जियो को चोटी पर बैठाने का पीएम मोदी का सपना हुआ पूरा

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मोदी सरकार चाहती है कि जब अगले सालो में 5G का लॉन्च किया जाए तब देश मे एक या बहुत से बहुत दो ही खिलाड़ी ही बचें, जियो को सरकारी स्तर पर हर तरह से प्रमोट किया जा रहा है। अभी कुछ महीने पहले रेलवे कर्मचारियों का देश का और संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा CUG यानी क्लोज यूजर ग्रुप कनेक्शन एयरटेल से छीनकर जिओ को दे दिया गया। इस CUG के जरिए भारतीय रेल के 14 लाख से ज्यादा अधिकारी कर्मचारियों के सीयूजी को जिओ अब अपना नेटवर्क दे रहा है।

पिछले दिनों डीसीसी ने रिलायंस जियो को पॉइंट्स ऑफ इंटरकनेक्शन (पीओआई) नहीं उपलब्ध कराने के मामले में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर कुल 3,050 करोड़ रुपये के जुर्माने को मंजूरी दे दी है यह बड़ा भारी जुर्माना है क्योंकि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का पहली तिमाही में एकीकृत घाटा 4,873.9 करोड़ रुपये हो गया। इससे कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 4,881.9 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।

जियो को इन कंपनियों से आगे कर देने के लिए बहुत से खेल खेले गए हैं। दो साल पहले जियो को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों को जबरदस्त झटका देते हुए इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) की दरें 58 फीसदी घटा दी थी। इसमें यह व्यवस्था की गयी कि किसी ऑपरेटर का ग्राहक दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर कॉल करेगा तो उसे इस नेटवर्क के इस्तेमाल के एवज में प्रति मिनट छह पैसे का आईयूसी वसूल किया जाएगा। पहले यह दर 14 पैसे थी। आज भी यही दरें लागू हैं 2020 में यह शुल्क पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन आदि मांग कर रहे थे कि वे ट्राई से मांग कर रहे थे कि इंटरकनेक्ट चार्जेज बढ़ाकर 30 पैसे कर दिया जाए। लेकिन उसे 14 पैसे से घटा कर 6 पैसे कर दिया गया।

इससे भारती एयरटेल, वोडाफोन -आईडिया सेल्यूलर को मिला कर 4000 से 5000 करोड़ रुपये का प्रति वर्ष नुकसान होने लगा, और जियो को सीधे 3000 करोड़ का फायदा हुआ। 2020 से जीरो IUC पर यह घाटा बढ़ कर 6000 करोड़ प्रति वर्ष हो जाएगा।

उस वक्त ब्रिटेन के वोडाफोन समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विटोरियो कोलाओ ने दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को लिखे एक पत्र में कहा था कि इंटर कनेक्शन चार्ज में कोई कमी करने से टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर आ जाएंगी और आज वही हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक भारत की टेलीकॉम कंपनियों पर 8 लाख करोड़ का कर्ज है, यदि इसी तरह से जियो को प्रमोट किया जाता रहा तो जैसे बीएसएनएल के हाल है वैसे ही एयरटेल ओर वोडाफोन-आइडिया भी डूब सकती है।

(लेखक गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)

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