मोदी जी देखिए हर्ष गोयनका गोरख पांडे की कविता ट्वीट कर रहे हैं।
यह गुड साइन नहीं है। उद्योगपति गोरख पांडे की कविता पढ़ने लग जाएँ। क्या
पता जोश में कोई बग़ावत कर बैठे।
यह सामान्य कविता नहीं
है। यह जनता के लिए लिखी गई है। जब मालिक पढ़ने लगे तो समझना चाहिए कि इस बार
मुक्ति की पुकार ऊपर से आ रही है। सूट बट वाले अपनी टाई ढीली कर रहे हैं। बोलना
चाहते हैं।
RPG समूह के स्वामी और उद्योगपति हर्ष गोयनका ने गोरख पांडे की कविता ट्वीट की है। जब लोगों की हालत ख़राब थी तब ये लोग चुप थे अब जब इनकी हालत ख़राब हुई तो गोरख पांडे पढ़ने लगे। एक कविता कितनों के काम आती है। शासक के भी, शासित के भी, शोषक के भी, शोषित के भी। मालिक के भी। मज़दूर को भी।
हिन्दी कविता का यह स्वर्णिम क्षण है। उद्योगपति बस सच बोलने का साहस पैदा करें। हम उनमें जोश भरने के लिए कविताओं की कमी नहीं होने देंगे।
हर्ष साहब इस बार डिलीट मत कीजिएगा।
वैसे यह कविता गोरख पांडे के नाम से लोकप्रिय है मगर इसके कवि गोविंद प्रसाद हैं जो जेएनयू में प्रोफ़ेसर हैं!
हालांकि अंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और जेएनयू के छात्र रहे गोपाल प्रधान से जनचौक ने बात की। उनका कहना है कि इस कविता को लेकर उनकी गोविंद प्रसाद से भी बात हुई लेकिन उन्होंने भी स्वीकार किया कि यह कविता उनकी नहीं है। बहरहाल अब यह कविता जनता की कविता हो गयी है।
(यह लेख रवीश कुमार के फेसबुक पेज से साभार लिया गया है।)
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