ज्ञानवापी एएसआई सर्वेक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त तक आदेश सुरक्षित रख लिया है, तब तक एएसआई के सर्वेक्षण पर रोक बढ़ा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट 3 अगस्त को वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के एएसआई सर्वेक्षण के आदेश को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की चुनौती पर अपना आदेश सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।
उल्लेखनीय है कि अंजुमन मस्जिद समिति ने हाईकोर्ट में वाराणसी न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एएसआई को मस्जिद परिसर (वुजुखाना को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश 4 हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर एक आवेदन पर पारित किया गया था, जो मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने के लिए साल भर की पहुंच की मांग करते हुए जिला न्यायालय के समक्ष दायर एक मुकदमे में पक्षकार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को एएसआई सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी थी, जिससे मस्जिद समिति को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कुछ समय मिल सके। अंजुमन समिति ने हाईकोर्ट के समक्ष कल तर्क दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कभी भी मुकदमे में पक्षकार नहीं था या वाराणसी न्यायालय ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और इसके बावजूद, जिला न्यायाधीश ने उसे मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया।
उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि एक बार वैज्ञानिक सर्वेक्षण हो जाने के बाद, जिस तरह से उन्होंने (हिंदू महिला उपासकों ने) दावा किया है, पूरे मस्जिद परिसर को नष्ट कर दिया जाएगा। इससे पहले गुरुवार को सर्वे पर रोक संबंधी मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई हुई।
कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता के साथ ही राज्य सरकार व केंद्र सरकार के भी अधिवक्ता मौजूद थे। कोर्ट में एएसआई के अधिकारी भी मौजूद रहे। सुनवाई के दौरान एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि वो 4 अगस्त तक सर्वे का काम किसी भी हाल में पूरा कर लेंगे। सर्वे के काम में मस्जिद को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
एएसआई के एक अधिकारी ने कोर्ट से कहा कि हम किसी भी तरीके से ज्ञानवापी परिसर को डैमेज नहीं पहुंचाएंगे केवल ब्रशिंग करेंगे। स्क्रैच भी नहीं आने देंगे और डैमेज का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्षकार विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट से कहा कि अगर कोर्ट इजाजत दे तो एक डायग्राम बनाकर ज्ञानवापी परिसर को समझा सकता हूं। इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में एएसआई ने अपने हलफनामे में यह साफ कर दिया है कि सर्वे होने से विवादित परिसर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
मुस्लिम पक्षकार के तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुछ फोटोग्राफ दायर किए गए जिसमें कुछ डंडे और लाठी के फोटोग्राफ थे।मुस्लिम पक्षकार ने कोर्ट में कहा कि यह खुदाई करने के लिए लाए गए हैं, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह कौन से कम्यूनिटी के डंडे हैं। आप बता सकते हैं और एक सिंगल इंसीडेंट हमको बताइए कि कोर्ट के आदेश के बाद वहां पर सर्वे का काम चल रहा है।