नई दिल्ली। इलाहाबाद से एक बड़ी खबर आ रही है। वहां की पुलिस ने पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन को पहले बमरौली एयरपोर्ट पर डिटेन किया और अब बताया जा रहा है कि उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया है।
कन्नन गोपीनाथन एआईपीएफ के बुलावे पर इलाहाबाद पहुंचे हुए थे। वहां नागरिकता संशोधन कानून विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था जिसमें तमाम वक्ताओं के साथ ही उन्हें भी बोलना था। आयोजकों का कहना है कि प्रशासन ने बाकयदा इसकी अनुमति दे रखी थी। इस सिलसिले में वहां के डीएम भानुचंद्र गोस्वामी से आयोजकों ने मुलाकात की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बंद कमरे में अपनी बात रख सकते हैं।
आयोजकों में शामिल केके पांडेय ने बताया कि इलाहाबाद के रोशन बाग में सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन को प्रशासन ने मुद्दा बनाकर उन्हें वापस भेज दिया। जबकि सच्चाई यह है कि दोनों आयोजनों के बीच अच्छी-खासी दूरी है। रोशन बाग शहर के पश्चिम में स्थित है जबकि यह आयोजन झूसी स्थित पटेल संस्थान में हो रहा था। उनका कहना है कि प्रशासन ने योगी के इशारे पर काम किया है और तमाम लोकतांत्रिक और संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए वह योगी का गुलाम हो गया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन के इस फैसले को लेकर लोगों में रोष है।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के इस अलोकतांत्रिक फैसले के खिलाफ सोमवार को विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। उनका कहना था कि इलाहाबाद जैसे बौद्धिक शहर में भी अगर विचार-विमर्श और गोष्ठियां नहीं हो सकती हैं तो फिर योगी सरकार से और क्या उम्मीद की जा सकती है।
और एक ऐसी सरकार जो सामान्य लोकतांत्रित जीवन नहीं मुहैया करा सके वह अपने कुर्सी पर बने रहने के अधिकार को भी खो देती है। जनता ने भी इनके मंसूबों को समझ लिया है और यही वजह है कि अब वह सड़कों पर है।
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