Wednesday, April 24, 2024

भारत-नेपाल के बीच गतिरोध खत्म, चालू हुआ आवाजाही का सिलसिला

देहरादून। चम्पावत जिले के बनबसा स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय टैक्सी वाहनों के नेपाल सीमा में प्रवेश के मामले में बीते एक सप्ताह से चल रहा गतिरोध गुरुवार की सुबह खत्म हो गया। जिसके बाद भारतीय नंबर के टैक्सी वाहनों ने नेपाल बॉर्डर पर एंट्री ली।

नेपाल यातायात समिति की आपत्ति के बाद भंसार बॉर्डर पर भारतीय टैक्सियों को गुजरी 14 मार्च से नेपाल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। जवाबी कार्यवाही में भारतीय टैक्सी चालकों ने भी नेपाल से भारतीय सीमा में आने वाली बसों को रोककर वापस नेपाल सीमा में भेज दिया था। हालांकि इस दौरान भारत से नेपाल जाने वाली मैत्री बस सेवा यथावत संचालित होती रही।

उत्तराखंड नेपाल संबंध

उत्तराखंड राज्य के दो जनपदों पिथौरागढ़ और चम्पावत जिलों से भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खुली आवाजाही है। पिथौरागढ़ के झूलाघाट स्थित झूले पुल से व चम्पावत के बनबसा स्थित भंसार प्रवेश द्वार से भारतीय व नेपाल के लोग व वाहन सामान्य चेकिंग व परमिट की मामूली औपचारिकता के बाद बेरोकटोक नेपाल से भारत और भारत से नेपाल में आवागमन करते हैं।

दोनो देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसी आबादी के बीच रोटी-बेटी के साथ ही प्रमुख व्यापारिक संबंध हैं। नेपाल में माओवाद के उभार के समय भी दोनो देशों की यह आवाजाही बदस्तूर जारी रही। कुछ सालों से नेपाल के अंदर भारत विरोधी भावना पैदा हुई। आम नेपाली नागरिकों को लगता है कि भारत उनके साथ बराबरी का नहीं बल्कि बड़े और छोटे की तरह व्यवहार करता है।

इसके साथ ही नेपाल के मधेसी आंदोलन में भारत की कथित भूमिका के चलते नेपाल के पर्वतीय क्षेत्रों की आबादी भारत के प्रति नाखुशी जताती है। यह धारणा नेपाल को भारत की जगह उसके दूसरे पड़ोसी देश चीन की ओर खींचती है। राष्ट्रीय हितों को तवज्जो दिए जाने के कारण नेपाल के राजनैतिक दल भी आम नेपालियों की इस धारणा को हवा देने से नहीं चूकते हैं। जिसके चलते सीमावर्ती क्षेत्रों में यदा-कदा विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है।

यह रही ताजा विवाद की वजह

भारत नेपाल के बीच हुआ यह हालिया विवाद भारतीय नंबर के टैक्सी वाहनों के नेपाल में प्रवेश से जुड़ा हुआ था। नेपाल में महाकाली एवं पवनदूत यातायात सेवा ने बैठक कर नेपाल प्रशासन से भारत की राजधानी दिल्ली सहित दूरस्थ भारतीय क्षेत्रों से बनबसा से सटे नेपाल के कंचनपुर जिला मुख्यालय महेंद्रनगर आने वाले वाहनों को रोकने की मांग की थी।

नेपाल यातायात समिति का कहना था कि दिल्ली, लखनऊ आदि दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले टैक्सी वाहन बुकिंग में यात्रियों को नेपाल लाते हैं और लौटते वक्त बहुत कम किराये पर यात्री लेकर जाते हैं। जिससे नेपाल के टैक्सी संचालकों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इसलिए ऐसे वाहनों के नेपाल प्रवेश पर रोक लगाई जाए। जिससे उनके आर्थिक हित सुरक्षित रह सकें।

जिसके आधार पर कंचनपुर नेपाल के सीडीओ (जिलाधिकारी) ने भारतीय टैक्सी परमिट वाहनों को नेपाल में भंसार और यातायात सुविधा देने से मना कर दिया था। इस कारण 15 मार्च बुधवार से भारतीय नंबर के टैक्सी परमिट वाहनों को नेपाल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था।

नेपाल द्वारा भारतीय टैक्सी वाहनों का प्रवेश बंद किए जाने के बाद भारतीय टैक्सी वाहन स्वामियों और चालकों में रोष पनप गया था। बनबसा शारदा बैराज चौकी प्रभारी हेमंत कठैत के अनुसार इस संबंध में नेपाल प्रशासन ने भारतीय प्रशासन को अधिकृत तौर पर कुछ नहीं बताया था।

भारतीय संचालकों ने भी रोकी नेपाल की बस

नेपाल प्रशासन की ओर से भारतीय टैक्सी नंबर के वाहनों को दूसरे दिन भी जब नेपाल में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो इससे भड़के भारतीय टैक्सी संचालकों ने भी नेपाल यातायात समिति की बस को शारदा बैराज पर भारत में प्रवेश करने से रोक दिया था। उनका कहना था कि भारतीय वाहनों पर नेपाल में रोक होगी तो वह भी नेपाल के वाहनों को भारत में नहीं आने देंगे।

भारतीय टैक्सी संचालकों के गुस्से की वजह से वापस लौटाई गई इस बस को लेकर चौकी प्रभारी हेमंत कठैत का तर्क था कि चालक के पास भारत आने के कोई वैधानिक कागज न होने से बस लौटाई गई है। अलबत्ता दोनो देशों के टैक्सी संचालकों की इस तनातनी का भारत नेपाल मैत्री बसों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

यह सेवा पूर्व की भांति संचालित होती रही। इस मामले में चम्पावत के जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी और सीओ ने नेपाल के जिलाधिकारी से फोन पर वार्ता भी की थी लेकिन तब कोई हल नहीं निकल पाया था।

भारतीय टैक्सियों को सशर्त प्रवेश की मिली इजाजत

एक सप्ताह तक दोनो देशों के टैक्सी वाहनों को लेकर चला आ रहा गतिरोध बुधवार की शाम भारतीय वाहनों को नेपाल में सशर्त प्रवेश की सहमति बनने पर दूर हुआ। भारतीय वाहन स्वामियों का एक शिष्टमंडल बनबसा व्यापार मंडल अध्यक्ष परमजीत सिंह गांधी के नेतृत्व में नेपाल प्रशासन एवं यातायात समितियों, होटल व्यवसायियों एवं नेपाल वाणिज्य संघ पदाधिकारियों से मिला।

जिस पर नेपाल प्रशासन ने भारतीय टैक्सी परमिट वाहनों को सशर्त नेपाल में परिवहन की इजाजत दी गई है। नेपाल प्रशासन के मुताबिक अब भारतीय टैक्सी परमिट वाहन नेपाल में सवारी छोड़ वापस भारत लौटैंगे। भारतीय टैक्सी वाहनों को नेपाल में रुकने की अनुमति नही होगी।

इस वार्ता में नेपाल के सीडीओ (जिलाधिकारी) गोपाल प्रसाद, एसडीएम धर्मराज, यातायात समिति प्रतिनिधि डंबर राज पंत, होटल व्यवसायी संघ अध्यक्ष जगदीश भट्ट, नेपाल वाणिज्य संघ अध्यक्ष पीतांबर जोशी के अलावा बनबसा व्यापार मंडल अध्यक्ष गांधी, चंदन सिंह रौतेला, कविंद्र सिंह ज्याला, संजय सिंह, राकेश सिंह, संतोष कुमार, शिवनाथ आदि थे।

इस मामले में नेपाल यातायात समिति के महासचिव महेश का कहना है कि उन्होंने भारत के दूरदराज के क्षेत्रों से बुकिंग पर आने वाले टैक्सी वाहनों को रोकने का आग्रह किया था न कि स्थानीय टैक्सी वाहनों को रोकने का। समिति ने नेपाल प्रशासन से ऐसे टैक्सी वाहनों को रोकने का आग्रह किया था लेकिन प्रशासन ने स्थानीय वाहनों पर भी रोक लगाई दी जिससे यह स्थिति पैदा हुई थी।

गुरुवार से सामान्य हुआ दोनो देशों के बीच टैक्सी संचालन

बुधवार की शाम दोनों पक्षों की वार्ता के बाद गुरुवार की सुबह से भारतीय टैक्सी वाहनों का प्रवेश पूर्व की भांति शुरू हो गया। चम्पावत जिले में तैनात पुलिस विभाग के एक अधिकारी के अनुसार सुबह छः बजे से बनबसा शारदा बैराज स्थित भंसार प्रवेश द्वार से वाहनों की सामान्य आवाजाही शुरू हो गई। शाम आठ बजे तक सभी वाहनों को प्रवेश दिया जाएगा। अलबत्ता पूर्णागिरी मंदिर में मेला होने के कारण श्रद्धालुओं को वापसी में दस बजे तक लौटने की अनुमति होगी।

इससे पहले भी हो चुका है विवाद

बनबसा स्थित अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हुए इस ताजा विवाद के अलावा दोनों देशों के बीच पिथौरागढ़ जिले के धारचूला कस्बे पर स्थित काली नदी निर्माणाधीन तटबंध को लेकर भी अक्सर तनातनी होती रहती है। बरसात के दिनों में भारत व नेपाल देशों की सीमा को निर्धारित करने वाली काली नदी की विकराल बाढ़ से भारतीय क्षेत्र में होने वाली तबाही को रोकने के लिए भारतीय सीमा में बन रहा तटबंध अक्सर दोनो देशों के लोगों के बीच तनातनी की वजह बनता है।

काली नदी पर भारत अपनी सीमा की ओर तटबंध बना रहा है लेकिन नेपाल के लोगों का आरोप है कि नदी के दूसरे किनारे पर भारतीय सीमा में बनने वाले तटबंध के कारण बरसात में नदी की बाढ़ का पानी एक किनारे पर तटबंध होने के कारण दुगुने वेग से नेपाली क्षेत्र में पलटकर नेपाल में तबाही मचाएगा।

इसकी वजह से नेपाल में न केवल नुकसान होगा बल्कि नेपाली क्षेत्र की कृषि भूमि भी इस बाढ़ की चपेट में आकर नष्ट हो जाएगी। भारतीय सीमा में बनने वाले इस तटबंध को लेकर नेपाली नागरिकों में इतनी नाराजगी है कि तटबंध निर्माण में लगे मजदूरों पर नेपाल की ओर से कई बार पथराव भी हो चुका है।

जिसमें भारतीय क्षेत्र में कार्यरत कई मजदूर घायल हुए हैं। पिथौरागढ़ के सीमावर्ती नेपाल क्षेत्र में यह मुद्दा इतना ज्वलंत बना हुआ है कि दोनो देशों के बीच पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र के झूलाघाट क्षेत्र में आवाजाही के एक मात्र साधन काली नदी की अंतरराष्ट्रीय सीमा के झूला पुल पर भी आवाजाही बंद हो चुकी है।

(सलीम मलिक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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