14 अगस्त को वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे लेख के बाद से भारत में फेसबुक के खिलाफ़ गुस्सा परवान पर है। लोग अलग-अलग तरह से फेसबुक के प्रति अपना प्रतिरोध दर्ज़ करवा रहे हैं।
पत्रकार आवेश तिवारी द्वारा अपने निजी एकाउंट से फेसबुक लाइव में फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास की मोदी भक्ति उजागर करने के बाद फेसबुक अधिकारी आंखी दास ने आवेश तिवारी व हिमांशु देशमुख समेत 5 लोगों के खिलाफ़ दिल्ली साइबर सेल में धारा 345ए, 499/500, 506,507, 509 के तहत शिकायत दर्ज़ करवाया है जिसमें उन्होंने जान की धमकी का जिक्र किया है। आखिर ‘मुर्दाबाद’ जैसे नारे कब से जान की धमकी होने लगे।
सत्तासीन आँखी दास ने अपनी शिकायत में डाला ‘वूमेन विक्टिमहुड’ का एंगल
आँखी दास ने अपनी शिकायत में कहा है कि- “एक समाचार लेख के आधार कंटेंट मेरी प्रतिष्ठा को खराब कर रहे हैं और मुझे धमकियां मिल रही हैं।”
प्राथमिकी में आगे कहा गया है, “अभियुक्तों ने जान बूझकर अपनी राजनीतिक संबद्धता के कारण मुझे दोषी ठहराया है और अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दुर्व्यवहार में संलग्न हैं। मुझे आपराधिक धमकी दी जा रही है।”
दास ने उन पर यौन रूप से भी भद्दी टिप्पणियां करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उन्हें बदनाम करने के लिए यह किया जा रहा है। चूंकि मेरी तस्वीरें और ब्योरे सार्वजनिक रूप से अपराधियों द्वारा साझा किए जा रहे हैं, इसलिए मैं लगातार भय और धमकी के अधीन हूं, खासकर एक महिला होने के नाते।”
भगवा फेसबुक अधिकारी पर सांप्रदायिकता और वैमनस्य फैलाने का आरोप
इसके बाद पत्रकार आवेश तिवारी द्वारा फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आँखी दास और दो अन्य लोगों विवेक सिन्हा, राम साहू के खिलाफ़ धारा 295ए, 505 (1)(सी), 500,और 34 के तहत मुकदमा दर्ज़ करवाया गया है।
आवेश तिवारी ने अपनी लिखित शिकायत में आरोप लगाते हुए कहा है- “तीनों नामजद ने मिलकर फेसबुक के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच धार्मिक द्वेष फैलाने वाले लेख प्रकाशित प्रसारित किये और दोनों समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा व द्वेष पैदा करने वाले पोस्ट डाले, उन्हें धमकाया, उनकी मानहानि की और अपमानजनक लेख डाले।
तीनों नामजद ने मिलकर उन्हें आग से जलाने की धमकी दी है और वे सुरक्षा चाहते हैं। एफआईआर के मुताबिक आवेश तिवारी ने 14 अगस्त को अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में छपे एक लेख पर एक फेसबुक लाइव में साफ़ तौर पर कहा था कि- “आंखी दास लोकसभा चुनाव से पूर्व फेसबुक के राजनैतिक हित के लिए तमाम तरह के हेट स्पीच से जुड़ी पोस्ट को न हटाने के लिए अपने अधीनस्थों पर दबाव डाल रही थीं। उनका कहना था कि इससे केंद्र सरकार से राजनैतिक सम्बंध खराब हो सकते हैं।‘’
फेसबुक यूज़र राम साहू ने मुझे जला डालने व मेरे घर को जला डालने की बात कही है। इस पोस्ट के बाद मुझे जगह-जगह से वॉट्सएप कॉल और मैसेज आ रहे हैं और मुझे धमकियां दी जा रही हैं जिसमें फेसबुक की निदेशक आंखी दास का नाम लेकर मुझे जाने से मारने बरबाद करने की धमकी दी जा रही है।”
बॉयकाट फेसबुक मुहिम
वहीं फेसबुक की सांप्रदायिक फासीवादी नीतियों के खिलाफ़ लोग अपना फेसबुक एकाउंट डिएक्टिवेट करके फेसबुक के खिलाफ़ अपने गुस्से का इज़हार कर रहे हैं।
दिल्ली असेंबली पैनेल ने आँखी दास के खिलाफ जारी किया समन
दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति ने फेसबुक के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के बाद यह फैसला लिया है कि भारत में जानबूझकर फेसबुक से भड़काऊ, घृणित पोस्ट नहीं हटाने के संदर्भ में फेसबुक को समन जारी किया जाएगा। फेसबुक में पब्लिक पॉलिसी की निदेशक आंखी दास को भी समन जारी करके उनकी मौजूदगी सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है। इस मामले पर समिति इसी सप्ताह एक और बैठक बुलाएगी।
विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा है, “दिलचस्प है कि हाल ही में एक बीजेपी नेता द्वारा एक फेसबुक पोस्ट किया गया था। उस पोस्ट पर खुद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बहुत ही अपमानजनक और भड़काऊ श्रेणी का बताया था। उसके बाद भी उस पोस्ट को फेसबुक से नहीं हटाया गया। ऐसा लगता है कि फेसबुक अधिकारी जानबूझकर इस तरह का काम कर रहे हैं।
राघव चड्ढा ने कहा कि समिति को मिली शिकायतों पर विचार करने के उपरांत प्रथम दृष्ट्या पाया कि फेसबुक अधिकारियों पर लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं। जिन्हें नजरअंदाज किया गया, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। इसलिए दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति ने मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए फेसबुक अधिकारियों को समन भेजने का फैसला किया है। समिति में अमेरिका स्थित ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफार्म वॉल स्ट्रीट जर्नल की 14 अगस्त, 2020 को प्रकाशित उस रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई, जिसके अनुसार फेसबुक जानबूझ कर भड़काऊ पोस्ट के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
क्या लिखा था वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी उस रिपोर्ट में
आँखी दास इसलिए चर्चा में आई हैं क्योंकि ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में उनका नाम उछला है। अख़बार की रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा है कि आँखी दास बीजेपी और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफ़रत वाली पोस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होने देती थीं।
‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के अनुसार, आँखी दास की भूमिका उस टीम की निगरानी करने की थी जो यह तय करती है कि फ़ेसबुक पर कौन सी सामग्री की अनुमति दी जाए और कौन सी की नहीं। रिपोर्ट में फ़ेसबुक के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि इसी के दम पर दास ने बीजेपी और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफ़रत वाली पोस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में बाधा डालीं।
‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ के अनुसार, फ़ेसबुक के कर्मचारियों ने टी. राजा सिंह द्वारा पोस्ट किए गए भड़काऊ मैटिरियल का मामला सबसे पहले उठाया गया। राजा सिंह तेलंगाना में बीजेपी के विधायक हैं और वह अक्सर भड़काऊ बयान देने के लिए सुर्खियों में रहे हैं।
‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने लिखा, ‘फ़ेसबुक पोस्ट में टी. राजा सिंह ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों को गोली मार दी जानी चाहिए, उन्होंने मुस्लिमों को देशद्रोही बताया और मस्जिदों को तोड़ने की धमकी दी।’ अख़बार ने लिखा कि इस वर्ष के मार्च तक उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि सिंह ने न केवल कंपनी के हेट-स्पीच नियमों का उल्लंघन किया है, बल्कि वह फ़ेसबुक के डैंजरस इंडिविजुअल यानी ख़तरनाक व्यक्ति बन गए हैं। यह वह स्थिति है जब फ़ेसबुक ऐसे व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक फ़ेसबुक के कर्मचारियों ने आंतरिक तौर पर इन लोगों की पोस्ट को हिंसा भड़काने को लेकर आपत्तियाँ की थीं बावजूद इसके आँखी दास ने भाजपा विधायक राजा सिंह और तीन अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों पर हेट-स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में फेसबुक के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से दावा किया गया है कि आँखी दास ने फ़ेसबुक स्टाफ़ से कहा कि- “उल्लंघन करने वाले बीजेपी सदस्यों को दंडित करने पर ‘देश में कंपनी की व्यावसायिक संभावनाओं को नुक़सान पहुँचेगा।”
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)