Sunday, April 28, 2024

वेणुगोपाल बोले-‘राकांपा ऑपरेशन’ से विपक्ष का संकल्प हुआ और मजबूत, 17-18 जुलाई को बैठक

नई दिल्ली। 23 जून को पटना में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की बैठक के बाद देश में आम चुनाव के पहले एक गठबंधन आकार लेता दिखा। कांग्रेस समेत 15 दल इस बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें हर सीट पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक प्रत्याशी, बीजेपी के खिलाफ बनने वाले गठबंधन का नाम, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला और सभी दलों के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने पर सहमति बनी थी।

लेकिन इस बैठक के बाद देश की राजनाति में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी एक बार फिर अपने पुराने अस्त्र-शस्त्र के साथ मैदान में उतर पड़ी है। और क्षेत्रीय दलों को डराने-धमकाने और तोड़ने का खेल शुरू कर दिया है। मोदी सरकार के निशाने पर इस समय विपक्षी एकता के दो बड़े पैरोकार- शरद पवार और नीतीश कुमार की पार्टियों में तोड़-फोड़ का खेल शुरू हो गया। समय रहते नीतीश कुमार अपने विधायकों-सांसदों से मिलकर फिलहाल स्थिति को संभाल लिए हैं। लेकिन महाराष्ट्र में एनसीपी में दो फाड़ हो गया। बीजेपी ने यह करके शरद पवार को संदेश देने की कोशिश की कि पहले अपने घर को संभालिए, देश की राजनीति को बदलने का दंभ बाद में भरिएगा। लेकिन पार्टी टूटने के बाद भी शरद पवार न तो हिम्मत हारे हैं और न ही विपक्षी एकता को मजबूत आकार देने की कोशिश ही छोड़ी है। वही गठबंधन के मजबूत घटक राजद के नेताओं के ऊपर एक बार सीबीआई का डंडा चल गया है।

सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सीबीआई ने 3 जुलाई को रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के अलावा उनके बेटे तेजस्वी यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का नाम भी शामिल है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में ये चार्जशीट दाखिल हुई है। इस केस पर 12 जुलाई को सुनवाई होगी।

तेजस्वी यादव इस समय बिहार सरकार में डिप्टी सीएम हैं। सीबीआई की इस चार्जशीट और महाराष्ट्र में एनसीपी में बगावत को लेकर गठबंधन की राजनीति फिर तेज हो गई है। संघ-भाजपा सरकार को भरोसा था कि इस हमले के बाद विपक्षी एकता का राग अलापने वाले घर बैठ जाएंगे। लेकिन विपक्षी दलों ने महागठबंधन की अगली बैठक का ऐलान कर दिया है।

विपक्ष की अगली बैठक 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। कांग्रेस ने सोमवार को घोषणा कर यह संकेत दिया कि एनसीपी में बगावत उन्हें गठबंधन वार्ता को आगे बढ़ाने से नहीं रोक सकती है। और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बना रहे हैं।

23 जून को पटना की बैठक के बाद बीजेपी को लगता था कि अगली बैठक नहीं हो पायेगी। लेकिन गठबंधन दल की अगली बैठक के लिए 11-12 जुलाई को शिमला में करने का फैसला किया था। लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजधानी में भारी बारिश के कारण कार्यक्रम स्थल को बेंगलुरु में बदल दिया गया। यह बैठक 13 और 14 जुलाई को बेंगलुरु में होनी थी, लेकिन कुछ नेताओं की अनुपलब्धता के कारण 13-14 जुलाई से बदलकर 17-18 जुलाई कर दी गई।

तारीखों की घोषणा करते हुए, कांग्रेस के संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “हम फासीवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों को हराने और देश को आगे ले जाने के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण पेश करने के अपने अटूट संकल्प पर दृढ़ हैं।”

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि “जब बीजेपी अपने वॉशिंग मशीन-आईसीई (आयकर, सीबीआई, ईडी) डिटर्जेंट के साथ मुंबई में फिर से शुरू हुई, तो विपक्षी एकता पर बीजेपी-प्रेरित श्रद्धांजलियां दी जा रही थीं। ओबिट लेखक निराश होंगे। 23 जून को पटना में मिले दलों की अगली बैठक 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी।

जयराम रमेश ने पोस्ट किया “कुछ भी हो, मुंबई ऑपरेशन ने विपक्ष के संकल्प को मजबूत किया है।”

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, “बेंगलुरु शिखर सम्मेलन।एक के लिए सब। सभी के लिए एक।”

यह देखना होगा कि आम आदमी पार्टी बैठक में शामिल होती है या नहीं क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक दिल्ली में सेवाओं पर विवादास्पद अध्यादेश पर अपना रुख घोषित नहीं किया है। पटना बैठक के बाद, आप ने घोषणा की थी कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश की “सार्वजनिक रूप से निंदा” नहीं करती, पार्टी के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना “बहुत मुश्किल” होगा जिसमें कांग्रेस भी शामिल है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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