Saturday, April 27, 2024

वैक्सीन की कीमत पर राज्य और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने

यूपीए 2 की तरह मोदी सरकार का इकबाल खतरे में पड़ गया है और राज्य सीधे सीधे मोदी सरकार पर गलतबयानी का आरोप लगा रहे हैं । कमोवेश राज्यों में भी ऐसे ही हालात हैं जब भाजपा सरकार के मंत्री ,विधायक और सांसद अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। कोरोना वैक्सीन की कीमत को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार उच्चतम न्यायालय में आमने सामने आ गए हैं. तो गोवा में बीते मंगलवार को एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक रात में कोविड-19 से संक्रमित 26 लोगों की मौत का मामला सामने आया है जिसमें गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने जहां ऑक्सीजन की कमी की बात करते हुए मामले की जांच हाईकोर्ट से कराने का आग्रह किया है, वहीं भाजपा मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन की कमी होने से इनकार किया है।

उच्चतम न्यायालय में एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने सालाना बजट में जितना पैसा कोरोना वैक्सीन के लिए एलॉट किया था अगर उसका इस्तेमाल हो जाता है तो पूरे देश के लोगों को मुफ्त वैक्सीन दिया जा सकता है।वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि अगर कीमत या बाजार को नियंत्रित किया गया तो इसका असर वैक्सीन की उत्पादन पर पड़ेगा।केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय  में हलफनामा दाखिल कर अपने अपने आंकड़े और तर्क पेश किए हैं जिस पर गुरुवार को होने वाली सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ के कोरोना संक्रमित होने के कारण  स्थगित कर दी गयी है।

पश्चिम बंगाल ने केंद्र पर वैक्सीन बानाने वाली कंपनियों को ग्रांट या अनुदान दे कर फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।उनका कहना है कि अगर कंपनियों को वैक्सीन पर रिसर्च करने और उत्पादन करने के लिए सरकार ने पैसा दिया है तो फिर वैक्सीन के लिए कीमत क्यों दी जा रही है। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने साफ किया है कि किसी भी कंपनी को ग्रांट नहीं दिया गया है। हां ये ज़रूर है कि वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल के लिए पैसा दिया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाखिल हलफनामे के मुताबिक आई.सी.एम.आर के साथ क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए भारत बायोटेक को 35 करोड़ रुपया और सीरम इंस्टीट्यूट को 11 करोड़ रुपया दिया गया है।इसके अलावा वैक्सीन बनाने के लिए एक निजी और तीन सरकारी संस्थाओं को 200 करोड़ रुपया दिये जाने की सहमति दी गई है, लेकिन अभी पैसा रिलीज नहीं हुआ है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट को कोवीशील्ड वैक्सीन सप्लाई करने के लिए 1732.50 करोड़ रुपया एडवान्स दिया गया है, जबकि भारत बायोटेक को कोवैक्सीन के लिए 787.50 करोड़ रुपया एडवान्स दिया गया है।  

पश्चिम बंगाल सरकार ने हलफनामें में अलग ही आंकड़े दिए हैं। पश्चिम बंगाल का कहना है कि- भारत सरकार ने साल 2021 के बजट में 35 हजार करोड़ रुपया करोना वैक्सीन के लिए आवंटित किया था।  बजट के 35 हजार करोड़ रुपये से 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा सकती है। 50 करोड़ लोगों के लिए एक वैक्सीन की कीमत पड़ेगी 350 रुपए प्रति डोज। जबकि भारत सरकार ने कंपनियों से एक डोज का सिर्फ 150 रुपया कीमत तय किया है। यानी भारत सरकार ने जो कीमत तय की है  उससे देश की एक बड़ी आबादी को मुफ्त वैक्सीन दी जा सकती है।

पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार खुद तो कंपनियों से 150 रुपए में वैक्सीन खरीद रही है,लेकिन राज्यों को वही वैक्सीन 300 रुपए (कोवीशील्ड) और 600 रुपए (कोवैक्सीन) में मिल रहा है। इससे राज्यों को दूसरी लाभकारी योजनाओं का पैसा काट कर वैक्सीन पर खर्च करना होगा. राज्य सरकार का कहना है कि इंडियन पेटेंट एक्ट 1970 के धारा 92 के तहत केंद्र सरकार को 18 दूसरी कंपनियों को भी वैक्सीन बनाने की अनुमति देनी चाहिए। इससे वैक्सीन की कीमत कम होगी।

इस बीच गोवा भारतीय जनता पार्टी के एमएलए अटानासियो बाबुश मोंसेरेट ने अपनी ही सरकार पर तीखा हमला बोला है। कोरोना से हो रही मौतों के लिए हेल्थ मिनिस्टर विश्वजीत राने को जिम्मेदार बताकर उन्होंने मांग की है कि सीबीआई उनके महकमे की जांच करे।मोंसेरेट ने कहा कि हेल्थ मिनिस्टर को पता था कि दूसरी लहर आने वाली है। लेकिन बावजूद इसके लोगों के इलाज का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया। राने पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं। गोवा के अस्पतालों में लोगों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम तक नहीं हैं। उनका कहना है- हम अपने करीबी लोगों को लगातार खोते जा रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री को मौत पर भी किसी तरह का दुख नहीं है।सीएम प्रमोद सावंत से उन्होंने मांग की कि वो तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य मंत्रालय को अपने मातहत लें। हेल्थ मिनिस्टर के बस का नहीं है लोगों को बेहतर इलाज दिलाना। यही हाल रहा तो मौतों का आंकड़ा और ज्यादा तेजी से बढ़ने लग जाएगा। उनका कहना था कि वो दुखी हैं, क्योंकि लोग मर रहे हैं और वो कुछ नहीं कर पा रहे।

गौरतलब है कि गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 26 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। इन सबका अस्पताल में इलाज चल रहा था। स्वास्थ्य मंत्री विश्वरजीत राने ने मांग की है कि इस घटना की जांच हाईकोर्ट करे ताकि इसके कारण का पता चल सके। मंत्री का कहना है कि इन सभी 26 कोरोना मरीजों की मौत देर रात 2 बजे से लेकर मंगलवार सुबह 6 बजे के बीच हुई है।

वैक्सीन की किल्लत पर अब केंद्र और राज्य सरकारों में आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है। बुधवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वैक्सीन सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगा दिया।मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के कारण भारत बायोटेक ने दिल्ली को 67 लाख कोवैक्सीन देने से मना कर दिया है।दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों का अब भारतीय जनता पार्टी की ओर से जवाब भी दिया गया है, बताया गया है कि वैक्सीन विदेश क्यों भेजी गई है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मसले पर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की।मनीष सिसोदिया ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने कुल 1.34 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 67 लाख कोविशील्ड और 67 लाख कोवैक्सीन का ऑर्डर था।अब दिल्ली को कोवैक्सीन की सप्लाई नहीं मिल रही है,क्योंकि भारत बायोटेक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।  मनीष सिसोदिया ने भारत बायोटेक द्वारा लिखी चिट्ठी भी साझा कर दी।  जिसमें भारत बायोटेक ने कहा है कि वह केंद्र सरकार के अधिकारियों की नीतियों के अनुसार ही वैक्सीन की सप्लाई कर रहे हैं।ऐसे में हम आपको कोवैक्सीन की अतिरिक्त सप्लाई नहीं कर सकते हैं।मनीष सिसोदिया के मुताबिक, कोवैक्सीन की सप्लाई बंद होने की वजह से दिल्ली में करीब 100 वैक्सीन सेंटर्स को बंद करना पड़ रहा है।

यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी में कोरोना की स्थिति भली-चंगी होने का दावा कर रहे हैं। हालांकि, उनकी पार्टी के ही विधायक और मंत्री ही स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा नहीं जता रहे हैं और लगातार लेटर लिख रहे हैं।  केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार का भी एक लेटर सामने आया है। बरेली से सांसद गंगवार ने योगी को खत लिखकर कहा कि अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं और रेफरल के नाम पर मरीज एक से दूसरे अस्पताल में भटकते रहते हैं।

यूपी में ऑक्सीजन कमी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।राज्य सरकार की तरफ से ऐसा दावा लगातार किया गया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन, बेड, अस्पताल पर्याप्त मात्रा में हैं।लेकिन इन दावों पर खुद बीजेपी के कई नेता, सांसद, विधायक, मंत्री लगातार सवाल उठा रहे हैं। 2 मई को रूधौली के बीजेपी विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में  कहा है कि जिले में रेमेडिसिवर इंजेक्शन, ऑक्सीजन, वैक्सीन, बेड की कमी है। जिस वजह से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है और लोगों का भरोसा केंद्र, राज्य सरकारों के प्रति घट रहा है।इससे पहले श्रम कल्याण राज्यमंत्री सुनील भराला मेरठ के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और रेमेडिसिवर की कमी को लेकर खत लिख चुके हैं।

भदोही से बीजेपी विधायक दीनानाथ भाष्कर जिले में हेल्थ सिस्टम की खामी की वजह से बीजेपी नेता की जान जाने की बात मुख्यमंत्री को लेटर के माध्यम से बता चुके हैं।बरेली कैंट से बीजेपी विधायक अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए जिले में ऑक्सीजन की कमी पर ध्यान खींच रहे हैं और जल्द मदद की गुहार लगा चुके हैं।लखनऊ के मोहनलाल गंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर कई बार सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर कभी लखनऊ के अस्पतालों में बेड की खामियों तो कभी ऑक्सीजन की कमी की बात कह चुके हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles