ग्राउंड रिपोर्ट: मेवात में एक और मुस्लिम को टुकड़े-टुकड़े कर जला दिया गया 

Estimated read time 1 min read

अलवर। यह कल्पना ही भीतर से हिला देती है कि कोई इंसान या इंसानों का समूह किसी दूसरे इंसान का पहले हाथ काटे, फिर पैरों को काटे, फिर गर्दन काटे और उसके बाद उन टुकड़ों को जलाए। ऐसा ही अलवर के एक मुस्लिम युवक मौसम के साथ हुआ। मौसम तीन बच्चों के पिता थे। बड़ी बेटी करीब 16 वर्ष की है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते उसकी पढ़ाई छूट गई है। बेटा करीब 12 वर्ष और सबसे छोटी बेटी करीब 10 वर्ष की है। मौसम दिल्ली, गुरुग्राम और अलवर जाकर मजदूरी करते थे। आस-पास काम मिलने पर भी कर लेते थे। करीब उनके हिस्से डेढ़ बीघा खेती है। उनकी करीब 70 वर्षीय बूढ़ी मां हैं। पिता की मृत्यु हो चुकी है।  

मृतक मौसम की तस्वीर

जनचौक की टीम इस घटना की पड़ताल करने 28 मई को मौसम के गांव मल्ल का बासा पहुंची। इस गांव में करीब 150 घर हैं। यह गांव अलवर से 45 किलोमीटर दूर है। यह गांव लक्ष्मण गढ़ थाने में पड़ता है, जो इस गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर है। इस एरिया को मेवात के रूप में भी जाना जाता है। जब हम इस मुस्लिम बहुल गांव में पहुंचे तो मातम छाया हुआ था। गांव के लोग गांव में ही एक छोटा सा टेंट लगाकर धरनारत थे। वहां करीब 50 लोग थे। कुछ के हाथों में तख्तियां थीं, जिसमें उनकी मांगें लिखी हुई थीं। उनकी सबसे बड़ी मांग जल्द से जल्द इंसाफ की थी। वे परिवार के लिए सरकारी नौकरी और मुआवजे की भी मांग कर रहे थे। वहां पर हिंदू और मुस्लिम समाज के कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे।

गांव में धरने पर बैठे लोग और घटना की जानकारी लेते सामाजिक कार्यकर्ता

हमने सबसे पहले मौसम की हत्या के बारे में जानने की कोशिश की। हमारी बात मौसम के चाचा जोर मल्ल से हुई। हमने पूछा कि आखिर कब, कैसे और किसने और क्यों मौसम की हत्या की? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, ‘हमें नहीं पता कि मौसम को किसने मारा, कब मारा और क्यों मारा? हमें उसकी न कोई लाश मिली है, न ही कोई अवशेष मिला है। उसे गायब हुए करीब दो महीने होने जा रहे हैं, लेकिन यह भी नहीं पता कि उसे क्यों गायब किया गया, कहां ले जाया गया और उसकी क्यों हत्या की गई?’

जब हमने उनसे पूछा कि आप को कैसे पता चला कि मौसम की हत्या हो गई है? उन्होंने बताया कि, ‘ यह सूचना हमें पुलिस ने दी। पुलिस ने बताया कि मौसम की हत्या कर दी गई है। हत्या करने वाले (नरेश और सोहन लाल) ने इसे कबूल कर लिया है।” हमारे यह पूछने पर कि हत्या के बारे में पुलिस ने क्या बताया, तो उन्होंने कहा कि, “पुलिस ने हमें बताया कि अभियुक्तों ने यह कबूल किया है कि उसने सबसे पहले मौसम को शराब पिलाया, उसके बाद उसे मोटर साइकिल पर बैठाकर (पीछे बांधकर) उसे ले गए। फिर उसके टुकड़े-टुकड़े किए। फिर उन टुकड़ों को श्मशान में जला दिया।”

जले टुकड़े के अवशेषों को पुलिस ने अभियुक्तों की शिनाख्त पर बरामद कर लिया है। लेकिन पुलिस यह भी कह रही है कि कोई जरूरी नहीं है कि यह अवशेष मौसम की लाश के हों। यह निश्चित तौर तभी कहा जा सकता है जब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आ जाए। डीएनए टेस्ट के लिए मां, भाई और बच्चों का सैंपल लिया गया है। इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। जिस दिन जनचौक की टीम पहुंची थी, उस दिन पुलिस डीएनए टेस्ट के लिए भाई और बच्चों का सैंपल लेने आई थी।

जनचौक की टीम ने मौसम के गायब होने के बारे में मौसम के भाई उमरदीन, उनकी पत्नी मुबिना और उनकी मां से बात की। सभी ने एक स्वर से बताया कि “ 2 मई को मौसम के गांव के बगल के टोले बंजारा बास के दो लोग (सोहन और छोटे लाल) मौसम को बुलाकर ले गए। पहले वे फोन से बुला रहे थे। जब वह (मौसम) नहीं गया तो खुद बुलाने आए। उसे लेकर गए।” मौमस की पत्नी (मुबिना) ने फफकते हुए बताया कि मैं कुछ घंटे बाद उनके घर गई, लेकिन वे (वहां) नहीं मिले। मैंने बहुत पूछा लेकिन किसी ने कुछ बताया नहीं। सोहन ने और छोटे लाल के परिवार वालों ने बताया कि वे लोग कहीं गए हैं। धीरे-धीरे इसी तरह 20-25 दिन बीत गए। मैं रोज जाकर उनके घर पूछती थी। लेकिन कुछ पता नहीं चलता था। उनका (मौसम) फोन बंद बताता था। लेकिन सोहन और छोटे लाल से उनके घर वालों की बात होती थी। लेकिन मेरी बात वे लोग नहीं कराते थे।”

जब जनचौक की टीम ने पूछा कि फिर आप लोगों ने क्या किया। तब मौसम के चचेरे भाई जुबैर ने बताया कि, ‘इतने दिनों (27 दिनों) तक इंतजार करने के बाद हमने गुमशुदगी की रिपोर्ट 29 मई को दर्ज कराई। हमने सोहन और छोटे लाल को मौसम के गायब होने के लिए जिम्मेदार ठहराया। पुलिस ने नरेश, सोहनलाल और छोटे लाल को गिरफ्तार किया। फिर उन्हें पूछताछ करके छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने दुबारा सोहनलाल और छोटे लाल और नरेश को गिरफ्तार किया। जिसके बारे में पुलिस ने बताया कि वह दिल्ली के नजफगढ़ का रहने वाला है।” पुलिस ने मौसम की हत्या के आरोप में नरेश और सोहन को जेल भेज दिया है। छोटे लाल को निर्दोष मानकर छोड़ दिया। 

पुलिस ने अभी तक मौसम की लाश के अवशेष को परिवार वालों को नहीं सौंपा है, जिसके चलते परिवार वाले उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए हैं। मौसम की बूढ़ी मां, पत्नी और बच्चों का बुरा हाल है। मां, पत्नी और बच्चे इस उम्मीद में भी हैं कि शायद मौसम जिंदा हो। पत्नी को बच्चों की परवरिश और बच्चियों की शादी की चिंता सता रही है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह कैसे और किस भरोसे जिंदा रहेगी। उनका परिवार मौसम की मजदूरी से ही चलता था।

दो महीने से पोस्टर और बैनर के साथ धरना कर रहे मृतक के परिजनों के साथ गांव के लोग

इस सारे घटनाक्रम के बीच बहुत सारे प्रश्न अनुत्तरित हैं। जिनका अभी तक जवाब नहीं मिला है कि आखिर मौसम की हत्या क्यों की गई? हत्या के पीछे का उद्देश्य क्या था? इतने निर्मम तरीके से हत्या क्यों की गई? दिल्ली के रहने वाले नरेश की इसमें क्या भूमिका है? उसका सोहन और छोटे लाल से क्या रिश्ता था? मौसम की हत्या में वह क्यों शामिल हुआ? पुलिस अभियुक्तों के बयानों के हवाले से जो बात बता रही है, उस पर किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा है? 

मेवात के सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना हनीफ ने जनचौक को बताया कि, “मुझे लगता है कि मौसम की हत्या मेवात में मुसलमानों की हो रही हत्या के सिलसिले की कड़ी है। यह हत्या आरिफ, पहलू खान, रकबर और जुनैद,नासिर,अफरोज,वारिस खान आदि की हत्याओं के क्रम में है। 

इसका उद्देश्य मेवात में हिंदुओं-मुसलमानों के बीच साम्प्रदायिक वैमनस्य और नफरत पैदा करना है। उनके बीच स्थायी नफरत की दीवार खड़ी करना है। यह हत्या भी मुसलमानों के खिलाफ जो घृणा पैदा की गई है, उसी का परिणाम हैं।” मेवात के इलाके में लंबे समय से सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता दया सिंह (सिख) ने जनचौक को बताया कि, ‘असल बात यह है कि यह हत्या भी हिंदूवादी संगठनों-व्यक्तियों द्वारा मेवात क्षेत्र में मुसलमानों की की जा रही हत्याओं की तरह ही एक हत्या है। जिसे ढंकने की कोशिश की जा रही है।

मौसम के परिवार गांव और आस-पास के लोगों, विशेषकर हिंदुओं का दबाव है कि इसे वे व्यक्तिगत रंजिश या किसी अन्य कारण से की गई हत्या मान लें और मामले को रफा-दफा कर दें।” इस क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता हाफिज ताहिर भी इसे व्यक्तिगत वजह से की गई हत्या नहीं मानते हैं। उसके पीछे वे कोई बड़ी साजिश देखते हैं। परिवार और गांव के कुछ लोग इसके पीछे मानव अंगों की तस्करी करने वालों के हाथ होने की भी आशंका जाहिर कर रहे थे।

परिवार के लोग और क्षेत्र के सामाजिक-नागरिक कार्यकर्ता एक स्वर से इस बात की मांग कर रहे हैं कि यदि पुलिस हत्या की असल वजह नहीं पता लगा पा रही है, तो इसकी जांच SIT या CBI को सौंप देनी चाहिए।

फिलहाल पुलिस का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है। डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद ही निश्चित तौर कुछ कहा जा सकता है।  

फिलहाल इस प्रश्न का जवाब अभी तक नहीं मिला है कि आखिर मौसम की हत्या क्यों और किस उद्देश्य की गई। इसके पीछे कोई साजिश है, तो वह क्या है?

मौसम का परिवार मातम के बीच सच्चाई जानने और इंसाफ की बाट जोह रहा है। 

(सिद्धार्थ और आजाद शेखर की रिपोर्ट)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author