ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वास्तव में सरकार का तोता बन गया है और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए इसका दुरूपयोग हो रहा है। दरअसल ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए छापे मरती है और आधे अधूरे कागजातों के आधार पर जब्ती की कार्रवाई करती है लेकिन जब इसकी पुष्टि के लिए मामला निर्णयन प्राधिकारी (एडजुडिकेटिंग अथारिटी) और फिर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए ) अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने जाता है तो ईडी सुनवाई में या तो उपस्थित नहीं होती या जवाब तलब करने पर समय से जवाब दाखिल नहीं करती। नतीजतन जब्ती की कार्रवाई निरस्त हो जाती है। ऐसा ही एक मामला संदेसरा ग्रुप ऑफ कम्पनीज से जुड़े स्टर्लिंग बायोटेक बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच का आया है जहां ईडी को जब्त सोने के सिक्कों को वापस लौटने का निर्देश दिया गया है।
पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) द्वारा पिछले साल वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल के करीबी सहयोगी के निवास से जब्त किए गए सोने के सिक्कों को वापस करने का आदेश दिया है। अहमद पटेल गुजरात से राज्यसभा सदस्य हैं और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव हैं।
न्यायाधिकरण ने ईडी की उस अपील को खारिज कर दिया है, जो पिछले साल ईडी के निर्णयन प्राधिकारी(एडजुडिकेटिंग अथारिटी) द्वारा पारित एक सख़्त आदेश के खिलाफ दायर किया गया था। अपने 2018 के आदेश में निर्णयन प्राधिकारी ने कहा था कि यह रिकॉर्ड पर है कि सहायक निदेशक द्वारा की गई तलाशी में केवल कुछ सोने के सिक्के बरामद किए गए हैं और यह पता लगाना मुश्किल नहीं है कि वे किसी मामले की जांच में उपयोगी हो सकते हैं या नहीं।
ईडी ने सोने के सिक्कों को “अपराध की आय” करार दिया था । हालांकि, इसका कोई औचित्य नहीं है। ईडी द्वारा जब्त किए गए सोने के सिक्कों को उसके कब्जे में रहने देने का कोई औचित्य नज़र नहीं आता क्योंकि उन पर न तो कोई विशेष चिन्ह अंकित है न कोई विशेष उल्लेख। मैं यह देखकर भी हैरान हूं कि ईडी ने जो आवेदन को निर्णयन प्राधिकारी के समक्ष दायर किया था , उसकी तीन सुनवाई में न तो आवेदक (ईडी) और न ही इसके वकील आवेदन के पक्ष में जवाब देने या तर्क देने के लिए उपस्थित थे। ऐसा निर्णयन प्राधिकारी ने कहा था। ईडी ने सोने के सिक्कों की कुर्की की पुष्टि के लिए आवेदन दाखिल किया था। ईडी को फटकारते हुए निर्णयन प्राधिकारी ने आगे कहा कि ईडी द्वारा आवेदन दाखिल करने के बाद निर्णयन प्राधिकारी के समक्ष कार्यवाही के प्रति यह उदासीनता पूरी तरह से अनुचित और हास्यास्पद है। प्राधिकारी ने ईडी को संजीव महाजन, जो अहमद पटेल के करीबी सहयोगी बताए जाते हैं, को सोने के सिक्के वापस करने का निर्देश दिया।
.महाजन और अन्य के परिसर में ईडी ने स्टर्लिंग बायोटेक बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में छापे डाले थे। अप्रैल 2018 के अपने छापे में ईडी ने महाजन और उनकी पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से रखे गए आभूषणों के साथ 11,77,600 रुपये मूल्य के लगभग 368 ग्राम वजन के विभिन्न वजन के सोने के सिक्के जब्त किए थे।
प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने संदेसरा ग्रुप ऑफ कम्पनीज से जुड़े एक कथित धनशोधन मामले में कांग्रेस नेता अहमद पटेल के करीबी सहयोगी संजीव महाजन और अन्य व्यापारियों के घरों और अन्य परिसरों में छापे मारे थे। ईडी ने दिल्ली में मयूर विहार फेज 1 और बाबर रोड पर महाजन के परिसर पर छापेमारी की थी । द्वारका में घनश्याम पांडे, लक्ष्मी नगर में लक्ष्मी चंद गुप्ता और गाजियाबाद में अरविंद गुप्ता के परिसर की भी तलाशी ली गई थी । यह तीनों चेतन और नितिन संदेसरा के स्वामित्व वाले संदेसरा ग्रुप से जुड़े हुए हैं। संदेसरा ग्रुप पर कथित तौर पर 5,383 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन देन में शामिल होने का आरोप है। इस ग्रुप का मालिकाना हक चेतन और नितिन संदेसारा के पास है।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)
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