Friday, March 29, 2024

सत्ता में पहुंचाने वाले किसानों पर ही भूपेश सरकार भांज रही है लाठियां

रायपुर। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कांग्रेस सरकार के गले का फांस बन गई है। पिछले 3 दिनों से छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर, रायपुर, दुर्ग,कवर्धा के अलावा विभिन्न जगहों पर किसान सड़क पर उतर आए हैं। आलम यह है कि सड़कें जाम हो रही हैं। नतीजतन जिन किसानों के बदौलत कांग्रेस सूबे की सत्ता में आई अब उन्हीं पर लाठियां भांजी जा रही हैं। 

आज समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का आखिरी दिन था। अब तक 82 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी हो चुकी है। बुधवार को बारदाने की कमी और टोकन के आभाव में किसान अपना धान नहीं बेच पाए थे। कई जगहों पर प्रदर्शन के बाद खरीदी शुरु की गई, तो कई जिलों में धान खरीदी ही नहीं हुई। सूरजपुर में किसानों ने सड़क पर धान फेंककर उसमें आग लगा दिया। वैसे बताया जा रहा है कि काटे गए सभी टोकन पर धान खरीदने का ऐलान सरकार कर सकती है।

बता दें कि बारदाने की किल्लत की वजह से किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। जिसके चलते किसानों में भूपेश सरकार के खिलाफ जगह-जगह आक्रोश दिख रहा है। प्रदेश के कई ज़िलों में धान ख़रीदी के ठप्प होने की खबर है। लिहाजा किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। हालांकि प्रशासन उनको मनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसकी सारी कोशिशें नाकाम हो गयी हैं।

केशकाल में हुए किसानों पर लाठीचार्ज का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया है और उन लोगों ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन देने का फैसला किया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह धान खरीदी पर प्रेस वार्ता भी करेंगे।

कवर्धा, कांकेर, कसडोल, बालोद, गौरेला, लोहारा, सरसपुर जैसे इलाक़ों में किसानों के उग्र होने की खबरों पर सरकार ने संज्ञान लेते हुए तत्काल कानून और व्यवस्था को दुरुस्त करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। बारदानों की उपलब्धतता को लेकर भी तमाम अगर-मगर बताए जा रहे हैं।

जो किसान अपने धान को बेचने के लिए सोसाइटी तक पहुंच चुके हैं या सोसाइटी के बाहर उनकी गाड़ियां खड़ीं हैं। सबसे ज्यादा उन्हीं को परेशानी है। किसान अपना सब काम-धाम छोड़कर सोसाइटी के चक्कर काट रहे हैं या फिर सोसाइटी में रखे हुए धान की रखवाली में लगे हुए हैं। किसानों की मांग और प्रदर्शन के बाद भी खरीद केंद्रों में बारदाना नहीं पहुंच पाया। जिसके चलते सोमवार के बाद मंगलवार को भी खरीदी नहीं हुई। इसके चलते यह कहा जा सकता है कि धान खरीदी कोमा में चली गई है और किसान सड़कों पर उतर आए हैं।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles