Thursday, April 18, 2024

48 हजार झुग्गियों को बचाने के लिए भाकपा माले की 48 घंटे की ‘चेतावनी भूख हड़ताल’ 14 सितंबर से

दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बसे गरीब लोगों को उजाड़ने की रेल मंत्रालय की कोशिशों का भाकपा माले ने जमीनी स्तर से विरोध शुरू किया है। भाकपा माले 14 सितंबर को वजीरपुर झुग्गियों में रेलवे पटरियों के किनारे शाम पांच बजे से 48 घंटे की चेतावनी भूख हड़ताल शुरू करने जा रही है। पार्टी के दिल्ली के राज्य सचिव रवि राय के साथ झुग्गी के पांच लोग सोमवार की शाम से चेतावनी भूख हड़ताल शुरू करेंगे।

राष्ट्रीय राजधानी में रेलवे पटरियों के किनारे झुग्गियों के तोड़े जाने के फैसले के विरोध में भूख हड़ताल की जा रही है। 31 अगस्त को पारित अपने एक गरीब विरोधी आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में रेलवे पटरियों के साथ लगी हुई झुग्गी बस्तियों को हटाने का आदेश दिया था। साथ ही यह भी निर्देश दिया था कि कोई अन्य अदालत इस आदेश को रोक नहीं सकती है।

कई कानूनी विद्वानों और वकीलों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस आदेश ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले कई फैसलों को शर्मनाक तरीक़े से नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राइट टू शेल्टर यानि आवास का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और दिल्ली में किसी भी झुग्गी को पर्याप्त और उचित पुनर्वास के बग़ैर तोड़ा नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ भी है, क्योंकि यह आदेश पुनः अपील करने का मौका भी नहीं देता है और अदालत ने झुग्गी वासियों के पक्ष को नहीं सुना है।

भाकपा माले के राज्य सचिव रवि राय ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का आदेश बेहद अमानवीय है, उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के रूप की विशेष परिस्थितियां आज हमारे सामने हैं। यह आदेश उन परिस्थितियों को भी नज़रअंदाज़ करता है। इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया गया है कि झुग्गी-झोपड़ी निवासी इन हालातों का सामना कैसे करेंगे। 

रेल मंत्रालय ने पुनर्वास की योजना के बिना दिल्ली में कुछ स्थानों पर तोड़ फोड़ शुरू कर दी है, जो पूरी तरह से अमानवीय है। मोदी सरकार जानबूझकर कानूनों की धज्जियां उड़ा रही है और खुद को गरीब विरोधी साबित कर रही है।

दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आश्वासन के ख़ुद को केवल बयान देने तक ही सीमित रखा है। यह एक ऐसी स्थिति की ओर ले जा रहा है, जहां गरीबों को ख़ुद उनके ही भरोसे छोड़ दिया गया है। हम 48 घंटों के लिए चेतावनी भूख हड़ताल का आयोजन कर रहे हैं और अगर सरकार ने जवाब नहीं दिया तो हम इससे भी बड़े आंदोलन की ओर बढ़ेंगे।”

भाकपा माले की मांगें
◆ मोदी और केजरीवाल सरकार को झुग्गी बस्तियों के लोगों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे!
◆ कोरी बयानबाज़ी नहीं, बल्कि एक कानूनी आदेश जारी करना होगा और झुग्गी वासियों से किए गए वादों को पूरा करना होगा!
◆ जबरन विस्थापन नहीं चलेगा।सभी झुग्गी वासियों के लिए वर्तमान निवास के पांच किलोमीटर के भीतर पुनर्वास की गारंटी करो!

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