बॉलीवुड को ड्रग माफिया बताने से नाराज हुई फिल्म इंडस्ट्री, दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की अपील

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रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ पर चल रहे ‘बालीवुड ड्रग्स माफिया’ की खबरों पर पलटवार करते हुए 38 निर्माताओं ने अब दिल्ली उच्च न्यायालय में वाद दायर करके फिल्म उद्योग के खिलाफ ‘गैर ज़िम्मेदाराना, अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियों’ पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है। ये केस रिपब्लिक टीवी, अर्नब गोस्वामी, रिपब्लिक टीवी के प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ, राहुल शिवशंकर और नविका कुमार के ख़िलाफ़ दायर किया गया है। याचिका में बॉलीवुड हस्तियों का मीडिया ट्रायल रोकने की मांग की गई है।

रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ पर चल रहे ‘बालीवुड ड्रग्स माफिया’ का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। चार बॉलीवुड एसोसिएशनों और 34 बॉलीवुड निर्माताओं ने याचिका दाखिल की है। याचिका में बॉलीवुड के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए याचिका दाखिल की गई है।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के ताजा मामले में बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में ‘कुछ मीडिया हाउसों द्वारा गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग’ के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। करण जौहर, यशराज, आमिर खान, शाहरुख खान और सलमान खान की प्रोडक्शन कंपनियां, चार फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशनों और 34 निर्माताओं द्वारा यह याचिका दाखिल की गई है।

याचिका में कहा गया है कि चैनलों और साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को ‘बॉलीवुड और इसके सदस्यों के खिलाफ गैर-जिम्मेदार, अपमानजनक और अपमानजनक टिप्पणी करने या प्रसारित करने से बचना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें फिल्म हस्तियों का मीडिया ट्रायल चलाने और इंडस्ट्री के लोगों की गोपनीयता के अधिकार में हस्तक्षेप करने से रोका गया है।

याचिकाकर्ताओं में ये चार एसोसिएशन द प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ़ इंडिया, द सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन, द फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल तथा स्क्रीन-राइटर्स एसोसिएशन शामिल हैं। याचिका में शामिल 34 प्रोडक्शन हाउस में यशराज फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शंस, आमिर खान प्रोडक्शंस, सलमान खान वेंचर्स, सोहेल खान प्रोडक्शंस, रोहित शेट्टी पिक्चर्स, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट, राकेश ओमप्रकाश मेहरा पिक्चर्स, नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट, कबीर खान फिल्म्स, अजय देवगन फिल्म्स, केप ऑफ गुड फिल्म्स, अरबाज खान प्रोडक्शंस, आशुतोष गोवारिकर प्रोडक्शंस, अनिल कपूर फिल्म एंड कम्युनिकेशन नेटवर्क, एक्सेल एंटरटेनमेंट, विनोद चोपड़ा फिल्म्स, विशाल भारद्वाज फिल्म्स, रॉय-कपूर प्रोडक्शंस, एड-लैब्स फिल्म्स, आंदोलन फिल्म्स, बीएसके नेटवर्क एंड एंटरटेनमेंट, क्लीन स्लेट फिल्म्स, एमी एंटरटेनमेंट एंड मोशन पिक्चर्स, फिल्म-क्राफ्ट प्रोडक्शंस, होप प्रोडक्शंस, लव फिल्म्स, मैकगुफिन पिक्चर्स, वन इंडिया स्टोरीज, आरएस एंटरटेनमेंट, रियल लाइफ प्रोडक्शंस, सिखया एंटरटेनमेंट तथा टाइगर बेबी डिजिटल शामिल हैं।

इन निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि वे सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच से संबंधित खबरों पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सिर्फ गोस्वामी, शिवशंकर एंड कंपनी के खिलाफ मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करने वाली प्रकाशन सामग्री और खबरें चलाने पर स्थायी रोक लगाने का अनुरोध किया है।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से फिल्म इंडस्ट्री और इससे जुड़े लोगों पर व्यक्तिगत हमले हो रहे हैं। बॉलीवुड के लिए गंध, चरसियों का गढ़, समाज का मैल जैसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है। इतना ही नहीं, ‘यह बॉलीवुड है, जहां गंदगी को साफ करने की जरूरत है’ या फिर ‘बॉलीवुड के केंद्र में इतनी गंध है, जिसे दूर करने के लिए अरब की पूरी परफ्यूम भी यूज हो तो कुछ नहीं होगा’ जैसी अपमानजनक उपमाओं का इस्तेमाल भी चैनलों द्वारा किया गया है।

रिपब्लिक टीवी पर एक और जनहित याचिका
एक अन्य जनहित याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी का संचालन करने वाली उनकी मीडिया कंपनी को खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी भी अपराध की जांच से संबंधित कोई भी समाचार या सूचना प्रकाशित या प्रसारित करने से तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया जाए। जनहित याचिका में किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा किसी अपराध की जांच से संबंधित कोई खबर प्रकाशित या प्रसारित करने के बारे दिशा-निर्देश या नियम बनाने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया जाए।

याचिकाकर्ता मोहम्मद खलील का सरोकार अर्नब गोस्वामी और उनकी मीडिया कंपनी से है, जिसके माध्यम से सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर या गुमराह करने वाले तरीके से पेश किया जाता रहा है। याचिका में कहा गया है कि पूर्वाग्रह से प्रेरित रिपोर्टिंग से रिया चक्रवर्ती के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का अतिक्रमण हुआ है। याचिका के अनुसार यह पूरा तमाशा और कुछ नहीं बल्कि आरोपी के मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की कीमत पर टीआरपी और दर्शक बढ़ाने के लिए है। याचिका में कहा गया है कि चूंकि इस तरह का प्रसारण न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने में सक्षम है, इसलिए अर्नब गोस्वामी और उनकी मीडिया कंपनी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई भी शुरू की जानी चाहिए।

यह जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान के समक्ष सूचीबद्ध थी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह उन प्रस्तावित नियमों के साथ आएं, जिन्हें वह लागू कराना चाहता है। इस मामले की अब 27 नवंबर को सुनवाई होगी। यह याचिका अधिवक्ता रंधीर कुमार लाल के माध्यम से दायर की गई है, जबकि केंद्र का प्रतिनिधित्व सरकारी वकील अजय दिग्पाल ने किया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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