Saturday, April 27, 2024

चमोली में फिर टूटा ग्लेशियर, जुम्मा पुल टूटने से चीन बॉर्डर से संपर्क कटा

चमोली। उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले चमोली का जोशीमठ क्षेत्र एक बार फिर आपदा की चपेट में है। बीती रात नीति घाटी में सूखी भलगांव के पास जुम्मा नाले में फिर वैसा ही दृश्य देखने को मिला जैसा 7 फरवरी, 2021 को ऋषिगंगा में देखने का मिला था। हालांकि आसपास कोई पावर प्रोजेक्ट न होने से ऋषिगंगा जैसी त्रासदी नहीं हुई, लेकिन जुम्मा नाले में बने पुल के बह जाने से एक तरफ जहां इस घाटी के दर्जनभर गांव अलग-थलग पड़ गये हैं, वहीं दूसरी ओर चीन बॉर्डर तक सेना को जरूरी वस्तुओं की सप्लाई बंद हो गई है।

सेना और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गये हैं और वैकल्पिक मार्ग बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा पिछले 48 घंटों के दौरान लगातार हो रही बारिश के बीच गंगोत्री हाईवे पर बोल्डर गिरने से चार लोगों की मौत हो गई। राज्य में चारों धामों सहित सैकड़ों मार्ग बंद हो गये हैं।

चमोली जिले में जोशीमठ से करीब 50 किमी दूर नीति घाटी के जुम्मा नाले में अचानक उफान आ जाने से चीन बॉर्डर तक पहुंचने वाला एक मात्र मोटर मार्ग रात को टूट गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार 10 जुलाई की शाम को उच्च हिमालयी क्षेत्र से आने वाले जुम्मा नाले में अचानक उफान आ गया। यह उफान उस समय आया, जब इस क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही थी। नाले में आये इस उफान के कारण भारी भरकम पत्थर मोटर पुल के नीचे फंस गया। इससे नाले का प्रवाह बाधित हो गया। इस स्थिति को देखते हुए शाम से ही पुल के टूटने की आशंका जताई जा रही थी।

भारी भरकम पत्थर मोटर पुल के नीचे फंसा।

बताया जाता है कि आधी रात के बाद पानी के तेज बहाव के कारण नाले का पुल टूट गया। इससे बॉर्डर पर तैनात सेना तक जरूरी चीजों की आपूर्ति बाधित होने की संभावना है। इसके साथ ही इस घाटी के एक दर्जन से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया है। जुम्मा नाले से कुछ ही दूरी पर स्थित सूखी भलगांव के ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटौला ने ‘जनचौक’ को बताया कि जुम्मा नाले का उफान ठीक वैसा ही था, जैसा 7 फरवरी, 2022 को ऋषिगंगा में देखा गया था। उन्होंने बताया कि पूरी रात नाला उफान पर रहा और पुल के नीचे अड़े पत्थर के कारण मलबा जमा होने से देर रात पुल टूट गया।

चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्द किशोर जोशी ने कहा कि नाले में उफान ग्लेशियर टूटने के कारण आया है। उन्होंने बीआरओ का पुल टूटने की पुष्टि की। नीति घाटी के द्रोणागिरी गांव के ग्राम प्रधान पुष्कर सिंह राणा ने कहा कि एक दर्जन से ज्यादा गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। इनमें द्रोणागिरी, नीति, कागा, मलारी, बाम्पा, गमशाली आदि प्रमुख गांव शामिल हैं।

7 फरवरी 2021 को भी चमोली जिले की नीति घाटी में ग्लेशियर टूटने से ऐसी घटना हुई थी। इस घटना में ऋषिगंगा में अचानक जबरदस्त उफान आ गया था। रैणी का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट इस घटना में पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था जबकि रैणी से करीब 5 किमी आगे तपोवन में निर्माणाधीन पावर प्रोजेक्ट भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इन दोनों जगहों पर 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि जुम्मा नाले पर किसी तरह का कोई प्रोजेक्ट न होने और निचले क्षेत्रों में धौलीगंगा सहित सभी नदियों में पहले से जलस्तर बढ़ जाने के कारण बरती जा रही एहतियात के कारण 2021 की तरह जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।

कुदरत का कहर।

जोशीमठ की दूसरी प्रमुख घाटी माणा में भी पिछले 48 घंटे से हो रही बारिश के कारण भारी नुकसान हुआ है। इस घाटी में बदरीनाथ मोटर मार्ग कंचनगंगा और पागलनाला के पास कई मीटर बह गया है। इसके अलावा दर्जनों जगहों पर मलबा आ जाने से बदरीनाथ यात्रा रुकी हुई है। चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में लगातार हो रही बारिश के कारण केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा फिलहाल रोक दी गई है।

दोनों जिलों के साथ राज्य के लगभग सभी जिलों में दर्जनों सड़कें बंद हो गई हैं। बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग का नासूर कहा जाने वाला सिरौबगड़ करीब 24 घंटे से बंद है। यहां वैकल्पिक मार्गों पर भी खतरा बना हुआ है, जिस कारण लोग इन मार्गों का इस्तेमाल करने के बजाय सिरौबगड़ में सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन तक के लिए सभी जिलों में अलर्ट जारी किया है। लगभग सभी जिलों में अगले कुछ दिन तक के लिए स्कूल भी बंद कर दिये गये हैं।

इस बीच भूधंसाव प्रभावित जोशीमठ में लोग डर और घबराहट के बीच रातें काट रहे हैं। जोशीमठ नगर पालिका के पूर्व सभासद प्रकाश नेगी ने ‘जनचौक’ को बताया कि 10 जून की सुबह से ही जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में बारिश हो रही थी। शाम होते-होते बारिश तेज हो गई। जोशीमठ के ठीक ऊपर औली की पहाड़ियों से आने वाले दर्जनभर नालों में उफान आ गया। इससे पहले से भूधंसाव के कारण दहशत में जी रहे जोशीमठ के लोगों ने पूरी रात जागकर बिताई।

बारिश के चलते उफान पर नाले।

प्रकाश नेगी के अनुसार जनवरी में हुए भूधंसाव के बाद से अब तक राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की है। करीब 60 परिवार, जिनके घर जनवरी के भूधंसाव में पूरी तरह टूट गये थे वे या तो किराये के घरों में हैं या फिर प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाये गये होटलों और अन्य भवनों में रह रहे हैं। इसके बावजूद सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जो पूरी तरह असुरक्षित हो गये घरों में ही रह रहे हैं। तेज बारिश के बीच कभी भी यहां किसी मकान के ढहने और जान-माल का नुकसान होने की आशंका बनी हुई है।

ऑलवेदर रोड ने ली 4 लोगों की जान

उत्तराखंड की तथाकथित ऑलवेदर रोड ने एक बार फिर 4 लोगों की जान ले ली है। गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी के पास तीन वाहनों पर भारी भरकम बोल्डर गिरने से 4 लोगों की मौत हुई। इस तीनों वाहनों में करीब 30 लोग सवार थे। अन्य लोग किसी तरह इस हादसे में बच निकले। यह पहला मौका नहीं है, जब ऑलवेदर रोड के कारण लोगों की जान गई है। जब से चारधाम यात्रा मार्ग को ऑल वेदर रोड के नाम पर पहाड़ों को बेतरतीब और अवैज्ञानिक तरीके से काटकर चौड़ा किया गया है, तक से इस तरह की घटनाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। हर साल इस तरह की घटनाओं में लोगों की जान जा रही है।

उल्लेखनीय है कि पर्यावरणविद् और भूवैज्ञानिक शुरू से ही चारधाम यात्रा को ऑल वेदर रोड के नाम पर बेतरतीब तरीके से काटे जाने का विरोध करते रहे हैं। इस रोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पर्यावरणीय आकलन के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया था। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने इस परियोजना का विरोध किया था, लेकिन बाद में उनकी बात को तवज्जो नहीं दी गई और उन्होंने इस कमेटी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ऑलवेदर रोड के नाम पर पहाड़ों को बेतरतीब तरीके से काटने का काम शुरू हुआ, जो अब हर वर्ष कई लोगों की जान ले रहा है।

गंगोत्री हाईवे पर भारी भरकम बोल्डर गिरने से 4 लोगों की मौत।

मौसम विभाग ने उत्तराखंड के लिए 13 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहाड़ों से ज्यादा बारिश मैदानी इलाकों में हुई है। हरिद्वार जिले के रोशनाबाद में इस दौरान 230 मिमी बारिश दर्ज की गई। देहरादून जिले के आशारोड़ी में 24 घंटे के दौरान 207 मिमी बारिश हुई। उत्तरकाशी के पुरोला में 1232 मिमी, टिहरी जिले के नरेन्द्रनगर में 117 और देहरादून के जौलीग्रांट में 116 मिमी बारिश हुई। चमोली के गैरसैंण में 85 मिमी, पौड़ी जिले के कोटद्वार में 80 मिमी, रुद्रप्रयाग के जखोली में 55 मिमी बारिश दर्ज की गई।  

(चमोली से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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