Tuesday, September 26, 2023

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी को दी मुंबई पुलिस की चार्जशीट को चुनौती देने की अनुमति

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी की मूल कंपनी एआरजी आउटलेयर को मुंबई पुलिस द्वारा कथित रूप से फर्जी टीआरपी घोटाले में दायर आरोप पत्र को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी। इस बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी सीईओ प्रिया मुखर्जी को टीआरपी घोटाले में 20 दिनों की ट्रांजिट जमानत दे दी है।

शुरू में एआरजी आउटरल के लिए उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आबड़ा पोंडा ने बॉम्बे हाई कोर्ट से याचिका में संशोधन करने की अनुमति देने और सुनवाई कुछ दिनों के लिए टाल देने का अनुरोध किया, ताकि मुंबई पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र को भी चुनौती दी जा सके। मूल याचिका में केवल रिपब्लिक टीवी और उसके कर्मचारियों सहित एडीटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने और जांच कार्यवाही को अपराध शाखा मुंबई पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने का अनुतोष मांगा गया था।

राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पोंडा की दलीलों का यह कहते हुए विरोध किया कि कि इस आधार पर एक आवेदन होना चाहिए, जिसमें आरोप पत्र को चुनौती दी जाए ताकि राज्य को उसे जवाब देने का अवसर दिया जा सके। सिब्बल ने टिप्पणी की कि गोस्वामी एक साधारण मुकदमेबाज नहीं हैं और न कि एक अतिरिक्त साधारण वादकारी। उसके हर मामले को फ़ास्ट ट्रैक नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने हालांकि याचिका को संशोधित करने और राज्य को एक प्रति देने के लिए शुक्रवार तक का समय दिया ताकि वे भी जवाब दे सकें।

मामले को स्थगित करने से पहले, सिब्बल ने हाई कोर्ट से पूछा कि क्या अगले सप्ताह सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया जाएगा। इस पर पोंडा ने कहा कि सिब्बल उच्चतम न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, मैं आदरपूर्वक दोपहर में एक निश्चित समय के लिए पूछता हूं। हाई कोर्ट ने हालांकि सुनवाई के लिए समय देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि पोंडा आप भी व्यस्त हैं, सिब्बल के कंधे पर बंदूक रखकर न चलाएं। यदि हम एक समय तय करते हैं, तो अन्य वादियों का कहना है कि हम केवल कुछ मामलों के लिए निश्चित समय देते हैं।

सिब्बल ने हाई कोर्ट से रिपब्लिक टीवी के खिलाफ उचित निर्देश पारित करने का भी अनुरोध किया ताकि उनके चैनल पर आरोप पत्र का ‘समानांतर परीक्षण’ न किया जा सके। हाई कोर्ट ने हालांकि, सिब्बल के इस अनुरोध पर एक लिखित आवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा ताकि चैनल उचित जवाब दाखिल कर सके। पोंडा ने जवाब दिया कि वह इस मुद्दे पर रिपब्लिक टीवी से निर्देश लेंगे और अगली सुनवाई पर एक बयान देंगे। अदालत ने चार्जशीट और प्रगति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जो पार्टियों द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई थी और सुनवाई 2 दिसंबर, 2020 के लिए स्थगित कर दी थी।

इस बीच कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर, जिसमें टीआरपी स्कैम का आरोप लगाया गया है, में आरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (रिपब्लिक टीवी और आर भारत चैनल का मालिक कंपनी) की मुख्य परिचालन अधिकारी प्रिया मुखर्जी को 20 दिनों की ट्रांजिट जमानत दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि 20 दिनों बाद, प्रिया मुखर्जी को राहत के लिए उचित कोर्ट में  अपील करनी होगी। इस बीच अगर उसे गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे 2 लाख रुपये के बांड और दो जमानतदारों की जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

जस्टिस एचपी संधेश की एकल पीठ ने कहा कि जब किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता खतरे में है तो याचिकाकर्ता राहत मांग सकता है। याचिका ने सीमित अवधि के लिए ट्रांजिट जमानत देने के लिए आधार तैयार किया है। एकल पीठ ने इस आदेश में यह भी कहा कि पुलिस अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय  के निर्णय का दुरुपयोग कर रही है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपना दिमाग नहीं लगा रही है कि संज्ञेय अपराध किया गया है या नहीं। पुलिस को कोर्ट को संतुष्ट करना चाहिए कि वे किसी व्यक्ति को क्यों गिरफ्तार कर रहे हैं। एकल पीठ ने कल (24 नवंबर) आदेश को सुरक्षित रखा था।

मुंबई पुलिस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर प्रारंभिक आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह कुछ भी नहीं है, लेकिन फोरम शॉपिंग है और याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर भरोसा करते हुए, कामत ने तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई यह याचिका, बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिका की नकल है, जहां कंपनी के कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ राहत मांगी गई है। आवेदक द्वारा इस अदालत के समक्ष उसे प्रस्तुत नहीं किया गया है। कामत ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां बॉम्बे हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद यह कर्नाटक हाई कोर्ट में दूसरा प्रयास किया जा रहा है।

इसके पहले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस  एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने महाराष्ट्र विधानसभा के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की नोटिस के खिलाफ अर्णब गोस्वमी की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। न्यायालय ने कहा कि उसे विधानसभा के सहायक सचिव विलास अठावले द्वारा दाखिल किए गए जवाब के अवलोकन के लिए समय चाहिए।

इस मामले की सुनवाई की पिछली तारीख पर न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय जाने से रोकने के मकसद से गोस्वामी को कथित रूप से धमकी देने के कारण महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय के सहायक सचिव अठावले को तलब किया था। अठावले ने न्यायालय में दाखिल अपने जवाब में कहा कि उन्होंने विधानसभा के अध्यक्ष के निर्देश पर यह कार्रवाई की थी।

गोस्वामी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आज कहा कि विधानसभा के अध्यक्ष को नोटिस भेजी जानी चाहिए। इस पर न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि जवाबी हलफनामा कहता है कि अठावले एक ‘एजेंट’ थे और उन्होंने अध्यक्ष के निर्देशानुसार काम किया है, अध्यक्ष को नोटिस भेजे जाने की आवश्यकता है। चीफ जस्टिस बोबडे ने भी कहा कि नोटिस भेजने की आवश्यकता होगी, उन्होंने कहा कि अध्यक्ष को यह कहने का अवसर नहीं मिलना चाहिए कि उन्हें सूचित किए बगैर ही यह कार्रवाई की गई।

हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जोर देकर कहा कि सहायक सचिव के खिलाफ अवमानना का कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ शिकायत करने वाले विधायक के कार्यालय पर छापा मारा है। क्या यह न्यायालय की अवमानना होगा? दुष्यंत दवे ने कहा कि यह कोई अवमानना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चार फैसले हैं जो सीधे मेरी मदद करते हैं!

पीठ ने दातार से कहा कि वह इस बिंदु पर भी विचार करें कि क्या इस मामले में अध्यक्ष को नोटिस भेजा जाना चाहिए। पीठ ने सभी पक्षों से कहा है कि सुनवाई की अगली तारीख पर वे अपना संक्षिप्त वक्तव्य दाखिल करें।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles