Saturday, April 27, 2024

झारखंड: विधायकों की सूची सौंपने के बाद अभी तक राज्यपाल ने चंपई सोरेन को सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाया

रांची। झारखंड में आखिर जिसकी संभावना थी वही हुआ, हेमंत सोरेन सत्ताच्यूत हो गए, उन्हें ईडी ने हिरासत में भी ले लिया। वहीं चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। लेकिन राज्य में अभी तक संवैधानिक संकट की स्थिति बनी हुई है।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण ने हेमंत सोरेन का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन सरकार बनाने के दावे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और ना ही केयर टेकर सरकार संबंधी कोई बात कही है। सूत्रों की माने तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की गुंजाइश तलाशी जा रही है।

राजनीतिक गलियारे में यह सवाल तैर रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार के इस्तीफ़े के तुरंत बाद उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर दिया गया, तो झारखंड में चंपई सोरेन द्वारा 81 में से 47 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपे जाने के बाद भी अभी तक उन्हें सरकार बनाने के लिए क्यों नहीं बुलाया जा रहा है?

बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन पर ईडी की कार्रवाई के बाद जिस तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता और समर्थक उद्वेलित थे, पार्टी द्वारा जगह जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा था, वही स्थिति अगर बनी रहे तो उसके आलोक में राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा की जा सकती थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

पार्टी समर्थकों में शान्ति बनी हुई है क्योंकि हेमंत के इस्तीफ़े के तुरंत बाद चंपई सोरेन का नाम सामने आ गया तथा पार्टी के भीतर कोई गतिरोध पैदा नहीं हो सका। बावजूद अभी तक राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण द्वारा सरकार बनाने को लेकर चंपई सोरेन को आमंत्रित नहीं करना कोई न कोई राजनीतिक खिचड़ी पकने की ओर इशारा कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार सूचीबद्ध विधायकों में से कुछ को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। झारखंड विधानसभा में कुल 81 सदस्य हैं, बहुमत यानी सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है।

फिलहाल विधानसभा की दलीय स्थिति में झामुमो- 29, भाजपा- 26 (बाबूलाल मरांडी को मिलाकर), कांग्रेस- 17 (प्रदीप यादव को मिलाकर), आजसू – 3, सीपीआई माले- 1, एनसीपी- 1, राजद- 1, निर्दलीय- 2 और 1 रिक्त है।

इनमें 43 विधायकों का हस्ताक्षर किया हुआ और बाकी चार विधायकों का समर्थन चंपई सोरेन को प्राप्त है। राज्यपाल ने चंपई सोरेन द्वारा सौंपी गई विधायकों की सूची पर कहा है कि पहले पेपर को देख लेंगे तब निर्णय लेंगे।

चंपई सोरेन पहली बार 1991 के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। वे इस चुनाव में सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराकर विधायक बने थे। 1995 के विस चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ कर भाजपा के पंचु टुडू को हराकर फिर से विधायक बने। 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर में अनंत राम टुडू से चंपई सोरेन को हार का सामना करना पड़ा।

इसके बाद 2005 में चंपई सोरेन ने भाजपा के लक्ष्मण टुडू से 880 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। 2009 के चुनाव में भी भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 3200 वोट से हरा कर उन्होंने जीत दर्ज की। 2014 के विस चुनाव में 1100 तथा 2019 के विधानसभा चुनाव में करीब 16 हजार वोट से जीत दर्ज कर वो विधानसभा पहुंचे।

वो पहली बार वर्ष 2010 में भाजपा-झामुमो गठबंधन वाली अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके बाद वर्ष 2013 में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो इन्हें फिर से मंत्री पद मिला और तीन विभाग उद्योग, परिवहन और आदिवासी कल्याण मंत्रालय के मंत्री रहे। वर्ष 2019 में राज्य में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की हेमंत सोरेन की सरकार में 28 जनवरी 2020 को चंपई सोरेन को जनजाति कल्याण व परिवहन मंत्री बनाया गया।

चार पुत्र व तीन पुत्रियों के पिता 69 वर्षीय चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के जिलींगगोड़ा गांव के निवासी हैं।

वहीं गिरफ्तारी के बाद आज हेमंत सोरेन को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया। ईडी सुबह से इसकी तैयारी में लगी थी। इसके पहले हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन उनसे मिलने ईडी ऑफिस पहुंचीं थीं। वहीं खबर है कि झारखंड हाईकोर्ट से हेमंत सोरेन को राहत नहीं मिली है।

हेमंत सोरेन की ओर से ईडी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए कहा गया कि उसने प्रतिवादी को मामले की जानकारी नहीं दी है। न ही उसे नोटिस दिया गया है। ऐसे में यह केस सुनवाई के योग्य नहीं है। कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

हेमंत सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल याचिका वापस लेने का फैसला किया है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी है, जिस पर 2 फरवरी को सुनवाई होगी।

दूसरी तरफ हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरोध में आज 1 फरवरी को झारखंड बंद का आह्वान किया गया था जो वापस ले लिया गया है। बावजूद सुबह-सुबह राज्य के कई जिलों में झारखंड बंद का असर दिखा। इस दौरान सड़क पर आगजनी के साथ ईडी और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।

हालांकि, कुछ देर में बंद समर्थकों ने बंद स्थगित कर दिया। साथ ही यह चेतावनी दी कि अभी सिर्फ झांकी दिखाई है, अगर हेमंत सोरेन को जल्द रिहा नहीं किया गया और ईडी अफसर व केंद्र सरकार ने लोकतंत्र के साथ खेलना बंद नहीं किया तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा।

वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद आईएएस विनय कुमार चौबे ने सीएम के प्रधान सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया है।

(विशद कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

2 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles