Tuesday, March 19, 2024

आईपी कॉलेज फॉर वीमेन: “जय श्री राम” के नारे के साथ हमला

28 मार्च को मंगलवार के दिन आईपी कॉलेज फॉर वीमेन (इंद्रप्रस्थ कॉलेज) में हुए वार्षिक फेस्टिवल श्रुति फेस्ट के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा कॉलेज की छात्राओं से अभद्रता का मामला लगातार गहराता जा रहा है। इस दौरान कालेज को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। गेट के बाहर ही दर्जनों की संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी बनी हुई है। 

छात्रा सांभवी चौधरी ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा है कि “फेस्ट में जिस प्रकार से लड़कियों के साथ ईव टीजिंग की घटना हुई है, उसमें प्रशासन के द्वारा छात्राओं को हॉस्टल के भीतर बंद कर दिया गया था। बाद में जब मामला तूल पकड़ने लगा तो उसका कहना था कि आप लोग कैम्पस से बाहर निकल जाइए, क्योंकि शराब के नशे में धुत लोगों के कैंपस में आने से आप सबको खतरा है। हम क्यों जायें। कैंपस हमारा है।”

वे आगे कहती हैं, “यह सीधे-सीधे सुरक्षा में लापरवाही का मामला है, सुरक्षा में भारी चूक है। क्या प्रशासन इस बात का भी इंतजाम नहीं कर सकता था कि बाहरी तत्वों के प्रवेश पर वह रोक लगा सके। नशे में धुत लोगों को अंदर आने से रोके। जबकि बाद में कॉलेज की लडकियों को ही बाहर निकाल दिया जाता है, इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि यदि छात्राएं एक बार कैंपस से बाहर चली जाती हैं तो ये मवाली अपने आप ही बाहर निकल जायेंगे।”

“लेकिन बात यहीं तक नहीं रूकती है। इतनी बड़ी घटना हो जाती है, लेकिन फेस्ट नहीं रुकता, वह बदस्तूर जारी रहता है। बाद में हमने वीडियो में देखा कि हमारी प्रिंसिपल मैडम फेस्ट में डांस कर रही हैं। वे सबसे आगे बढ़कर इसमें भाग ले रही हैं। 

वे आरोप लगाते हुए आगे कहती हैं “कई घंटों तक लड़कियों के साथ ईव टीजिंग की जाती रही। लडकियों का पीछा किया गया, और इस सबकी जानकारी प्रिंसिपल को थी। इस घटना में चोटग्रस्त एक लडकी का कल ऑपरेशन हुआ, कई लड़कियों की हड्डियां टूटी हैं, चोटें आईं हैं। इसकी जिम्मेदारी कालेज प्रशासन नहीं लेगा तो कौन लेगा? इसकी जिम्मेदारी प्रिंसिपल की नहीं है तो किसकी है?”

छात्राओं का आरोप है कि कल जब हम विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा पुलिस वैन में 20-25 लड़कियों के साथ धक्का-मुक्की कर उन्हें अंदर ठूंसा गया। लड़कियों के बाल खींचे गये, कपड़े खींचे गये और गलत जगह पर हाथ लगाया, कुहनियां मारी गईं। हमें सिविल लाइन्स थाने में ले जाने के बजाय बुराड़ी थाने में ले  गये। इनका उद्देश्य हमें डराना धमकाना था, ताकि हम कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध को बंद कर दें। 

लड़कियों की ओर से कॉलेज प्रशासन के नाम शिकायती पत्र तैयार किया गया है। जिसमें उनके साथ हुए दुर्व्यवहार और हमले का विवरण दिया गया है। और कालेज प्रशासन के समक्ष छात्राओं की ओर से अपनी मांगें पेश की गई हैं।  

हमारी मांगे हैं कि सबसे पहले प्रिंसिपल मैडम माफ़ी मांगे और घटना की जिम्मेदारी लें। जिन भी लडकियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, उन्हें न्याय मिले। इस सारी घटना की जानकारी उन्हें थी, फिर भी वे डांस कर रही थीं। 

दूसरी बात जब उनके कालेज से विद्यार्थी गिरफ्तार हो जाते हैं तो इसके बावजूद वे कहती हैं कि हमें तो कोई जानकारी नहीं है। तो फिर यहां पर सीआरपीएफ के जवान कैसे आ गये? 

वहीं दूसरी तरफ प्रशासन का जवाब है कि इसकी जांच के लिए एक कमेटी बिठा दी गई है, इस संबंध में सात लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। छात्रों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि कमेटी में छात्राओं की भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। हमें इस प्रशासन पर भरोसा नहीं रहा। यह हमारे लिए सुरक्षित नहीं है। 

शुक्रवार के दिन एक बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी थी। इसमें कॉलेज से भी छात्राओं की भागीदारी होनी थी, गार्गी कालेज, लेडी श्री राम कालेज, और मिरांडा कालेज की छात्राएं एकजुटता जाहिर करने के लिए आ रही थीं। लेकिन पुलिस से इसकी इजाजत नहीं दी, उल्टा उनसे कहा गया कि यदि आप लोग इसमें भाग लेंगी तो आपको भी हिरासत में लेना पड़ेगा। 

छात्राओं का कहना था कि पत्रकारों और मीडिया को भी अंदर आने से रोका जा रहा है, ताकि छात्राओं की आवाज को दबाया जा सके। कल तक कॉलेज को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। गेट पर पुलिस और सीआरपीएफ का तगड़ा पहरा लगा हुआ है, और गेट पर ही वाटर कैनन की गाड़ी तैनात कर दी गई थी। 

यदि याद करें तो पांच माह पूर्व भी इसी तरह मिरांडा हाउस में दीवाली फेस्ट के दौरान कॉलेज में बाहरी तत्वों के द्वारा दीवार फांदकर कॉलेज के भीतर घुसने की घटना प्रकाश में आई थी। तब भी छात्र समूह की ओर से इसके लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार माना गया था, और इस घटना के लिए दोषियों के ऊपर कार्यवाही की मांग की गई थी। लेकिन अभी तक इस बारे में कोई एक्शन देखने को नहीं मिला है। 

3 साल पहले गार्गी कॉलेज की घटना को शायद ही दिल्ली कभी भूल सकती है। आज भी उस घटना की याद कर हजारों मां-बाप के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। घटना के कुछ दिनों बाद तक शैक्षिणक जगत में मातम सा छाया हुआ था। कुछ दिनों बाद इंडिया टुडे ने कई छात्राओं से उस घटना के बारे में बातचीत की थी, कई लड़कियों ने अपने बयान में बताया था कि लड़के उनकी ओर इशारा कर हस्तमैथुन कर रहे थे, कोई सुरक्षा नहीं थी, यहां तक कि लड़कियों की ब्रा के अंदर हाथ डाल रहे थे।

टॉप खींच रहे थे, ब्रेस्ट और बट पर हाथ लगा रहे थे। 6 तारीख को नियमानुसार 4:30 बजे तक लड़कों के लिए गेट बंद हो जाना था, ताकि सिर्फ लडकियां ही 6 बजे तक प्रवेश कर सकें। लेकिन हमने पाया कि एक अन्य गेट के बाहर लडकों की भारी भीड़ जमा हो रही थी, वे अंदर आने के लिए आपस में धक्कामुक्की कर रहे थे। 

“कैंपस के अंदर इतनी भीड़ थी कि हम हिलडुल भी नहीं पा रहे थे। कैंपस के अंदर हमने पाया कि लड़के नहीं बल्कि प्रौढ़ लोगों की भीड़ जमा थी, और उनमें से ज्यादातर नशे की हालत में थे। 35-40 साल की उम्र के लोग अंदर जमा हो गये थे, जैसा कि आम सड़क पर लोग होते हैं। उन्हें लग रहा था कि इन लड़कियों को छेड़ना और कुछ भी करना उनका अधिकार है। कोई सुरक्षा नहीं थी।”

 तब भी महिला प्रिंसिपल का कहना था कि यदि लड़कियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं, तो वे न आयें। सुरक्षा की इतनी फ़िक्र है तो जुबिन नौटियाल जैसे सेलेब्रिटी के खर्च को वहन करें। इस भयानक घटना में भी प्रिंसिपल के इस्तीफे की मांग की गई थी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

अपमान का घूंट पीकर छात्राओं और अभिभावकों ने यह बात अपने दिलों में दफन कर ली थी। अगर ध्यान दें तो उस दौरान एक विशेष पार्टी की दिल्ली में बड़ी सभा हुई थी, और यह भीड़ उस सभा से निकलकर वापस जा रही थी। लेकिन समाज के इज्जतदारों ने इस घटना को शर्म से जोड़कर इसपर मिट्टी डालना बेहतर समझा था। 

आईपी कॉलेज की ही छात्रा शिवानी देसाई के अनुसार,” प्रशासन ने इस शिकायत पर कहा कि लडकियां यदि कैम्पस से बाहर कर दी गईं तो अराजक तत्व भी अपनेआप कैम्पस से बाहर निकल जायेंगे। समस्या का यह समाधान बिल्कुल नायाब निकाला है आईपी कालेज के प्रशासन ने। भीड़ से  “मिरांडा नहीं छोड़ा तो आईपी कैसे छोड़ेंगे” और जय श्री राम के नारे लगाये जा रहे थे। राम भगवान के नारे लगा-लगा के लडकियां छेड़ रहे थे, ये कैसी धार्मिकता है?”

हिन्दू कालेज की एक अन्य छात्रा के अनुसार “मैंने अन्य कालेज में भी देखा है कि लड़के बड़ी संख्या में आयेंगे, जय श्री राम के नारे लगायेंगे। पुलिस कुछ नहीं करेगी।”  इस घटना से आहत कई लड़कियां कालेज भी नहीं जा रही हैं। विधानसभा में अपने विरोध को दर्ज करने के लिए गई कुछ लड़कियों ने यह जानकारी दी है। 

ऐसा बताया जा रहा है कि आईपी कालेज अगले साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है। आप प्रवक्ता रीना गुप्ता के अनुसार, “ये छात्र-छात्राएं खुद विधानसभा अध्यक्ष से मिलने आए थे । हमने इसका संज्ञान लिया है। प्रशासन यदि लड़कियों को बचाने की जगह उनसे कैंपस के बाहर जाने के लिए कहता है, उस भीड़ के हवाले करता है, तो ऐसे प्रशासन से क्या उम्मीद कर सकते हैं। बच्चे के मां-बाप अब अपने बच्चों को कॉलेज नहीं भेजना चाहते हैं। फेस्टिवल तो कालेज का अभिन्न अंग है, यदि यह सब चला तो ऐसे में कॉलेज कैसे चल सकता है?”

दिल्ली विधानसभा में भी यह मामला उठा है, और स्पीकर राम निवास गोयल के अनुसार, विधानसभा से घर की ओर निकलते हुए बच्चों की भीड़ देखकर मैंने गाड़ी रोकी और बच्चों से पूछताछ की थी। वाकई में यह ऐसे वीआईपी जगह पर इस तरह की घटना बेहद निंदनीय है। पुलिस 2 घंटे बाद आई , प्रिंसिपल का व्यवहार पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना था।

कॉलेज विधानसभा की दीवार से लगा हुआ है, एलजी का आवास भी पास में है। फिर भी इस प्रकार का दुस्सहास अकल्पनीय है। पुलिस को CCTV कैमरे से दोषियों की शिनाख्त कर उन्हें सजा देनी चाहिए। प्रिंसिपल द्वारा लड़कियों को कॉलेज से बाहर जाने के लिए क्यों कहा गया? पुलिस देर से क्यों आई? बाहरी तत्वों को एंट्री कैसे दी गई? आरोप है कि पैसे लेकर एंट्री दी गई। इस सबकी जांच होनी चाहिए।  

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने अपने ट्वीट में कहा “आईपी कॉलेज में लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें हैरान करने वाली हैं। विगत दिनों  में भी इस प्रकार की घटनाएं देखने को मिली थीं। मैं दिल्ली पुलिस को नोटिस दे रही हूं। ऐसे असामाजिक तत्वों को जेल के सींखचों के पीछे किया जाना चाहिए।”

31 मार्च को सैकड़ों की संख्या में आईपी कालेज की छात्राओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और कालेज प्रशासन और प्रिंसिपल के खिलाफ नारेबाजी की। यह धरना शाम 7 बजे तक जारी था। इंडियन एक्सप्रेस ने भी आज इसे बड़ी खबर बनाया है। सांभवी चौधरी जो बी.ए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं के अनुसार “कालेज प्रशासन की ओर से उनके परिवार को फोन के द्वारा सूचित किया गया था कि आपकी लड़की विरोध प्रदर्शन में शामिल है।

आप उसे ऐसा करने से रोकें, वरना उसके खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी। इसके बाद संभव है कि उसकी गिरफ्तारी भी हो जाये। इस सबके लिए आप जिम्मेदार होंगे, हम आपको सिर्फ चेता रहे हैं ताकि आप उसे इस सबसे बाहर निकाल लें। मेरे घर में लोग घबरा गये थे, मैंने उन्हें ढांंढस बंधाया और बताया कि मैं कोई अकेले प्रोटेस्ट में शामिल नहीं हूं, बल्कि 200 से भी अधिक लडकियां विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं।” 

आईपी कॉलेज की प्रिंसिपल पूनम कुमारिया की एक और तस्वीर साझा की जा रही है, जिसमें कॉलेज के ट्विटर हैंडल से प्रिंसिपल पूनम कुमारिया के द्वारा 22 मार्च को हिंदू नववर्ष की बधाई साझा की गई है। बता दें कि हाल ही में 21 फरवरी को पूनम कुमारिया कॉलेज की प्रधानाध्यापिका नियुक्त की गई हैं। देश के शिक्षण संस्थानों में उच्च पदों पर अधिकांश नियुक्तियां किन आधारों पर की जा रही हैं, इस बारे में जानने के लिए किसी राकेट साइंस की जरूरत नहीं है। 

यही वजह है कि दिल्ली में पहले से ऐसी दो घटनाओं के बाद भी कॉलेज प्रशासन न तो इनसे कोई सबक ले रहा है और न दोषियों के खिलाफ ही कोई सख्त कार्यवाही की जा रही है। नतीजा छात्राओं के सामने खुद को किसी भी तरह इन भेड़ियों के चंगुल से बचाने और मां-बाप से अपनी उच्च शिक्षा को जारी रखने की याचना के द्वंद में गुजर रही है।

कुछ दिनों के बाद आईपी कॉलेज की यह शर्मनाक घटना भी आम जेहन से उतर जायेगी। फिर किसी फेस्ट में यही सब दुहराया जायेगा, और नवरात्रों में देवी की पूजा का कर्मकांड यूं ही दुहरा कर देश फिर से ऐसे और भी हादसों के लिए खुद को अचेत पायेगा।

(रविन्द्र पटवाल जनचौक के मैनेजिंग एडिटर हैं।)

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Brijesh
Brijesh
Guest
11 months ago

THOSE WHO WERE RAISIN’ SLOGANS OF ” JAI SHREE RAM” MUST BE MUSLIMS NOT HINDUS , SEVERAL CASES HAVE BEEN REPORTED WHERE IT’S FOUND THAT MUSLIMS CHANGE THEIR INDENTITY AND ACQUIRE ATTIRE AS HINDUS DO FILTHY/ INAPPROPRIATE ACTS INFACT COMMIT MURDERS, THEY ALL MUST BE MUSLIMS , DON’T DEFAME HINDUS

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