‘बेगार और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से डरी सरकार दमन पर उतारू’   

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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के राज्यव्यापी आह्वान पर मंगलवार को प्रयागराज में आशा कर्मियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार के सामने पेश किया। इस मौके पर एक सभा आयोजित हुई। जिसे संबोधित करते हुए आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के प्रदेश सचिव कामरेड अनिल वर्मा ने बजट में आशा कर्मियों की अनदेखी और वर्षों से कराई जा रही बेगार, प्रोत्साहन राशियों में हेर फेर, करोड़ों रुपए की भुगतान के नाम पर जबरन वसूली की निंदा की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के राज्य व्यापी प्रतिवाद दिवस पर लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने पर पुलिस द्वारा पीलीभीत जिलाध्यक्ष और आशाकर्मियों के विरुद्ध कूट रचित ढंग से विभिन्न  धाराओं में मुकदमा लिखे जाने की कार्यवाही न केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है बल्कि यह एक नागरिक की स्वतंत्रता को भी चुनौती देता है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि श्रम की लूट और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के बजाय सरकार दमन पर उतर आई है। 

उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रेखा मौर्य ने कहा कि आशा वर्कर्स वर्षों से दो हजार रुपए में पूरे साल, जाड़ा, गर्मी, बरसात, रात, दिन विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों में लगी रहती हैं। उनके योगदान का सरकार कोई मूल्यांकन नहीं करना चाहती । 

विगत वर्षों में किए गए कई तरह के कामों की घोषित प्रोत्साहन राशियों का भुगतान लंबित है। 1.5 लाख करोड़ के प्रोत्साहन राशि घोटाले और आशा कर्मियों से उनके भुगतान के बदले धमका कर साल भर में 1000 करोड़ की वसूली के विरुद्ध आशाकर्मी वर्षों से आंदोलनरत हैं। पर सरकार उन्हें सुनना नहीं चाहती है।

आशा वर्कर्स यूनियन के जिला अध्यक्ष आशा देवी ने कहा कि 2013 में हुए भारतीय श्रम सम्मेलन ने आशा कर्मियों को स्वास्थ्य कर्मी का दर्जा देकर न्यूनतम वेतन व मातृत्व अवकाश दिए जाने की सिफारिश की थी, वर्ष 2017 में स्वयं पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुए भारतीय श्रम सम्मेलन ने ईपीएफ, ईएसआई, ग्रेच्यूटी देने की सिफारिश की। लेकिन दोनों श्रम सम्मेलनों की सिफारिशें कूड़ेदान में फेंक दी गईं तथा आशा कर्मियों को जान लेवा काम के बोझ के नीचे दबा दिया गया। 

आज वे संगठित होकर सरकार के वास्तविक चेहरे को बेनकाब कर रही हैं, अपने श्रम की लूट के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा खोल रही हैं तो उन्हें डराने और चुप कराने की कोशिश की जा रही है।

बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित 5 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से दिया गया। जिसमें पीलीभीत में लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिवाद करने पर आशा कर्मियों के विरुद्ध पुलिस द्वारा दर्ज मनगढ़ंत मुकदमा तत्काल वापस लेने तथा 45/46 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए न्यूनतम वेतन ईएसआई, ईपीएफ, ग्रेच्यूटी, मातृत्व अवकाश, स्वास्थ्य व जीवन बीमा देने के साथ काम की सीमा तय करने की मांग की गयी। इसके अलावा विगत वर्षों का सम्पूर्ण बकाया भुगतान किये जाने की मांग की गयी। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ऐक्टू जिला सचिव देवानंद, आशा वर्कर्स की जिला उपाध्यक्ष रंजना भारतीया, संगीता सिंह, रेखा श्रीवास्तव, अनुपा, निशा यादव, मंजू, राधा, भाकपा माले के जिला प्रभारी सुनील मौर्य आदि ने भाग लिया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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