते हुए कहा कि अगर शनिवार दोपहर 12 बजे तक शेष बंधकों को हमास रिहा नहीं करता तो जहन्नम मच जायेगा और हमास को भी पता चल जायेगा कि मेरा (ट्रंप का) मतलब क्या है. 

हमास ने बिना किसी उत्तेजना के बेहद शालीन तरीके से लेकिन साफ़ साफ़ कहा है कि “अगर सीजफायर की शर्तों को इजराइल पूरा करता है तो हम भी तय शर्तों पर अमल करेंगे,” उन्होंने ये भी कहा कि मध्यस्थों को चाहिए कि वो इजराइल को सीजफायर की शर्तों पर अमल करने के लिए कहें। 

रायटर की मानें तो सीजफायर ख़तरे में है, क्योंकि ट्रंप की धमकी के बाद अमेरिका की गारंटी ख़त्म हो गयी थी, इसकी वजह से पहले से बनी योजना में रुकावट आयी, इसलिए वार्ताकारों को नये सिरे से कई मुद्दों पर बात करनी पड़ रही है। इसी समय इजराइल के वित्त मंत्री स्मोत्रोविच जो फिलिस्तीन को हड़पने के लिए किसी भी हद तक जाने को हमेशा तैयार रहते हैं, ने कहा है कि यही सही समय है कि गज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया जाए। 

डोनाल्ड ट्रम्प की योजना और इसरायली नेताओं के बयान से तो यही लग रहा है कि इजराइल और अमेरिका मिलकर कभी भी फिलिस्तीन पर फिर से हमला कर सकते हैं और अगर हमास और दूसरे दलों ने अमेरिका के सामने घुटने न टेके तो शायद ये फिलिस्तीन के लिए बहुत बड़ी तबाही की वजह भी हो सकती है। 

इस दौरान क़तर में दोनों पक्षों में सीजफायर को लेकर फ़िलहाल बातचीत भी चल रही है लेकिन इसरायली पक्ष के हवाले से जो ख़बरें आ रही हैं उससे लगता है कि ये बातचीत फ़िलहाल नाटक बनकर रह गया है और इजराइल और अमेरिका ने गज़ा को निगलने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। 

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एरदोगन ने आरोप लगाया है कि इजराइल सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है और ये भी कहा है कि कोई भी गज़ा के लोगों को उनकी ज़मीन से निकाल नहीं सकता है, लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि अगर अमेरिका गज़ा पर कब्जा करने की कोशिश करता है तो तुर्की की क्या भूमिका होगी। 

सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शारा ने कहा है कि गज़ा को उजाड़ने की ट्रंप की योजना सफल नहीं होगी, उन्होंने कहा कि गज़ा के लोगों ने भारी ज़ुल्म और कत्लेआम के बावजूद अपनी ज़मीन नहीं छोड़ी है और आगे भी वो अपनी ज़मीन नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने ये भी कहा कि 80 साल का इतिहास बताता है कि विस्थापन की इस तरह की योजनायें सफल नहीं होतीं, लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि अगर इजराइल और अमेरिका गज़ा को निगलने की कोशिश करते हैं तो उनकी क्या भूमिका होगी। 

बहरहाल, हमास आसानी से गज़ा नहीं छोड़ेगा, वेस्ट बैंक में इजराइल पहले ही ऑलमोस्ट काबिज़ है, ऐसे में ट्रंप और इजराइल की जुगलबंदी कहती है कि गज़ा पर जल्द ही बड़ा हमला होगा, अगर ऐसा हुआ तो अरब सुल्तान ख़ामोशी का नाटक करते हुए इजराइल और अमेरिका का ही साथ देंगे, आलमी सियासत को देखते हुए ऐसा बिलकुल नहीं लगता कि हमास को किसी मुल्क से कोई बड़ी मदद मिल पायेगी, ऐसे में लगता यही है कि इजराइल अपने मकसद में कामयाब हो सकता है, लेकिन अगर फलिस्तीन को अमेरिकी मदद से इजराइल निगलने में कामयाब हुआ तो ये न सिर्फ़ मिडिल ईस्ट बल्कि पूरी दुनिया में अस्थिरता की बड़ी वजह बनेगी। 

 (डॉ. सलमान अरशद का लेख।)

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