नई दिल्ली। देश के कई पत्रकार संगठनों ने पत्रकारों को मान्यता देने के लिए सरकार द्वारा जारी नए दिशा निर्देशों का विरोध किया है और इसे संविधान विरोधी तथा प्रेस की आज़ादी के खिलाफ बताया है। गौरतलब है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 7 फरवरी को प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा पत्रकारों की मान्यता के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके अनुसार किसी खबर से किसी की मानहानि होती है अदालत की अवमानना होती है तथा राष्ट्रीय एकता अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन होता है तथा पड़ोसी देशों के सम्बंध पर असर होता है तो पत्रकारों की मान्यता स्थगित या रद्द की जा सकती है। अगर किसी खबर या रिपोर्ट से कोई उकसावा होता है या कानून-व्यवस्था प्रभावित होती हैतो भी मान्यता स्थगित या रद्द हो सकती है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के नेतृत्व में पत्रकार संगठनों की बैठक में सरकार के नये दिशा निर्देश का विरोध किया गया और सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को इस बारे में एक पत्र भी लिखा गया है।
पत्र पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मकान्त लखेड़ा महासचिव विनय कुमार इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर की महासचिव विनीता पांडपर प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष सी के नायक वर्किंग फ़ोटो जॉर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष एस एन सिन्हा आदि के हस्ताक्षर हैं।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकान्त लखेड़ा ने बताया कि सरकार ने प्रेस की आज़ादी का गला घोंटने के लिए यह नया निर्देश जारी किया है। अगर आप सरकार के खिलाफ खबर लिखेंगे तो वह उसे देश की एकता, अखंडता तथा संप्रभुता के उल्लंघन के आरोप में आपकी पत्रकार की मान्यता रद्द कर देगी। नए दिशा निर्देश में मानहानि के नाम पर मान्यता रद्द करने का प्रावधान है। इस तरह सरकार पत्रकारों की आज़ादी को छीनना चाहती है। पहले ही सरकार ने मीडिया पर परोक्ष रूप से अंकुश लगा रखा है। संसद में उन्हें जाने नहीं दे रही है।
उनका कहना है कि यह दिशा निर्देश संविधान विरोधी है। सरकार इसे फौरन वापस ले और नया निर्देश प्रेस काउंसिल और पत्रकार संगठनों के साथ मिलकर बनाये।
इन संगठनों का कहना है कि नए दिशा निर्देश प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के भी खिलाफ है। यह एक तरफा मनमाना फैसला है। केंद्रीय मान्यता समिति का गठन भी दोषपूर्ण है।
नए दिशा निर्देश में इस समिति में सरकार द्वारा नामांकित 25 लोगों को रखे जाने का प्रावधान है। नए दिशा निर्देश के अनुसार केंद्रीय मीडिया मान्यता समिति पत्रकार या मीडिया हाउस से कम से कम दो साल या 5 साल के लिए मान्यता छीन सकती है। नए दिशा निर्देश के अनुसार कोई पत्रकार अपने लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड पर या सोशल मीडिया या सार्वजनिक रूप से नहीं लिख सकता कि वह मान्यता प्राप्त पत्रकार है।
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