सीएजी तबादला: कांग्रेस ने कहा-‘माफिया स्टाइल’ में काम कर रही है मोदी सरकार

नई दिल्ली। पीएम मोदी की सरकार लगातार स्वतंत्र संस्थाओं पर हमला कर रही है। चाहे वह मीडिया हो, विपक्ष के नेता हों या फिर कोई दूसरा सरकारी संस्थान। इस बार निशाने पर सीएजी और उसके अधिकारी हैं। पता चला है कि आयुष्मान भारत योजना और सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली परियोजनाओं की CAG ऑडिट करने वाले तीन अधिकारियों का अचानक ट्रांसफर कर दिया गया है। इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर “माफिया-शैली” में काम करने का आरोप लगाया है।

समाचार पोर्टल ‘द वायर’ ने बुधवार को खबर दी थी कि भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईए एंड एएस) के जिन दो अधिकारियों का तबादला किया गया है। वे ऑडिट रिपोर्ट के प्रभारी थे, जिन्होंने द्वारका एक्सप्रेस वे परियोजना और आयुष्मान भारत में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। आयुष्मान भारत रिपोर्ट की ऑडिट शुरू करने वाले तीसरे अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया है।

CAG (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्टें अतीत में विपक्षी दलों के हाथों में एक घातक हथियार हुआ करती थीं। तत्कालीन CAG विनोद राय के कोयला आवंटन के मामले में 1.76 लाख करोड़ रुपये के “अनुमानित नुकसान” के आंकड़े के चलते मनमोहन सिंह सरकार की छवि खराब हो गई थी।

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार 2014 से CAG पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है। जबकि संसद में रिपोर्ट पेश करने में हमेशा देरी होती है। यहां तक कि मीडिया भी अब रिपोर्टों पर पहले की तरह चर्चा नहीं करता।

तबादलों की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा, “मोदी सरकार चुप्पी और धमकी की आड़ में माफिया शैली में काम करती है। यदि कोई इसके भ्रष्टाचार के तौर-तरीकों को उजागर करता है, तो उन्हें धमकी दी जाती है या हटा दिया जाता है। ताजा शिकार CAG के तीन अधिकारी हैं, जिन्होंने संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश की गई एक रिपोर्ट में सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर घोटालों का खुलासा किया था।”

रमेश ने आगे कहा कि “CAG रिपोर्ट ने बुनियादी ढांचे और सामाजिक योजनाओं में घोटाले का खुलासा किया था। इसने द्वारका एक्सप्रेस वे में 1400% लागत के मूल्य में वृद्धि दिखाया गया था इसके साथ ही हाईवे प्रोजेक्ट से 3600 करोड़ रुपये का डायवर्जन था। साथ ही दोषपूर्ण बोली प्रथाओं और भारत माला योजना की 60% लागत मुद्रास्फीति को चिन्हित किया गया। इतना ही नहीं, आयुष्मान भारत योजना के ऑडिट में दिखाया गया मृत मरीजों के लिए लाखों रुपये के दावे किए गए और कम से कम 7.5 लाख लाभार्थी एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े पाए गए।”

हालांकि यातायात मंत्री नितिन गडकरी ने सीएजी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। जबकि कांग्रेस ने आयुष्मान भारत घोटाले को मध्य प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बनाया था जहां कथित तौर पर मृत मरीजों के इलाज के बहाने पैसों को निकाल लिया गया था। मौजूदा समय में CAG के मुखिया गिरीश चंद्र मुर्मू हैं जिन्हें पीएम मोदी से नजदीकी के लिए जाना जाता है।

जयराम रमेश ट्रांसफर ऑर्डर को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि “अब, मोदी सरकार अपने घोर भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए आयुष्मान भारत और द्वारका एक्सप्रेसवे घोटालों पर रिपोर्टिंग के प्रभारी तीन CAG अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है, इस तथ्य के बावजूद कि CAG को एक स्वतंत्र निकाय माना जाता है। हम मांग करते हैं कि इन स्थानांतरण आदेशों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए, अधिकारी CAG के पास लौटें और द्वारका एक्सप्रेसवे, भारतमाला और आयुष्मान भारत से संबंधित इन मेगा घोटालों पर कार्रवाई की जाए।  

आप ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारियों का तबादला कर दिया जाता है, जबकि मोदी कहते हैं ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा।’ यह पाया गया है कि आयुष्मान भारत योजना के 7.5 लाख लाभार्थियों के पास एक फोन नंबर था…मोदी जी, यदि आप में साहस है, तो अधिकारियों को स्थानांतरित करने के बजाय इन घोटालों की जांच का आदेश दें।”

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, 12 सितंबर को CAG कार्यालय के आदेश 1901 के माध्यम से, अशोक सिन्हा, जो ऑडिट, इंफ्रास्ट्रक्चर (पीडीए, इंफ्रास्ट्रक्चर), नई दिल्ली के प्रधान निदेशक थे, को स्थानांतरित कर दिया गया है। और तिरुवनंतपुरम के सुनील राज सोमराजन के स्थान पर महालेखाकार (ए एंड ई) के रूप में तैनात किया गया है।

अतूरवा सिन्हा को मार्च 2023 में पीडीए, बुनियादी ढांचा पद सौंपा गया था। सिन्हा भारतमाला परियोजना चरण- I (बीपीपी-1) के कार्यान्वयन के तहत राजमार्ग परियोजनाओं पर CAG रिपोर्ट के प्रभारी थे, जिसमें अनियमितताओं के मामले पाए गए थे।

CAG कार्यालय के आदेश 1902, दिनांक 12 सितंबर के अनुसार, दत्तप्रसाद सूर्यकांत जो शिरसाट निदेशक (एएमजी II), लेखापरीक्षा महानिदेशक और केंद्रीय व्यय का देख-रेख करते हैं उन्हें “स्थानांतरित किया गया है और इस कार्यालय में एक मौजूदा रिक्ति के कारण निदेशक (कानूनी मामला) के रूप में तैनात किया गया है।” शिरसाट आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के प्रदर्शन ऑडिट के प्रभारी थे।    

आदेश में यह भी कहा गया है कि उत्तर-मध्य क्षेत्र के महानिदेशक अशोक सिन्हा को, महानिदेशक राजभाषा के पद पर स्थानांतरित किया गया है। वह अगले आदेश तक CAG कार्यालय में महानिदेशक (परीक्षा) पद का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। सिन्हा ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, केंद्र सरकार (सिविल) राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रदर्शन ऑडिट की शुरुआत की थी।

हालांकि, सभी 37 अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापन आदेश ऑनलाइन पोस्ट नहीं किए गए हैं।

(द वायर की खबर पर आधारित।)

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