Thursday, March 28, 2024

बस्तर: दो साल से अंतिम संस्कार के इंतजार में एक शव!

बस्तर। बस्तर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिसमें एक ग्रामीण ने पिछले 2 साल से अपने परिजन के शव को बिना अंतिम संस्कार किए 6 फीट गहरे गड्ढे में रखा हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में पूरा गांव उस ग्रामीण के साथ है। परिजनों का कहना है कि जब तक मृतक को इंसाफ नहीं मिलता है तब तक वो उसका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

बताया जा रहा है कि दो साल पहले पुलिस ने बदरू माड़वी नाम के एक शख्स की नक्सली बातकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद उसके परिजनों ने छह फीट गहरा गड्ढा खोदा और नमक, तेल और कई जड़ी बूटियों का लेप लगाने के बाद उसके शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर उसके भीतर रख दिया। मौसम की मार से बचाने के लिए शव को लकड़ी के गत्ते से ढक दिया गया। इतना ही नहीं शेड के तौर पर शव को पॉलिथीन से लपेटा गया और फिर उसे मिट्टी से दबा दिया गया। हालांकि अब बदरू का शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है, लेकिन गांव वालों और मृतक के परिजनों का कहना है कि जब तक बदरू माड़वी को इंसाफ नहीं मिल जाता तब तक वे उसके शव को ऐसे ही सुरक्षित रखेंगे।

2 साल पहले मुठभेड़ में मारे गिराने का दावा

19 मार्च, 2020 को सुबह करीब 7:30 बजे दंतेवाड़ा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र गमपुर गांव के जंगलों में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ का दावा किया था। इसके साथ ही उसने इस मुठभेड़ में नक्सलियों के गंगालूर कमेटी की मेडिकल टीम के कथित प्रभारी और IED बनाने के कथित एक्सपर्ट बदरू माड़वी को मार गिराने की बात कही थी। सुरक्षा बलों के मुताबिक बदरू 2 लाख रुपये का ईनामी नक्सली था। हालांकि बदरू माड़वी का छोटा भाई सन्नू इस मामले का चश्मदीद है। उसका कहना है कि उसके भाई को उसके सामने ही पुलिस के जवानों ने घेर कर मार दिया। इस घटना को 2 साल बीतने को हैं, लेकिन गांव वालों ने बदरू माड़वी के शव को गांव के पास स्थित श्मशान के किनारे पूरी तरह से सुरक्षित रखा हुआ है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया जिससे मृतक के सिर से नक्सली होने का दाग हटाया जा सके। परिजनों का कहना है कि सुरक्षाबलों ने बदरू को नक्सली बताकर मार डाला। जबकि बदरू गांव के जंगलों में महुआ बीनने गया था। और उसका नक्सलियों से कुछ लेना-देना नहीं है।

बदरू माड़वी की पत्नी पोदी हाथ में बदरू की तस्वीर लिए हुए

परिजन कर रहे हैं न्यायिक जांच की मांग

बदरू माड़वी के जाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय हो गयी है। बदरू की मां मारको माड़वी ने बताया कि पिता की मौत के बाद घर में पुरुष के तौर पर बदरू ही सबसे बड़ा सदस्य था, जिस पर परिवार की सारी जिम्मेदारियां थीं। घटना से चार साल पहले बदरू की शादी पोदी नामक महिला से हुई थी, लेकिन उसके कोई बच्चे नहीं हैं। बदरू पर अपने दो छोटे भाई शन्नू और पंडरू की शादी की भी जिम्मेदारी थी।

बदरू के शव को अभी तक रखने के सवाल पर उनकी मां ने रोते हुए बताया कि पुलिस बेवजह ग्रामीणों की हत्या कर रही है और नक्सलवाद के नाम पर उनके बेटे की हत्या कर दी गई। उनका कहना है कि जब तक इस मामले को न्यायालय द्वारा संज्ञान में नहीं लिया जाएगा तब तक बदरू का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। वहीं बदरू की पत्नी पोदी आज भी उदास आंखों से न्याय की उम्मीद कर रही हैं।

पोदी का कहना है कि पुलिस ने उनका सब कुछ बर्बाद कर दिया। आज घर की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई भी नहीं है। घर की छोटी बड़ी जरूरतों के लिए और घर खर्च के लिए भी उन्हें ही जद्दोजहद करनी पड़ती है। पोदी का कहना है कि हालांकि अब उनका सब कुछ लुट चुका है, पर अभी भी उसे न्याय की उम्मीद है। उनका कहना है कि इस मामले की जांच हो और दोषी पुलिस वालों को जेल भेजा जाए, जिससे उनके गांव में दोबारा ऐसी घटना न दोहराई जाए।

दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर में ग्रामीण दो पाटों के बीच फंस गए हैं। एक तरफ पुलिस मुखबिरी के शक में नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों की हत्या कर दी जाती है, वहीं दूसरी तरफ नक्सली के नाम पर ग्रामीण सुरक्षा बलों के निशाने पर होते हैं। न जाने बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में ऐसे कितने मामले हैं जिनमें इन मासूम ग्रामीणों को मुखबिर बताकर नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया है तो दूसरी तरफ पुलिस के जवानों ने नक्सली बताकर उनकी जान ले ली है।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles