वाराणसी: डॉ ओमशंकर ने अनशन तोड़ा, भावुक होकर कहा-अनशन तोड़ रहा हूं, लड़ाई नहीं छोड़ रहा 

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वाराणसी। मरीजों के लिए बेड और भ्रष्ट चिकित्सा अधीक्षक को बर्खास्त करने की मांग को लेकर पिछले 19 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर ने बीसवें दिन सैकड़ों मरीजों की उपस्थिति में गांधी जी के प्रपौत्र तुषार गांधी के हाथों से जूस पीकर अपना आमरण अनशन तोड़ दिया। इस मौके पर भावुक डॉ. ओमशंकर ने कहा कि मैं अनशन तोड़ रहा हूं पर अपनी लड़ाई नहीं छोड़ रहा। मेरी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

बीते 19 दिनों से लगातार आमरण अनशन पर बैठे डॉ. ओमशंकर की मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन संवेदनहीन बना रहा। इसी बीच नागरिक समाज, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने डॉ. ओमशंकर से अपने अनशन को विराम देने की मांग की। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी बुधवार को डॉ. ओमशंकर की मांगों को जायज बताते हुए उनसे अनशन तोड़ने को कहा था।

गुरुवार की सुबह तुषार गांधी के हाथों से जूस पीकर डॉ. ओमशंकर ने अपना अनशन तोड़ दिया। इस मौके पर विचारक प्रो आंनद कुमार भी मौजूद थे।

प्रख्यात गांधीवादी प्रचारक तुषार गांधी ने कहा कि प्रोफेसर ओमशंकर ने समाज के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर गांधीवादी तरीक़े से आमरण अनशन करके इसे राष्ट्रव्यापी मुद्दा बनाया है। हम सब नागरिक समाज के लोगों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि इसे देश के हर राज्य हर जिले मे पहुंचाएं ताकि भारत में रहने वाले सभी भारतीयों को स्वास्थ्य और शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो ।

प्रोफेसर आनंद कुमार ने स्वास्थ्य शिक्षा क्रांति आन्दोलन को भविष्य में पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से चलाने की घोषणा की।

अनशन पर बैठे डॉ. ओमशंकर से राहुल गांधी ने मोबाइल के माध्यम से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था आप इस मुद्दे को विस्तार से लिख कर मुझे दे मैं व्यक्तिगत तौर पर इसे देखूंगा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखकर डॉ ओमशंकर का समर्थन किया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ ओमशंकर से भेंट कर पूरे मामले की जानकारी ली थी उन्होंने बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार को मरीजों के लिए अहितकर बताया था। इसके अलावा बिहार के पूर्व सांसद पप्पू यादव भी ओमशंकर से मिलने अनशन स्थल पर पहुंचे थे।

लेकिन इतने गंभीर मुद्दे पर सत्ता पक्ष मौन रहा। सत्ता पक्ष की ओर से किसी ने भी डॉ ओमशंकर से मिलकर इस मसले पर जानकारी लेने की कोशिश नहीं की। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनशन के दौरान दो बार बनारस आए। रोड शो किया लेकिन उनके ही संसदीय क्षेत्र में इतने संवेदनशील मुद्दे पर बोलना उन्होंने जरूरी नहीं समझा।

डॉ ओमशंकर सुपर स्पेशियलिटी भवन में हृदय रोग विभाग को दिए गए बेड पर डिजिटल लॉक के विरोध में पिछले दो सालों से लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं। बीते 8 मार्च को भी वो आमरण अनशन पर बैठने वाले थे उस वक्त आईएमएस के निदेशक ने उन्हें लिखित रूप से बेड दिए जाने की बात कही थी। बावजूद इसके उन्हें बेड नहीं दिया गया। इसके बाद बीते 11मई से उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू किया था।

(वाराणसी से भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट।)

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