भाजपा के चाणक्य ने हरियाणा में ये मान लिया कि सरकार बैसाखियों के सहारे भी बनती है। एक वक़्त अपने दल को अजेय बताने वाले और जनता जनार्दन को अपने इशारे पर चलाने का गुमान पालने वाले ‘चाणक्य’ की रणनीति हरियाणा में लड़खडाती हुई लगने लगी है। पंचकूला में प्रदेश के कार्यकर्ताओं को हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत का मंत्र देने पहुंचे अमित शाह ने कहा की हमें रुकना नहीं केवल कमल को जिताने के लिए काम करना है। ‘अबकी बार 75 पार ‘ का जिक्र करने से भी अमित शाह साफ बचते रहे शायद उस पर अब उनको भी विश्वास नहीं रहा।
29 जून को पंचकूला में राज्य की कार्यकारिणी की बैठक में अमित शाह ने हरियाणा के विधानसभा चुनाव दो तिहाई सीट जीतने का लक्ष्य इस बार दिया है। दूर से दूर तक भी पिछले चुनावों के आक्रमक तेवरों की छवि कहीं दिखाई नहीं दी। हरियाणा में फिर से भाजपा की सरकार बनाने के लिए पिछले दस साल की उपलब्धियों से इतर केवल कमल को ही सोचने का मंत्र कार्यकर्ताओं को दिया है। चुनावों में मुख्यमंत्री के चेहरे के एलान को जीत का मूलमंत्र समझाने में लगे रहे।
प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के उद्देश्य से रखी गई विस्तारित सभा में अमित शाह ने कहा की कई बार लोगों में नाराज़गी हो जाती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की हम पार्टी के लिए काम करना छोड़ दें। पार्टी के सबसे ताकतवर नेता ने यह भी मान ही लिया कि पार्टी अब ढलान की तरफ है और भाजपा के प्रति लोगों का मोह टूट चुका है। अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा की पार्टी को इस समय हमारी सबसे ज्यादा जरुरत है हमें सब कुछ भूल कर पार्टी का साथ देना चाहिए।
अमित शाह के संबोधन से हरियाणा के विधान सभा चुनावों में भाजपा को मिलने वाली चुनौती इस सभा में साफ तौर पर झलक रही थी। भाजपा के लिए चुनाव का उद्घोष करने आये अमित शाह चुनावों में भाजपा की हार को पूरी तरह से भांप गए। ‘चुनाव के वक़्त नाराज़गी होने पर हमें कोई भी माफ़ नहीं करेगा’ कहना अपने आप में भाजपा की स्थिति को बयां करता है। हरियाणा की जीत का संदेश भाजपा को पूरे देश में एक नई ऊर्जा और बल देगा ये कहना भी अमित शाह की चिंता को स्पष्ट करता है। कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देते हुए अमित शाह ने कहा कि भाजपा के विजय रथ को हरियाणा में किसी भी कीमत पर रुकने न दें।
नायब सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर अमित शाह ने भाजपा के लिए प्रदेश में राजनीतिक समीकरण साधने की बजाय और उलझा दिया है। लोक सभा चुनावों में मिली हार के बाद भीतरघात के उठे सवालों को अभी हरियाणा भाजपा सुलझा भी नहीं पायी है कि अमित शाह ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा बढ़ा दी। हरियाणा के अलग-अलग क्षेत्रों में कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता जो भाजपा में बड़े पद की संभावनाओंं के चलते गए थे उनकी उमीदों पर अमित शाह ने पूरी तरह पानी फेर दिया।
अहीरवाल के राव इंद्रजीत सिंह लोक सभा चुनाव के बाद क्षेत्र में धन्यवाद के लिए हुई एक जनसभा में कह चुके हैं के प्रदेश में नेतृत्व के लिए इस क्षेत्र द्वारा प्रतिनिधित्व करने का समय आ गया है। राव इंद्रजीत ने जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि अगर अब इस क्षेत्र से हम प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनवा पाए तो भविष्य में फिर कभी मौका नहीं आएगा।
अमित शाह के इस ऐलान के बाद अहीरवाल के समीकरण किस दिशा में बदलेंगे ये भाजपा के लिए नयी चुनौती हो गयी।अहीरवाल में 9 विधानसभा सीट मानी जाती हैं। वहीं कांग्रेस को छोड़ हाल ही में भाजपा में गयी जाट नेत्री व उनकी बेटी जिनको मलाल था की गुटबाजी के कारण वो कांग्रेस में मुख्यमंत्री नहीं बन सकी अब किस तरह अपनी महत्वकांक्षा से समझौता करेंगी ये भी इन आनेवाले महीनों में तय होता दिखाई देगा।
हरियाणा में जाट वर्ग के किसी नेता को भाजपा में कोई बड़ा अवसर नहीं मिल सकेगा ये भी साफ हो गया है। लोक सभा चुनावों में अन्य सामाजिक वर्ग जिसमें अनुसूचित जाति भी बड़ी संख्या में भाजपा से छिटक गयी थी को साधने के कोई प्रयास भाजपा के इस बैठक में सामने नहीं आये। लोक सभा में जाटों के गढ़ की तीनों सीट भाजपा हार गयी थी। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित दोनों सीट भी भाजपा ने इन लोकसभा चुनावों में गंवा दी हैं। जातीय समीकरण के आधार पर पिछले दो चुनावों में हरियाणा में जीत हासिल कर अपनी सरकार बनाने में सफल रही भाजपा किन समीकरणों पर चुनाव में उतरेगी ये अभी स्पष्ट होना बाकी है।
ऐसा माना जा रहा था कि हरियाणा में भाजपा की राजनीतिक बिसात मनोहर लाल खट्टर के अनुसार ही बिछाई जाएगी। भाजपा सामाजिक वर्गों की गोलबंदी के आधार पर बनिया, ब्राह्मण, पंजाबी, अहीर, राजपूत, सैनी व अन्य पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में करके ही चुनाव में काम करती दिख रही है।
(जगदीप सिंह सिंधु वरिष्ठ पत्रकार हैं)