केंद्र सरकार पर भड़कीं जस्टिस नागरत्ना, कहा- सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच सुप्रीम कोर्ट है

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बुधवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन का मौखिक रूप से उल्लेख करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई।

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि वह बिना आवेदन दायर किए किसी अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप के लिए सीजेआई से संपर्क करने वाले संघ की कार्रवाई से ‘परेशान और चिंतित’ हैं।

जस्टिस नागरत्ना ने संघ की ओर से उपस्थित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, “हम इसकी सराहना नहीं करते। यदि भारत संघ ऐसा करना शुरू कर देगा तो निजी पक्षकार भी ऐसा करने लगेगे। हम अभिन्न न्यायालय हैं। सुप्रीम कोर्ट की प्रत्येक पीठ सुप्रीम कोर्ट है। हम एक न्यायालय हैं, जो अलग-अलग पीठों में बैठे हैं। अपनी ओर से बोलते हुए मैं भारत संघ की ओर से इसकी सराहना नहीं करती हूं।”

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने सोमवार (9 अक्टूबर) को विवाहित महिला को 26 सप्ताह में अपनी अनियोजित प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराने की अनुमति दी थी। याचिकाकर्ता को प्रेग्नेंसी के मेडिकल टर्मिनेशन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से संपर्क करने का निर्देश दिया गया था।

हालांकि, मंगलवार की शाम 4 बजे एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष आदेश के खिलाफ मौखिक उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की राय के बाद कि भ्रूण के जीवित पैदा होने की संभावना है, संघ आदेश को वापस लेने की मांग कर रहा है। इस दलील पर सीजेआई ने एम्स को प्रक्रिया स्थगित करने के लिए कहा और संघ को आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर करने का निर्देश दिया। नतीजतन, मामले पर फिर से विचार करने के लिए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की विशेष पीठ के सामने पेश किया गया।

जब विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई की तो जस्टिस नागरत्ना ने एएसजी भाटी से पूछा कि उन्होंने बिना कोई आवेदन या दलील दायर किए सीजेआई से हस्तक्षेप की मांग क्यों की। उन्होंने पूछा, “जब इस अदालत की एक पीठ बिना किसी दलील के किसी मामले का फैसला करती है तो आप इस अदालत के आदेश में हस्तक्षेप के रूप में इस अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष इंटर-कोर्ट रिट कैसे कर सकते हैं?”

एएसजी भाटी ने घटनाक्रम के लिए माफी मांगी, लेकिन अदालत को समझाया कि उन्हें तत्काल सीजेआई के समक्ष मामले का उल्लेख करना होगा, क्योंकि अदालत के आदेश ने डॉक्टर को मंगलवार को ही प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, “मुझे इसका उल्लेख करना पड़ा, क्योंकि माई लॉर्ड का निर्देश मंगलवार को ही टर्मिनेट करने का था।”

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि संघ विशेष पीठ के गठन के लिए आवेदन दे सकता था और मामले पर प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए था। जस्टिस कोहली ने कहा, “आप माननीय सीजेआई के समक्ष आवेदन दायर कर सकते थे और उन्होंने शायद मंगलवार को ही विशेष पीठ का गठन कर दिया होता और मामला सुलझ गया होता।”

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि आप याचिका दायर करने के बाद एक पीठ के गठन के लिए कह सकते थे। यहां तक कि दलील के अभाव में भी आप जाते हैं और सीजेआई के पास जाते हैं। ऐसा कैसे हो सकता है? हम नहीं चाहते कि ऐसी मिसाल कायम हो। यदि निजी पक्षकार ऐसा करने लगे तो न्यायालय की व्यवस्था चरमरा जायेगी। हम इसे लेकर चिंतित और परेशान हैं।

एएसजी ने कहा कि वह सीजेआई के समक्ष मामले का उल्लेख करने के लिए बाध्य थीं, क्योंकि जस्टिस कोहली और जस्टिस नागरत्न की पीठ मंगलवार को शाम 4 बजे नहीं बैठी थी।

(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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