आज के दिवंगत मालिक शाश्वत की पत्नी ने पीएम को दोबारा लिखा पत्र, कहा-मोदी जी मुझे बीमार न्याय नहीं, न्याय चाहिए

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वाराणसी। कोरोना काल में हुई पति की असामयिक मृत्यु को चिकित्सकीय हत्या करार देने वाली आज समाचार पत्र समूह के निदेशक शाश्वत विक्रम गुप्त की जीवन संगिनी अंजलि गुप्ता ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर न्याय मांगते हुए लिखा है कि मुझे आप लोगों से बीमर न्याय नहीं, न्याय चाहिए। अपने पति की असामयिक मृत्यु से क्षुब्ध अंजलि ने पिछली 8 मई को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर न्याय की मांग की थी (बताते चलें कि शाश्वत के असामयिक निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश भेजा था जिसे आज अखबार ने पहले पन्ने पर प्रकाशित किया था  हालांकि इस पूरे मामले में आज अखबार की भी भूमिका शोक संदेश छापने तक ही सीमित थी। खुद अपने अखबार के निदेशक के इस तरह से चले जाने और उनकी जीवनसंगिनी द्वारा लगाए गए गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप पर भी आज अखबार मुंह बंद रखा।)

पत्र में अंजलि ने अपने पति के साथ बिताए अंतिम 46 घंटों की अमानवीय, असंवेदनशील और क्रूर  चिकित्सकीय परिस्थितियों का जिक्र करते हुए लिखा था कि अगर चिकित्सकों ने लापरवाही नहीं की होती तो मेरे पति आज हमारे साथ होते। अंजलि ने प्रधानमंत्री से दोषी डाक्टरों और निजी अस्पतालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। 

लेकिन देश के प्रधानमंत्री की तरफ से कोई जवाब न मिलने पर न्याय की बाट जोह रहीं अंजलि ने एक बार फिर अपनी आहत भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है।

अंजलि लिखती हैं कि मैं आपको उत्तर प्रदेश में जनता को फौरी न्याय दिलाने के नाम पर बनाए गए जन सुनवाई पोर्टलों की हकीकत से अवगत कराना चाहती हूं। न्याय की अपील पर  मुझे जन सुनवाई के लिए बनाए गए पोर्टल से बीमार न्याय मिला। मुझसे फोन कर के पूछा गया कि आप हमारी सेवा से संतुष्ट हैं? मेरे कहने पर की मृत सेवा से कोई भला कैसे संतुष्ट हो सकता है तो जवाब मिला आप खुद जाकर एफआईआर कीजिए। जब कि पहले ही मैं थाना सिंगरा में यह प्रयास कर चुकी हूं लेकिन सिंगरा पुलिस ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था। अंजलि ने लिखा है कि मैंने इससे पहले भी न्याय के लिए आपको पत्र लिखा था लेकिन मेरी अपील नहीं सुनी गई। अगर आपने ये तरीका हमारी समस्याओं के समाधान के लिए निकाला है तो कोई चमत्कार भी आपदा के दौर में डूबते देश को नहीं बचा सकता।

सारे दुखों- परेशानियों को नजरंदाज किया जा रहा है। सरकार को इस बात की फ़िक्र नहीं है और वो केवल न्याय के झूठे वादों के सहारे अपनी छवि बनाने में लगी है। अंजलि ने लिखा है कि मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मेरी अपील पर ध्यान दें और न्याय दिलाने में मेरी मदद करें। सरकार का मतलब ही तो जनता के नजदीक रहकर उसकी सेवा करना है।  नहीं तो ऐसी सरकार किस काम की जो जनता के काम न आ सके। जानकारी के लिए बताते चलें कि आज अखबार समूह के निदेशक शाश्वत विक्रम गुप्त का असामयिक निधन बीते 23 अप्रैल को हो गया था।

(वाराणसी से भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट।)

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