gorakh
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तथाकथित सभ्यता की दरारों में संवेदनहीन समाज की पालकी ढोती बेनाम, बेआवाज़ और अदृश्य ज़िंदगियों की ‘स्वर्ग से विदाई’
Janchowk -
मेहनतकश लोगों के बारे में हमारी व्यवस्था किस हद तक असंवेदनशील है, इसे अचानक लागू किए गए लॉकडाउन के निर्णय से समझा जा सकता है। एक झटके के साथ सारी सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां ठप कर दी गईं। जो...
ज़रूरी ख़बर
उद्योगपति हर्ष गोयनका को याद आए जनकवि गोरख पांडे
मोदी जी देखिए हर्ष गोयनका गोरख पांडे की कविता ट्वीट कर रहे हैं।
यह गुड साइन नहीं है। उद्योगपति गोरख पांडे की कविता पढ़ने लग जाएँ। क्या
पता जोश में कोई बग़ावत कर बैठे।
यह सामान्य कविता नहीं
है। यह जनता के लिए...
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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान
मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...
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