भारत में जन्मी बानो बेगम सिर्फ़ 8 साल के लिए पाकिस्तान गईं तो पाकिस्तानी हो गईं, और 41साल भारत में रहने के बाद भी वो भारतीय नहीं बन पायीं। कोर्ट ने बानो बेगम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि महिला को पता था कि वह पाक की नागरिक है, फिर भी उसने भारत में चुनाव कैसे लड़ा। कोर्ट ने आगे कहा कि वोटर आईडी, राशन कार्ड और आधार कार्ड बानो बेगम ने कैसे जुटाए, इसकी विवेचना अभी चल रही है। लिहाजा अभी उसे जमानत पर छोड़ना ठीक नहीं है।
बानो बेगम का जन्म साल 1968 में आगरा के अछनेरा में हुआ था। 1971 में उसका परिवार पाकिस्तान चला गया। और आठ साल बाद सन 1979 में बानो बेगम का परिवार दोबारा भारत आया। इसके एक साल बाद यानी साल 1980 में बानो का निकाह जलेसर निवासी अख्तर अली के साथ कर दिया गया। बानो बेगम के निकाह के बाद उनके पिता वापस पाकिस्तान चले गए।
यानि भारत में जन्मी बानो बेगम सिर्फ़ 8 साल के लिए पाकिस्तान गईं तो पाकिस्तानी हो गईं, और 41 साल भारत में रहने के बाद भी वो भारतीय नहीं बन पायीं।
जब बानो बेगम भारत में ही पैदा हुईं, और उनका विवाह भी एक भारतीय से हुआ है और लगातार 11 वर्ष भारत में रहने के प्रावधान को भी वो पूरा करती हैं फिर वो अब तक भारतीय नागरिक क्यों नहीं बन पायी हैं?
वहीं यूपी पुलिस का कहना है कि बानो बेगम को हर तीन साल के बाद वीजा का एक्सटेंशन मिलता रहा है।
बानो बेगम कैसे बनी ग्राम प्रधान
एटा जिले की ग्राम पंचायत गुदाऊ की पूर्व कार्यवाहक प्रधान बानो बेगम फिलहाल जेल की सींखचों के पीछे हैं। बानो बेगम पर गलत दस्तावेज लगाकर पंचायत चुनाव लड़ने का आरोप है। बानो ने 2015 का पंचायती चुनाव अपनी नागरिकता के तथ्यों को छिपाकर चुनाव लड़ा और ग्राम पंचायत की सदस्य बन बैठीं। दिसंबर 2020 में ग्राम प्रधान का पद रिक्त हुआ तो वह कार्यवाहक ग्राम प्रधान बन गईं।
आमिर हसन नामक व्यक्ति के साथ 120 गज के प्लॉट को लेकर बानो बेग़म का विवाद हुआ। यह मामला कोर्ट में भी चल रहा है। इसके बाद खुन्नस में आमिर हसन ने बानो की नागरिकता को लेकर पुलिस में शिकायत कर दिया। बानो बेग़म के दो बच्चे बेटा नईमुद्दीन और बेटी आसमा परवीन भारत में ही हैं। बेटी मथुरा में अपने परिवार के साथ है जबकि बेटा गुरुग्राम में नौकरी करता है।
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के प्रावधान
‘नागरिकता अधिनियम 1955’ के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के चार तरीके हैं:
1-जन्म से नागरिकता
(सेक्शन3) नागरिकता अधिनियम की धारा 3 जन्म से नागरिकता से संबंधित है। 1955 में ये कानून बनाया गया था, तब इस धारा में कहा गया था कि वे सभी जो 1 जनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए हैं, भारतीय नागरिक होंगे। 1986 में इसमें संशोधन किया गया और जन्मजात नागरिकता को उन लोगों तक सीमित किया गया जो 1 जनवरी, 1950 और 1 जनवरी, 1987 के बीच भारत में पैदा हुए थे।
कानून में एक शर्त ये जोड़ी गई कि 1 जनवरी, 1987 के बाद भारत में पैदा हुए लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए, माता-पिता में से एक को भारतीय नागरिक होना चाहिए। इसने, उन लोगों को, भारत में जिनके दादा-दादी पैदा हुए थे,माता-पिता नहीं, उन्हें ‘भारतीय मूल’ के दायरे से बाहर रखकर, भी परिभाषा में बदलाव किया।
इस क़ानून में 2003 के संशोधन के बाद जन्मसिद्ध नागरिकता की शर्त को और कठोर कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि 3 दिसंबर, 2004 के बाद पैदा हुए वो लोग, जिनके माता-पिता में से एक भारतीय हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो, वे भारतीय नागरिकता के पात्र होंगे।
2- वंश द्वारा नागरिकता (धारा 4)
भारत के बाहर पैदा हुआ ऐसा व्यक्ति, जिसके माता-पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे, वंश द्वारा भारत का नागरिक होगा। हालांकि ये एक शर्त के अधीन है कि जन्म के 1 वर्ष के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में उसका पंजीयन होना चाहिए, साथ ही एक घोषणा हो कि वह किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं रखता है।
3- पंजीकरण द्वारा नागरिकता (धारा 5)
यह साधन उन विदेशी नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता का द्वार खोलता है, जो विवाह या कुल के माध्यम से भारतीय नागरिक के साथ संबंध रखते हैं। आवेदक को इसके लिए भारत में रहने की निर्धारित अवधि की शर्तों को पूरा करना होता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसी तरीके से भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी।
4- प्राकृतिकिकरण द्वारा नागरिकता (धारा 6)
यह उन व्यक्तियों के लिए भारतीय नागरिकता पाने का रास्ता है, जिनका रक्त, मिट्टी या विवाह के माध्यम से भारत के साथ कोई संबंध नहीं है। इसके तहत आवेदक को (अवैध प्रवासी नहीं) आवेदन करने से पहले 12 महीनों तक कि अवधि के लिए भारत में अविराम निवास करना चाहिए। 12 महीनों के उक्त अवधि से पहले आवेदक को चौदह वर्ष की अवधि में, कुल 11 साल तक भारत में निवास करना चाहिए।
पाकिस्तानी गायक अदनान सामी और दलाई लामा ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें धारा 6 के तहत भारत की नागरिकता दी गई है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)